पानी के उपयोग को लेकर अपनानी होगी ग्रेडिंग प्रणाली, विशेषज्ञों ने साझा किया स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का विजन
स्मार्ट सिटी लिमिटेड व आइआइटी बीएचयू ने बनारस को माडल बनाने की दिशा में पहल शुरू की है।
वाराणसी, जेएनएन। स्मार्ट सिटी लिमिटेड व आइआइटी, बीएचयू ने बनारस को माडल बनाने की दिशा में पहल शुरू की है। नागरिकों को सभी आधुनिक सुविधाएं मुहैया कराने को लेकर आइआइटी के मालवीय नवप्रर्वतन सेंटर में सात दिवसीय मंथन हो रहा है। आयोजन के दूसरे दिन सोमवार को हुई चर्चा का निष्कर्ष रहा कि शहर में बेहतर जलापूर्ति जरूरी है। इसके लिए पानी के उपयोग को लेकर ग्रेडिंग प्रणाली पर काम करना होगा।
इस मंथन में नगरीय सुविधा के क्षेत्र में काम करने वाली लब्ध संस्थाओं के प्रतिनिधियों को लीड इंडिया ने एकजुट किया है।
डोर टू डोर कलेक्शन
नगर निगम के अधिशासी अभियंता अजय राम ने बताया कि वाराणसी में कचरे का प्रबंधन चार बिंदुओं पर केंद्रित हैै। इसमें घर-घर कचरा संग्रह, घाटों का प्रबंधन, सामुदायिक शौचालय व सड़कों पर मैकेनाइच्ड स्वीपिंग शामिल है। डा. एके गुप्त ने कहा कि शहर में जलापूर्ति में सुधार के लिए ग्रेडिंग प्रणाली अपनानी होगी।
एकीकृत व संयोजित काशी
कार्यशाला के प्रतिभागियों ने कचरा से ऊर्जा बनाने वाले संयंत्र देखने के लिए नगर निगम के एक साइट का दौरा भी किया। स्मार्ट सिटी लिमिटेड के तकनीकी विशेषज्ञ डा. वासुदेवन ने बताया कि यह परियोजना छह स्तंभ पर आधारित है। इसमें सुरमयी, निर्मल, सुरक्षित, समुन्नत, एकीकृत व संयोजित काशी शामिल है। पुणे से आए नीलेश कुलकर्णी व गया के प्रवीण चौहान ने भी कचरा प्रबंधन पर राय रखी। वहीं, कार्यक्रम के पहले दिन रविवार को क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी डा. सुभाष यादव ने कहा कि वाराणसी की विशिष्टता व सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भ समझने के लिए यहां के भूगोल, इतिहास, संस्कृति व परंपराओं को जानना जरूरी है।