गुरु पूर्णिमा 2021 : गुरू तेग बहादुर ने मीरजापुर के भुइली गांव में रूककर फैलाया था ज्ञान का प्रकाश

राजा भूरिश्रवा की राजधानी के रूप में विख्यात भुईली गांव लगभग सभी संप्रदायों के लिए विशेष महत्व का स्थान रहा है। भुईली की उत्तरी पहाड़ी पर एक तरफ जहां हिन्दू मंदिरों के साक्ष्य मिले हैं तो वही दूसरी तरफ अफगान शास

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 10:28 AM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 01:54 PM (IST)
गुरु पूर्णिमा 2021 : गुरू तेग बहादुर ने मीरजापुर के भुइली गांव में रूककर फैलाया था ज्ञान का प्रकाश
राजा भूरिश्रवा की राजधानी के रूप में विख्यात भुईली गांव सभी संप्रदायों के लिए विशेष महत्व का स्थान रहा है।

जागरण संवाददाता, मीरजापुर। महाभारत कालीन राजा भूरिश्रवा की राजधानी के रूप में विख्यात भुईली गांव लगभग सभी संप्रदायों के लिए विशेष महत्व का स्थान रहा है। भुईली की उत्तरी पहाड़ी पर एक तरफ जहां हिन्दू मंदिरों के साक्ष्य मिले हैं तो वही दूसरी तरफ अफगान शासक शेरशाह सूरी ने पहाड़ी पर डाक चौकी की स्थापना कराया।

मुगलों के जमाने में मकदूम शाह बाबा का मजार भी बनाया गया। इस गांव की गंगा-जमुनी तहजीब में चार चांद तब लगा जब सिक्खों के नौवें धर्म गुरु ने इस गांव की माटी को अपने चरणरजों से पाक बनाया। सिक्खों के नौवें गुरु तेगबहादुर साहब ने करीब तीन सौ पचास वर्ष पूर्व क्षेत्र के भुईली गांव में रूककर यहां अपनी अमृतवाणी से ज्ञान का प्रकाश फैलाया था। उन्होंने जहां ज्ञान का उपदेश दिया था उनके जाने के बाद उनके अनुयायियों ने गुरूद्वारे का निर्माण करा दिया। उपदेश स्थल पर उनकी तस्वीर रख अनुयायी आज भी उन्हें पूजते है।

नौवें गुरु के भुईली गांव आने के बारे मे निर्मलदास बाबा के पत्थर की शिला पर लिखे गए शब्द आज भी गुरूद्वारे मे दीवार मे लगे हुए है,जो उनके आने की बात को पुख्ता करते है। शिला पर प्रयागराज संगम से स्नान कर पटिहटा, अहरौरा से होते हुए भुईली आने एवं नीचीबाग वाराणसी जाने के बारे मे लिखा गया है। गुरूद्वारे के जीर्णोद्धार के समय सन 2000 मे बाहरी दीवार मे लगे नौवें गुरु के आने वाले शिलालेख को गुरूद्वारे के भीतर दीवार मे लगाकर सुरक्षित कर दिया गया। गुरूद्वारे का पुराना भवन आज भी विद्यमान है जिसमे सेवादार रहते है।सुबह एवं शाम भजन एवं पूजन होता है।

गुरूद्वारे मे प्राचीन बाउली,लंगर हाल एवं सत्तर फीट ऊंचा निशान साहेब मौजूद है। सेवादार सुमेर सिंह ने बताया कि प्रकाश उत्सव मार्च महीने मे प्रतिवर्ष मनाया जाता है।तीन दिन के अखंड पाठ के बाद भजन एवं बंदगी के बाद लंगर आयोजित होता है। सेवादार गरदीप सिंह ने बताया कि गुरूद्वारे का संचालन प्रबंध कमेटी लक्सा गुरूबाग वाराणसी की ओर से किया जाता है।

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