व्यापारियों के बेहतर कारोबार में जीएसटी बन रही दीवार, एडवाइजर की सलाह के बाद ही करें निवेश
जीएसटी की दुश्वारियों से जूझ रहे व्यापारियों के सामने नई मुसीबत उठ खड़ी हुई है यह दुश्वारी नए नियम 36 (4) के कारण हुई है।
वाराणसी [राकेश श्रीवास्तव]। जीएसटी की दुश्वारियों से जूझ रहे व्यापारियों के सामने नई मुसीबत उठ खड़ी हुई है। यह दुश्वारी नए नियम 36 (4) के कारण हुई है। इसके मुताबिक व्यापारी जीएसटीआर-टूए में दिखाई पड़ने वाले उस माह की संपूर्ण आइटीसी के 20 फीसद से ज्यादा का लाभ नहीं ले पाएगा। मसलन, एक व्यापारी की आइटीसी 150 रुपये बनती है, जबकि जीएसटीआर टू-ए में 100 रुपये दिख रहा है तो इनपुट क्रेडिट 120 रुपये ही ले सकेगा। यह मुश्किल छोटे-बड़े व्यापारियों के लिए जीएसटीआर-वन भरने के समय निर्धारण में भिन्नता है।
क्या है नया प्रावधान : 36(4) में आइटीसी क्लेम करने को व्यापारी के जीएसटीआर-टूए में इनपुट टैक्स क्रेडिट की धनराशि दिखनी चाहिए। जीएसटीआर-टूए में आइटीसी की धनराशि तभी दिखेगी, जब माल आपूर्ति करने वाला जीएसटीआर-वन भर दे। चूंकि छोटे कारोबारियों को जीएसटीआर-वन भरने को तीन माह की मोहलत दी गई है, जबकि बड़े व्यापारियों को प्रत्येक माह भरना है। छोटे व्यापारी ने जीएसटीआर-वन नहीं भरा तो उससे माल खरीदने वाले जीएसटीआर-टूए में कारोबार का ब्योरा नही दिखेगा और वह इनपुट क्रेडिट का लाभ नहीं ले सकेगा।
यूं खड़ी होगी कारोबारी रिश्ते में दीवार : आइटीसी नहीं मिला तो बड़े कारोबारी छोटे-मझोलों से व्यापार नहीं करेंगे। इससे देश में बेरोजगारी बढ़ेगी। डेढ़ करोड़ तक के टर्न ओवर वाले कारोबारी छोटे तो उससे ऊपर वाले बड़ों की श्रेणी में आते हैं।
पूंजी की लागत बढ़ेगी : नए नियम में 20 फीसद से ज्यादा का आइटीसी नहीं मिलने से बड़े व्यापारी को संपूर्ण राशि कैश में जमा करना होगा। इससे पूंजी लागत बढ़ेगी व व्यापार पर संकट होगा।