Guru Purnima गुरु पीठों से डिजिटल आशीष, आश्रम आने के लिए मनाही के साथ ही जारी की गई आइडी

गुरु पूर्णिमा गुरु पीठों से डिजिटल आशीष आश्रम आने के लिए मनाही के साथ ही आइडी जारी की गई। वाराणसी में सुबह से ही भक्‍त गुरु दर्शन में लगे हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Sun, 05 Jul 2020 09:30 AM (IST) Updated:Sun, 05 Jul 2020 01:06 PM (IST)
Guru Purnima गुरु पीठों से डिजिटल आशीष, आश्रम आने के लिए मनाही के साथ ही जारी की गई आइडी
Guru Purnima गुरु पीठों से डिजिटल आशीष, आश्रम आने के लिए मनाही के साथ ही जारी की गई आइडी

वाराणसी, जेएनएन। आषाढ़ पूर्णिमा पर रविवार को गुरु पर्व मनाया जा रहा है लेकिन कोरोना संकट को देखते हुए कोई शिष्य गुरुपीठ नहीं जाएगा। गुरुदेव सोशल मीडिया के जरिए खुद घर-घर पहुंचेंगे, दर्शन देंगे और आशीषों की वर्षा भी कर जाएंगे। इसके लिए गुरुपीठों की ओर से निर्देश जारी कर आश्रम या किसी भी शाखा पर आने की मनाही की गई है। घर से ही ध्यान करने की सलाह देते हुए यूट्यूब या अन्य माध्यमों से जुडऩे के लिए लिंक जारी किए गए हैैं।

संत मत अनुयायी आश्रम मठ गड़वाघाट की ओर से कहा गया है कि गुरु पूर्णिमा पर आश्रम के कपाट बंद रहेंगे। शिष्य गण घर पर ही पूजा-आराधना करें। इसके अलावा यू ट्यूब लिंक पर जुड़ कर पूजा आरती का लाभ ले सकेंगे।  इसके अलावा गुरु पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर अवधूत भगवान राम कुष्ठ सेवाश्रम -पड़ाव से पीठाधीश्वर बाबा गुरुपद संभव राम ने आनलाइन संदेश जारी किया। उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी कोविड-19 के बढ़ते प्रसार को देखते हुए इस वर्ष सर्वेश्वरी समूह के प्रधान कार्यालय व शाखाओं में गुरुपूॢणमा पर्व नहीं मनाया जाएगा। सभी श्रद्धालु व भक्तजन घरों में ही गुरुपूजन करेें। आज का समय विषम है हम सभी लोग इससे परिचित हैं, जान रहे हैं। इस समय मैं तो यही कहना चाहूंगा कि पहले हमलोग खुद को सुरक्षित रखें।

अघोरपीठ बाबा कीनाराम स्थली क्रीं कुंड के भी पट गुरुपर्व पर बंद रहेंगे। पीठाधीश्वर बाबा सिद्धार्थ गौतम राम ने कहा कि पूजन- अर्चन में मनसा-वाचा-कर्मणा की बात कही गई है। ऐसे में कोरोना संकट को देखते हुए मनसा पूजन करें। घर से ही गुरु पीठ का स्मरण करें। सतुआबाबा आश्रम, पातालपुरी मठ, भारत सेवाश्रम, श्रीराम कृष्‍ण मिशन, गौ‍ड़ीया मठ समेत आश्रमों से भी भक्तों को घर से पूजन करने को कहा गया है। कोरोना संक्रमण के कारण इस बार भक्‍तों की भीड़ सड़कों पर नहीं है। हर साल आश्रमों के बाहर मेले जैसा माहौल रहता था।

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