गाजीपुर में जिला महिला अस्पताल की नहीं है अपनी पैथोलाजी, मरीज बाहर भटकने को विवश
जिला महिला अस्पताल की अपनी पैथोलाजी नहीं है। इससे पहले तक जिला अस्पताल के संयुक्त रूप से चलने से एक ही पैथोलाजी से दोनों का काम चल रहा था। जबसे जिला अस्पताल गोराबाजार नए भवन में चला गया है तबसे महिला अस्पताल पैथोलाजीविहीन हो गया।
जागरण संवाददाता, गाजीपुर। जिला महिला अस्पताल की अपनी पैथोलाजी नहीं है। इससे पहले तक जिला अस्पताल के संयुक्त रूप से चलने से एक ही पैथोलाजी से दोनों का काम चल रहा था। जबसे जिला अस्पताल गोराबाजार नए भवन में चला गया है, तबसे महिला अस्पताल पैथोलाजीविहीन हो गया। सरकार द्वारा निजी संस्था के माध्यम से यहां पैथोलाजी संचालित की जा रही है, लेकिन वह भी महीनों से बंद चल रही है। इससे महिलाओं को रक्त जांच कराने के लिए बाहर जाना पड़ रहा है।
जननी सुरक्षा योजना के तहत गर्भवती महिलाओं की देखरेख, जांच व सुरक्षित प्रसव कराना सरकारी की जिम्मेदारी है। यह सब निश्शुल्क होना है। इसमें जिला महिला अस्पताल की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होती है। सरकार की गाइड लाइन के अनुसार जिला अस्पताल में जांच से लेकर उपचार तक सभी व्यवस्था होनी चाहिए, लेकिन यहां का जिला महिला अस्पताल इन सब सुविधाओं से संतृप्त नहीं है। सबसे महत्वपूर्ण तो यह है कि यहां पर पैथोलाजिस्ट का पद ही स्वीकृत नहीं है। आजादी से पहले से संचालित जिला महिला अस्पताल व जिला अस्पताल दोनों संयुक्त रूप से एक ही परिसर में संचालित हो रहे थे। ऐसे में जिला अस्पताल के पैथोलाजी व अल्ट्रासाउंड केंद्र से काम चल रहा था। इधर, लगभग तीन वर्ष पहले जिला अस्पताल गोराबाजार में बने अपने नए भवन में चला गया। इसके बाद महिला अस्पताल के सामने पैथोलाजी की समस्या खड़ी हो गई। हालांकि कुछ दिन बाद यहां सरकार ने एक निजी संस्था के माध्यम से पैथोलाजी का संचालन शुरू कराया, लेकिन महिला अस्पताल के राजकीय मेडिकल कालेज के अधीन हो जाने के बाद यह सुविधा भी फिलहाल बंद है।
बोले अधिकारी : जिला महिला अस्पताल के पास कभी भी अपनी पैथोलाजी नहीं थी। ऐसे में यहां पैथोलाजिस्ट का पद भी स्वीकृत नहीं है। इसका काम जिला अस्पताल के पैथोलाजी से ही चल रहा था। अब सरकार की ओर से निजी संस्था के माध्यम से संचालित कराया जा रहा है। - डा. तारकेश्वर, सीएमएस जिला महिला अस्पताल।