सरकार के सिस्टम ने वाराणसी की विभूति पं. छन्नूलाल को बनाया बेचारा, कटघरे में कोतवाली इंस्पेक्टर की कार्यशैली
शतरुद्र प्रकाश ने कहा कि यदि सपा प्रतिनिधिमंडल पद्मविभूषण पं. छन्नूलाल मिश्रा और उनकी पुत्री नम्रता मिश्रा से न मिला होता तो शायद मुख्यमंत्री दोबारा जांच की घोषणा नहीं करते। पं. छन्नूलाल को अभी भी उम्मीद है कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री उनकी पुत्री की सही और पारदर्शी जांच करा देंगे।
वाराणसी, जेएनएन। एमएलसी शतरुद्र प्रकाश ने कहा कि यदि सपा प्रतिनिधिमंडल पद्मविभूषण पं. छन्नूलाल मिश्रा और उनकी पुत्री नम्रता मिश्रा से न मिला होता तो शायद मुख्यमंत्री दोबारा जांच की घोषणा नहीं करते। विडंबना है कि "इस सरकार के सिस्टम " ने काशी की विभूति को बेचारा बना दिया है। पत्नी की मृत्यु बाद पुत्री संगीता की मौत के गम में डूबे पं. छन्नूलाल मिश्र को अभी भी उम्मीद है कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री उनकी पुत्री की सही और पारदर्शी जांच करा देंगे। सपा सिर्फ पं. छन्नूलाल ही नहीं बल्कि कोविड -19 से पीड़ित उन सभी के साथ है जिनके परिवारीजन दिवंगत हुए हैं या उसका खामियाजा अभी भी भुगत रहे हैं ।
एमएलसी ने कहा कि इस बात का क्या जवाब है कि नम्रता मिश्रा ने 30 अप्रैल को अपनी बहन की मृत्यु के इलाज के बारे में मेडिविन अस्पताल में हुई लापरवाही से संबंधित इंस्पेक्टर पुलिस थाना कोतवाली को तीन मई को तहरीर दी थी। कायदे से तहरीर कोतवाली के रोजनामचे में आमद की जानी चाहिए थी। तफ्तीश व पूछताछ की जानी चाहिए थी, लेकिन 22 दिनों में ताजीरात हिंद व दंड अपराध प्रक्रिया संहिता का पालन न करके प्रशासनिक कार्रवाही का मुंह ताका गया जो विधि सम्मत नहीं है । श्रीशिव प्रसाद गुप्त अस्पताल के चिकित्सकों द्वारा जो जांच रिपोर्ट बनाई गई है उसे सार्वजनिक किया जाना जनहित में जरूरी है ताकि कोविड अस्पताल प्रबंधकों की लापरवाही की वजह से दिवंगत हुए लोगों के परिवारीजनों को भी जानकारी मिल जाए कि किस मानक के आधार पर कितनी धनराशि से इलाज किया गया और मानक अनुसार कितनी धनराशि ली जानी चाहिए थी।