'काॅमन’ नहीं होगा संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के स्नातक स्‍तर का सिलेबस

राज्य विश्वविद्यालय में स्नातक स्तर का न्यूनतम कामन सिलेबस लागू होगा। हालांकि स्थानीय स्तर पर विश्वविद्यालयों को पाठ्यक्रमों में 30 फीसद संशोधन करने का अधिकार है। इस क्रम में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ सहित सभी विश्वविद्यालयों ने तैयारी तेज कर दी है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Thu, 17 Jun 2021 12:05 PM (IST) Updated:Thu, 17 Jun 2021 12:05 PM (IST)
'काॅमन’ नहीं होगा संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के स्नातक स्‍तर का सिलेबस
राज्य विश्वविद्यालय में स्नातक स्तर का न्यूनतम कामन सिलेबस लागू होगा।

वाराणसी, जेएनएन। नए सत्र से सूबे के सभी राज्य विश्वविद्यालय में स्नातक स्तर का न्यूनतम कामन सिलेबस लागू होगा। हालांकि स्थानीय स्तर पर विश्वविद्यालयों को पाठ्यक्रमों में 30 फीसद संशोधन करने का अधिकार है। इस क्रम में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ सहित सभी विश्वविद्यालयों ने तैयारी तेज कर दी है। काशी विद्यापीठ में विभागीय अध्ययन बोर्ड सामान पाठ्यक्रम लागू करने की हरी झंडी भी मिल चुकी है। वहीं संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में शास्त्री (स्नातक) का सिलेबस ‘कामन’ नहीं होगा।

संस्कृत विश्वविद्यालय में शास्त्री के पाठ्यक्रम अन्य विश्वविद्यालयाें से भिन्न है। यहां वेद, वेदांत, मीमांसा, सांख्ययोग तंत्रागम, पुराणेतिहास, बौद्ध दर्शन, प्राकृत जैनागम सहित अन्य प्राच्य विद्या की पढ़ाई होती है। सूबे के अन्य विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग में प्राच्य विद्या की शाखाओं की अलग-अलग पढ़ाई नहीं होती है। कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी की अध्यक्षता में गत दिनों बुलाई गई बैठक में विभागाध्यक्षों ने स्पष्ट मानना था कि आधुनिक विश्वविद्यालयों की भांति स्नातक में यहां समान पाठ्यक्रम लागू करना संभव नहीं हैं। इसे देखते हुए कुलपति ने सभी संकायाध्यक्षों व विभागाध्क्षों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप पाठ्यक्रम बनाने का निर्देश दिया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत पहली यूनिट में भारतीय ज्ञान परंपरा से संबंधित विषय वस्तु रखने का निर्देश दिया गया था।

इसके अलावा शोध को बढ़ावा देने के लिए प्रथम व द्वितीय वर्ष में रिसर्च ओरिएंटेड जोड़ने का सुझाव दिया गया था तथा तीसरे वर्ष प्रोजेक्ट वर्क रखा गया है। वहीं स्नातक स्तर पर न्यूनतम समान पाठ्यक्रम आठ सेमेस्टरों में तैयार किया गया है ताकि आने वाले समय में चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम लागू किया जा सके। कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय में शास्त्री में पहले से ही भारतीय ज्ञान परंपरा का समावेश है। सभी संकायाध्यक्षों से नई शिक्षा नीति के तहत रोजगारपरक पाठ्यक्रम बनाने का निर्देश दिया गया है। इसके अलावा द्वितीय वर्ष में रिसर्च ओरिएंटेड पाठ्य सामग्री व तीसरे वर्ष प्रोजेक्ट वर्क जोड़ने का निर्देश दिया गया है। कुलपति के निर्देश पर संकायाध्यक्षों व विभागाध्यक्षाें ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप पाठ्यक्रम बनाने का कार्य शुरू कर दिया है। जुलाई तक बोर्ड ऑफ स्टडीज से पास कराने का निर्णय लिया है।

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