#Womensday : 'माय हाइजीन माय राइट' के लिए वाराणसी में तीन सखियों की 'फाइट'

यह तीन सहेलियों की असली कहानी है जिन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में महिलाओं को सेहत की शिक्षा के साथ उनकी सुरक्षा के लिए भी कदम बढ़ाए।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Thu, 07 Mar 2019 09:28 PM (IST) Updated:Fri, 08 Mar 2019 07:45 AM (IST)
#Womensday :  'माय हाइजीन माय राइट' के लिए वाराणसी में तीन सखियों की 'फाइट'
#Womensday : 'माय हाइजीन माय राइट' के लिए वाराणसी में तीन सखियों की 'फाइट'

वाराणसी, जेएनएन। यह तीन सहेलियों की असली कहानी है जिन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में महिलाओं को सेहत की शिक्षा के साथ उनकी सुरक्षा के लिए भी कदम बढ़ाए। इसने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान भी दिलाई। परिवार तक में जिन मुद्दों पर बेटियां बात करने में झिझकती हैं, उस विषय पर वसंता कालेज फॉर वुमन की तीन छात्राओंं ने झिझक तोडऩे के साथ ही सेहत के लिए भी मुहिम छेड़ रखी है। इसके लिए संवाद का क्रम तो शुरू किया ही है साथ ही सेनेटरी नैपकिन डिस्ट्रिब्यूशन के लिए शहर में कई केंद्र भी बनाए।

रिद्धिमा द्विवेदी, प्रियंका कक्कड़ और मोनिका सिंह यह तीन सहेलियां बीए द्वितीय वर्ष की छात्राएं हैं। पढ़ाई करने के साथ ही समाजसेवा का जज्बा पाला तो उन लड़कियों के लिए काम करना उनको अधिक बेहतर लगा जो माहवारी को दुश्वारी समझती थीं। मेंटर से प्रेरणा के बाद तय किया कि अब इसी दिशा में काम करना ही है। लिहाजा सेनेटरी नैपकिन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 30 स्कूल और 20 पब्लिक टॉयलेट को चुना। जिले के आला अधिकारियों से भी सहयोग और प्रेरणा मिली तो उनके अभियान 'माय हाइजीन माय राइट' को सहयोग भी मिला। अब तीनों सहेलियों का मकसद और भी क्षेत्रों में काम करने का है। टीम की रिद्धिमा बताती हैं कि अब पूर्वांचल व आसपास के जिलों में भी लोगों को जोड़कर अभियान को आगे बढ़ाने का प्रयास है। पढ़ाई के साथ साथ यह काम करने के लिए अतिरिक्त समय भी देना पड़ता है। इसलिए सप्ताह में दो से तीन दिनों तक का समय इसके लिए नियत कर योजना को अमलीजामा पहना रही हैं।

टीम का मानना है कि अभियान अभी शुरुआती दौर में है मगर लोगों का प्रोत्साहन लगातार मिल रहा है। सोशल मीडिया पर भी मुहिम की लगातार लोग सराहना करते हैं तो हौसला बढ़ता है। 'माय हाइजीन माय राइट' नाम से शुरू अभियान का क्षेत्र फिलहाल वाराणसी ही है लेकिन गूंज राष्ट्रीय स्तर पर है। अभियान के लिए कर्नाटक के हुबली में टीम को सम्मानित भी किया जा चुका है।

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