बलूचिस्तान की स्वतंत्रता को भारत सरकार स्पष्ट नीति बनाये, 14 अगस्त को मानते हैं काला दिवस

हिंद-बलूच फोरम के तत्वावधान में आयोजित 14 अगस्त ऐतिहासिक सभ्यताओं के लिए एक काला दिन विषयक वेबिनार में वक्‍ताओं ने सिंध बलूच और पख्तून इसे काला दिवस मानते हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Sat, 15 Aug 2020 12:38 AM (IST) Updated:Sat, 15 Aug 2020 09:37 AM (IST)
बलूचिस्तान की स्वतंत्रता को भारत सरकार स्पष्ट नीति बनाये, 14 अगस्त को मानते हैं काला दिवस
बलूचिस्तान की स्वतंत्रता को भारत सरकार स्पष्ट नीति बनाये, 14 अगस्त को मानते हैं काला दिवस

वाराणसी, जेएनएन। पाकिस्तान भले ही 14 अगस्त को अपना स्वतंत्रता दिवस मनाता है लेकिन सिंध, बलूच और पख्तून इसे काला दिवस मानते हैं। पाकिस्तान आतंकवाद का केंद्र है। वह आतंकवाद की नाभि है। ऐसे विचार शुक्रवार को हिंद-बलूच फोरम के तत्वावधान में आयोजित 14 अगस्त : ऐतिहासिक सभ्यताओं के लिए एक काला दिन विषयक वेबिनार में उभरकर आये। वक्ताओं ने पाकिस्तान को जहां हजारों वर्ष पुरानी संस्कृतियों का हत्यारा कहा वहीं बलूचिस्तान की स्वतंत्रता के लिए भारत सरकार और यहां के लोगों का समर्थन जरूरी बताया। वेबीनार में बलूचिस्तान की स्वतंत्रता के लिए भारत सरकार को स्पष्ट नीति बनाने की पुरजोर वकालत की गई।

वेबिनार में अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री और हिंद बलोच फोरम के संस्थापक स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती, अफगानिस्तान के गोर प्रांत के पूर्व गवर्नर और वर्तमान में गवर्नर्स असोसिएशन ऑफ़  अफगानिस्तान के अध्यक्ष डॉक्टर अब्दुल्ला हैवद, बलूचिस्तान नेशनलिस्ट मूवमेंट के डॉक्टर जफर बलोच, पाकिस्तान के कब्‍जे वाले कश्मीर से मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉक्टर अहमद बेग मिर्जा, सिंध प्रांत से मानवाधिकार कार्यकर्ता जफर सहितो, पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदायों के प्रतिनिधि के तौर पर सिंध के यशवंत महाराज और हिंद बलोच फोरम के अंतरराष्ट्रीय संयोजक गोविंद शर्मा ने संबोधित किया। चर्चा का संचालन वरिष्ठ पत्रकार संदीप झा ने किया।

हिंद-बलूच फोरम के संस्थापक स्वामी जीतेन्द्रानंद सरस्वती पाकिस्तान न सिर्फ़ अपने पड़ोसी देशों के लिए बल्कि पूरी दुनिया के ऊपर एक बोझ है। पाकिस्तान आतंकवाद का नाभि केंद्र है। डॉक्टर अब्दुल्ला हैवद ने कहा कि 1947 में जब पाकिस्तान का जन्म हुआ तो तमाम देशों ने पाकिस्तान को मान्यता दी लेकिन  अफगानिस्तान ने उस वक़्त पाकिस्तान को मान्यता नहीं दी थी। अफगानिस्तान के अंदर जो आज आतंकवाद है वह भी पाकिस्तान के द्वारा पोषित है।

बलोचिस्तान नेशनलिस्ट मूवमेंट के सचिव डॉक्टर जफ़र बलोच ने कहा कि बलोच कौम का इतिहास हज़ारों वर्षों का है और बलोचिस्तान को आज़ादी भी हिंदुस्तान और पाकिस्तान से पहले 11 अगस्त को ही मिल गई थी। बलूचिस्तान की आज़ादी के संघर्ष में हमें भारत सरकार और भारत के लोगों की मदद की ज़रूरत है। सिंध के मानवाधिकार कार्यकर्ता जफ़र सहीतो ने कहा कि पाकिस्तान ने हज़ारों वर्ष पुरानी संस्कृतियों की हत्या की है और सिंध और बलूचिस्तान के लोगों पर पाकिस्तान का अत्याचार आज भी जारी है। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉक्टर अहमद बेग मिर्जा ने कहा कि पाकिस्तान 14 अगस्त को आजाद हुआ था, यह एक ग़लत तथ्य है। पन्द्रह अगस्त 1947 से पहले पाकिस्तान नामक का देश दुनिया के नक़्शे पर मौजूद ही नहीं था। 14 अगस्त को पाकिस्तान के पंजाबी हुक्मरान आज़ादी के दिन के तौर पर मनाते हैं लेकिन सिंध, बलोच और पश्तून इसे काले दिन के तौर पर मनाते हैं। हिंद बलोच फ़ोरम के अंतर राष्ट्रीय संयोजक गोविंद शर्मा ने कहा कि  भारत सरकार को बलूचिस्तान के विषय पर एक स्पष्ट नीति बनानी चाहिए। बलूचिस्तान के विषय पर भारत के अंदर जनमत तैयार करने के लिए अभियान चलाया जाएगा।

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