भदोही में वेटनरी कालेज को लेकर शासन गंभीर, जिलाधिकारी से से रिपोर्ट तलब की
वेटनरी कालेज निर्माण में भूमि की अनुपलब्धता बाधा बन गई है। शासन ने एक बार फिर से मामले को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी आर्यका अखौरी से रिपोर्ट तलब की है। पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय मथुरा से हरी झंडी मिलने के बाद महत्वाकांक्षी योजना खटाई में पड़ती दिख रही है।
भदोही, जागरण संवाददाता। वेटनरी कालेज निर्माण में भूमि की अनुपलब्धता बाधा बन गई है। शासन ने एक बार फिर से मामले को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी आर्यका अखौरी से रिपोर्ट तलब की है। पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय मथुरा से हरी झंडी मिलने के बाद महत्वाकांक्षी योजना खटाई में पड़ती दिख रही है। काशीनरेश राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय की अधिग्रहित भूमि के मामले में भी उच्च शिक्षा विभाग की ओर से एनओसी नहीं मिल पाई है।
मुख्यमंत्री तीन जून 2018 को भदोही में पशु चिकित्सा महाविद्यालय के निर्माण की घोषणा की थी। मुख्यमंत्री की घोषणा में शामिल होने के एक सप्ताह के अंदर पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय मथुरा ने संबद्धता की स्वीकृति दे दी है लेकिन भूमि की उपलब्धता इस महत्वाकांक्षी योजना में बाधा बनती दिख रही है। नियमानुसार इस महाविद्यालय के निर्माण के लिए 55 एकड़ भूमि की जरूरत है। काशी नरेश राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय ज्ञानपुर के हास्टल के पास कुल 60 एकड़ भूमि थी। इसमें 15 एकड़ में कृषि विज्ञान भवन और सात एकड़ में ब्लाक लेवल कोर्ट कांप्लेक्स का निर्माण कराया जाना प्रस्तावित है। कृषि विज्ञान भवन का निर्माण कराया जा रहा है। इस प्रकार कालेज के पास महज चालीस एकड़ भूमि ही उपलब्ध हो पा रही है। सीएम द्वारा घोषणा हुए धीरे-धीरे तीन साल से अधिक समय बीत गए लेकिन अभी तक वेटनरी कालेज के निर्माण की फाइल आगे बढ़ती नहीं दिख रही है। इस मामले में तत्कालीन जिलाधिकारी राजेंद्र प्रसाद को शासन तलब भी कर चुका है। इसके बाद भी भूमि उपलब्ध नहीं कराया जा सका है। एक बार फिर शासन ने इसे गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी से रिपोर्ट तलब की है। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी जय सिंह ने बताया कि 55 एकड़ भूमि की आवश्यकता है लेकिन अभी तक महज 15 एकड़ ही मिल सका है। वह भी विभाग के नाम हैंडओवर नहीं हो सका है।
भूमाफिया के चंगुल में सैकड़ों एकड़ भूमि
जिले के भूमाफिया के चंगुल में सैकड़ों एकड़ भूमि फंसी हुई है लेकिन जिला प्रशासन हाथ नहीं डालना चाहता है। राजस्व कर्मियों के चलते शासन की शीर्ष प्राथमिकता में शामिल प्राेजेक्ट का निर्माण नहीं हो पा रहा है। हाईव पर स्थित नवधन, गोधना के अलावा जोराई आदि गांवों में सैकड़ों एकड़ भूमि पर अवैध कब्जा है लेकिन राजस्व अधिकारी जानकर अंजान बने हुए हैं।