ग्लोबल गार्बेज मैन डे : वाराणसी में मंगल केवट के मंगल काज से चमक रहा राजघाट पुल
वाराणसी के राजघाट पुल से गुजरते समय गौर करें वहां पर गंदगी नही नजर आएगी। यह किसी सरकारी प्रयास का परिणाम नहीं है बल्कि मंगल केवट के मंगल काज का परिणाम है। रोजी रोटी के इंतजाम से समय निकाल कर वे रोजाना दो घंटे पुल का कोना-कोना साफ करते हैं।
वाराणसी [विनोद ]। राजघाट पुल से गुजरते समय गौर करें वहां पर गंदगी नही नजर आएगी। यह किसी सरकारी प्रयास का परिणाम नहीं है बल्कि मंगल केवट के मंगल काज का परिणाम है। रोजी रोटी के इंतजाम से समय निकाल कर वे रोजाना दो घंटे पुल का कोना-कोना साफ करते हैं। कचरा उठाते हैं और खुद रिक्शा ट्राली चलाते हुए नगर निगम के कंटेनर में फेंक आते हैं। स्वच्छता के उनके संकल्पों को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बड़ालालपुर स्थित पं. दीनदयाल उपाध्याय हस्तकला संकुल में आयोजित एक कार्यक्रम में सम्मानित किया था।
डोमरी निवासी मंगल केवट निस्वार्थ सेवाभाव की नजीर हैं। कोई और होता तो पहले गरीबी के कारण लड़खड़ाते जीवन को संभालने व संवारने का उद्यम करता, मगर मंगल ने अपनी मुश्किलों को दरकिनार कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वच्छ भारत की अपील को सिर माथे लिया ताकि समाज स्वस्थ्य रहे। टीबी पीड़ित बेटे के कष्ट ने मंगल केवट को समाज में मंगल काज के लिए प्रेरित किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 67वें जन्मदिन से शुरू हुआ मंगल का सफाई अभियान अब तक जारी है। घरेलू जिम्मेदारियों व काम के बीच दो घंटे समय निकालकर मंगल हर दिन राजघाट यानी मालवीय पुल की मन से सफाई करते हैं। राजघाट के उस पार डोमरी गांव निवासी 40 वर्षीय मंगल केवट की यह पहल कई लोगों को सफाई के लिए प्रेरित कर चुकी है। मंगल बताते हैं कि पीएम मोदी के 67वें जन्मदिन से अब तक रोज दो घंटे मालवीय पुल की सफाई करते हैं। इससे पहले लहुराबीर पार्क स्थित चंद्रशेखर आजाद स्मारक व चौराहे और मलदहिया चौराहा स्थित सरदार वल्लभ भाई पटेल स्मारक की सफाई करते रहे हैं। चौराहे के चहुंओर फैली गंदगी को साफ करते थे। मंगल के परिवार में पत्नी व तीन बच्चे हैं। बड़ा बेटा टीबी से संक्रमित था जिसका इलाज रामनगर स्थित लाल बहादुर राजकीय अस्पताल में होता था। मंगल केवट राजादरवाजा में रिक्शा चलाकर परिवार का भरण-पोषण करते हैं।
स्वच्छता का संकल्प लेकर छोड़ा चप्पल पहनना
पीएम मोदी से प्रेरित मंगल केवट ने स्वच्छता का संकल्प लेकर चप्पल पहनना छोड़ दिया। चार साल से गर्मी, बरसात व सर्द मौसम में नंगे पांव ही चलते हैं। कहते हैं कि नंगे पांव उनको हर वक्त संकल्प का याद दिलाते हैं। पिता स्व. धरमू प्रसाद को याद करते हुए बताया कि जब वे जिंदा थे तो रोज सक्का घाट की सफाई करते थे। पीएम मोदी से स्वच्छता की प्रेरणा मिली तो पिता के श्रमदान को याद कर खुद भी राजघाट पुल की सफाई में लग गया जो अब तक जारी है।