देश के 1.60 लाख ईंट निर्माण उद्योग पर जीएसटी और कोयले का संकट, दो करोड़ मजदूर हो जाएंगे बेरोजगार
देश में संचालित ईंट निर्माण से जुड़े 1.60 लाख उद्योग पर जीएसटी व कोयला का संकट खड़ा हो गया है। कोयले की आपूर्ति न होने व जीएसटी की बढ़ी दर से परेशान ईंट भठ्ठा संचालकों ने संकट दूर नहीं होने पर ईंट निर्माण कार्य बंद करने की चेतावनी दी है।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। पूरे देश में संचालित ईंट निर्माण से जुड़े 1.60 लाख उद्योग पर जीएसटी व कोयला का संकट खड़ा हो गया है। कोयले की आपूर्ति न होने व जीएसटी की बढ़ी दर से परेशान ईंट भठ्ठा संचालकों ने संकट दूर नहीं होने पर ईंट निर्माण का कार्य बंद करने की चेतावनी दी है। इससे ईंट भठ्ठों पर कार्यरत तकरीबन दो करोड़ मजदूरों के समक्ष रोजी-रोटी का संकट मंडराने लगा है। इसके अलावा रियल स्टेट व गरीबों के लिए सरकारी आवास से जुड़ी योजनाएं भी प्रभावित होंगी।
इस संबंध में मंगलवार को पराड़कर स्मृति भवन में उत्तर प्रदेश ईंट निर्माता समिति के पूर्व अध्यक्ष व ईंट निर्माता परिषद, वाराणसी के अध्यक्ष कमलाकांत पांडेय ने प्रेसवार्ता में कहा कि देश में ईंट निर्माण से जुड़े वैध 1.60 लाख उद्योग हैं। इनमें दो करोड़ मजदूर कार्यरत हैं। इसमें उत्तर प्रदेश में 19500, वाराणसी मंडल में दो हजार व जिले में 450 उद्योग हैं। बारिश के बाद नवंबर से इनका संचालन शुरू होता है। अच्छे गुणवत्ता का कोयला उचित दर पर न मिलने, जीएसटी की बढ़े दर वापसी नहीं की गई तो उद्योग बंद करने के सिवाय दूसरा विकल्प नहीं है।
क्या है संकट
कमलाकांत पांडेय ने कहा कि ईंट भठ्ठों में अच्छे किस्म के कोयले की आवश्यकता होती है। यह अमेरिका, इंडोनेशिया व भारत में पश्चिम बंगाल के रानीगंज के ईसीएल क्षेत्र से प्राप्त होता है। इस समय कोयला आना बंद हो गया है। किसी आपूर्तिकर्ता के पास थोड़ा-बहुत है तो बिक्री दर काफी बढ़ गई है। पिछले वर्ष रानीगंज का कोयला दस हजार था तो इस वर्ष 14 से 16 हजार हो गया है। अमेरिकन कोयला 12 हजार से बढ़कर 22 से 24 हजार तक हो गया है। जीएसटी पांच से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया है।
क्या है मांग
उचित दर पर गुणवत्तापूर्ण कोयला, जीएसटी की बढ़ी दर वापसी, ईंट पथाई मशीन में सब्सिडी, प्रदूषण मुक्त भट्टी वाले संचालकों को प्रोत्साहन, मिट्टी खुदाई के नियमों में बदलाव, सरकारी कार्यों में लाल ईंट की अनिवार्यता। उपाध्यक्ष ओमप्रकाश बदलानी, महामंत्री शिवप्रसाद सिंह, कोषाध्यक्ष हीरालाल यादव, मंत्री हीरानंद लखमानी, मनसाराम आहूजा व कैलाशनाथ पटेल आदि थे।