वाराणसी के गांव में कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने में जुटा सरकारी महकमा, ग्रामीण नहीं हो रहे सावधान
कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए अफसर घर-घर दस्तक दे रहे हैं तो ग्रामीण चाैका-छक्का लगा रहे हैं। शाम होते ही गांव के युवा बैट-बाॅल लेकर मैदान में दिखाई दे रहें तो बड़े-बुजुर्ग उनका तालियों से उत्साहवर्धन। क्रिकेट मैदान में शारीरिक दूरी और मास्क दोनाें दिखाई नहीं देता है।
वाराणसी, जेएनएन। वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए अफसर घर-घर दस्तक दे रहे हैं तो ग्रामीण चाैका-छक्का लगा रहे हैं। शाम होते ही गांव के युवा बैट-बाॅल लेकर मैदान में दिखाई दे रहें तो बड़े-बुजुर्ग उनका तालियों से उत्साहवर्धन। क्रिकेट मैदान में शारीरिक दूरी और मास्क दोनाें दिखाई नहीं देता है। उनमें कौन संक्रमित और कौन नहीं यह पता लगाना मुश्किल है। गांवों में कोरोना संक्रमण की कड़ी तोड़ने के लिए जिला प्रशासन को इस पर भी रोक लगानी पड़ेगी, नहीं तो सारी मेहनत बेकार हो जाएगी।
पंचायत चुनाव के चलते गांवों में कोरोना संक्रमण पैर पसार चुका है। हर घर में कोई न कोई बीमार है। कई लोग कोरोना संक्रमण की जद में आ चुके हैं। शासन-प्रशासन गांवों में कोरोना संक्रमण की कड़ी को तोड़ने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। मजिस्ट्रेट, पुलिस अधिकारी के साथ ब्लाक स्तर के सभी अधिकारी घर-घर दस्तक देने के साथ कोरोना संक्रमण के लक्षण और बीमार लोगों को कोरोना दवा किट बांट रहे हैं। साथ में उन्हें घर से बाहर नहीं निकलने की नसीहत भी दे रहे हैं। ऐसे मकानों को भी चिह्नित कर रहे हैं जिनके पास सिर्फ एक कमरे हैं। उनके घर में कोई कोरोना संक्रमित या बीमार है तो उनके लिए ग्राम पंचायत के प्राथमिक स्कूलों में क्वारंटाइन सेंटर बनाने की तैयारी कर रहे हैं।
सभी तैयारियों के बीच गांवों में क्रिकेट समेत अन्य खेल खेलना महंगा पड़ सकता है। क्योंकि खेलने के दौरान लोग तेजी से सांस लेते हैं। साथ में मुंह से उनके मास्क गायब रहते हैं। जीत के साथ एक-दूसरे को बधाई तक देते हैं। इस बारे में जिला पंचायत राज अधिकारी शाश्वत आनंद सिंह का कहना है कि वैश्विक महामारी तक लोगों को घरों में रहना चाहिए। लापरवाही खुद के साथ उनके परिवार के लिए काफी नुकसान दायक हो सकता है। मास्क तो मुंह से हटना ही नहीं चाहिए।