Hari Prabodhini Ekadashi 2020 : योग निद्रा से 25 नवंबर को जागेंगे श्रीहरि, तुलसी विवाह भी मनाया जाएगा

क्षीर सागर में आषाढ़ शुक्ल एकादशी से योग निद्रारत श्रीहरि का कार्तिक शुक्ल एकादशी यानी 25 नवंबर को जागरण होगा। हरि प्रबोधिनी एकादशी के एक दिन पूर्व सात्विक आहार का विधान है। इसमें देशी घी से बघारी लौकी और दाल-रोटी ग्रहण करनी चाहिए।

By saurabh chakravartiEdited By: Publish:Tue, 24 Nov 2020 05:19 PM (IST) Updated:Tue, 24 Nov 2020 05:19 PM (IST)
Hari Prabodhini Ekadashi 2020 : योग निद्रा से 25 नवंबर को जागेंगे श्रीहरि, तुलसी विवाह भी मनाया जाएगा
क्षीर सागर में आषाढ़ शुक्ल एकादशी से योग निद्रारत श्रीहरि का कार्तिक शुक्ल एकादशी यानी 25 नवंबर को जागरण होगा।

वाराणसी, जेएनएन। क्षीर सागर में आषाढ़ शुक्ल एकादशी से योग निद्रारत श्रीहरि का कार्तिक शुक्ल एकादशी यानी 25 नवंबर को जागरण होगा। प्रभु समेत देवों के चार माह जागरण के इस पर्व को श्रद्धालुजन हरिप्रबोधिनी एकादशी के रूप में मनाएंगे। इसके साथ ही बैंड-बाजा बरात के दिन लौट आएंगे। काशी विद्वत परिषद के मंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी के अनुसार महापुण्यदायी एकादशी तिथि 24 नवंबर को शाम 4.29 बजे लग रही है जो 25 नवंबर की शाम 6.14 बजे तक रहेगी। इस दिन तुलसी विवाह भी मनाया जाएगा।  

सनातन धर्म में आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक चार मास चातुर्मास के नाम से जाना जाता है। इसका 25 नवंबर को हरिप्रबोधिनी एकादशी के साथ समापन होगा जाएगा। हरि प्रबोधिनी एकादशी के एक दिन पूर्व सात्विक आहार का विधान है। इसमें देशी घी से बघारी लौकी और दाल-रोटी ग्रहण करनी चाहिए। दिवस विशेष पर प्रात: स्नानादि से निवृत्त होकर पालनहार भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए व्रत रख कर रात में शयनरत श्रीहरि को जगाने के लिए विष्णु सहस्त्रनाम, विष्णु कथा, पुराण आदि का श्रवण व भजन, गायन, वादन, घंटा, शंख, मृदंग, नगाड़ा व वीणा आदि बजा कर प्रभु श्रीहरि को जगाना चाहिए। रात में पंचोपचार व षोडशोपचार विधि से पूजन करना चाहिए। ऐसा करने से श्रीहरि प्रसन्न होकर व्रतियों को सुख-सौभाग्य यश का वरदान देते हैं। इस दिन तुलसी विवाह भी किया जाता है। कार्तिक शुक्ल एकादशी से पांच दिनी यानी कार्तिक पूर्णिमा तक विष्णु पंचक व्रत का विधान है। यदि किसी कारण कोई उपवास नहीं कर सकता तो उसे एक समय फलाहार पर रहना चाहिए। इस दिन रात्रि जागरण का विशेष महत्व है।

व्रत अनुष्ठान के साथ बैंड बाजा बरात

कार्तिक शुक्ल एकादशी तिथि से वैवाहिकमुहुर्त की शुरुआत हो रही है। पं. रामनारायण द्विवेदी के अनुसार इस वर्षविवाह के लिए केवल सात शुभ मुहुर्त ही मिल रहे हैं। इसमें नवबंर में 25 और 30 तारीख और दिसंबर में एक, सात, आठ, नौ और ग्यारह तारीख है। सनातन धर्म की परंपरानुसार वैदिक रीति से वैवाहिक बंधन में बंधने से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

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