काशी क्षेत्र के छह समेत प्रदेश के आठ उत्पादों को जीआइ टैग, बनारस के 18 उत्‍पाद अब तक शामिल

GI tag for Varanasi काशी क्षेत्र के छह उत्पादों समेत प्रदेश को आठ और जीआइ टैग मिले हैं। इसमें बनारस जरदोजी क्राफ्ट बनारस वुड काॄवग बनारस हैंड ब्लाक प्रिंट मीरजापुर पीतल बर्तन चुनार ग्लेज पाटरी मऊ साड़ी के साथ बागपत का रतोल आम और महोबा का देशावरी पान है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Wed, 06 Oct 2021 09:33 AM (IST) Updated:Wed, 06 Oct 2021 01:51 PM (IST)
काशी क्षेत्र के छह समेत प्रदेश के आठ उत्पादों को जीआइ टैग, बनारस के 18 उत्‍पाद अब तक शामिल
काशी क्षेत्र के छह उत्पादों समेत प्रदेश को आठ और जीआइ (जियोग्राफिकल इंडीकेशन) टैग मिले हैं।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। हुनर के लिए ख्यात काशी क्षेत्र के छह उत्पादों समेत प्रदेश को आठ और जीआइ (जियोग्राफिकल इंडीकेशन) टैग मिले हैं। इसमें बनारस जरदोजी क्राफ्ट, बनारस वुड काॄवग, बनारस हैंड ब्लाक प्रिंट, मीरजापुर पीतल बर्तन, चुनार ग्लेज पाटरी, मऊ साड़ी के साथ ही बागपत का रतोल आम और महोबा का देशावरी पान शामिल है। इसके साथ ही काशी क्षेत्र में जीआइ उत्पादों की संख्या 18 तो प्रदेश में 34 हो गई है।

कंट्रोलर जनरल पेटेंट, डिजाइन, ट्रेडमार्क एवं जीआइ रजिस्ट्री और प्रदेश सरकार के संयुक्त तत्वावधान में मंडलायुक्त सभागार में आयोजित समारोह में इन प्रमाण पत्रों को संबंधित आवेदकों व सुविधादाताओं को सौंपा गया। डिप्टी रजिस्ट्रार जीआइ सचिन शर्मा व कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने इसे शुभकामना के साथ प्रदान किया। इसके अलावा मीरजापुर दरी व भदोही कालीन के 34 यूजर प्रमाण पत्र बांटे गए।

अयोध्या से बतौर मुख्य अतिथि आनलाइन जुड़े पर्यटन, संस्कृति, धर्मार्थ कार्य प्रोटोकाल राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार डा. नीलकंठ तिवारी ने कहा कि वाराणसी के 12 जीआइ उत्पादों को संरक्षित करने का कार्य कर लिया गया है। इससे विश्व में इनकी पहचान बढ़ेगी। वैश्विक स्तर पर भारत की भूमि, कारीगरों को पहचान व सम्मान मिल रहा है।

कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने कहा कि मार्केटिंग में ब्रांड का बड़ा महत्व है। जीआइ किसी उत्पाद की विशेष जगह, विशेष परंपरा, विशेष लक्षणों को इंगित करता है। जीआइ टैग से संबंधित उत्पादों को पूरी दुनिया में कानूनी संरक्षण प्राप्त हो जाएगा। बनारस से सीधे विश्व में कहीं भी निर्यात की व्यवस्था की जा रही है। इसके लिए पैकेजिंग के लिए पैक हाउस बनाया जा रहा है। समारोह में जीआइ के लिए आवेदन, पंजीकरण, संक्षिप्त प्रक्रिया की जानकारी दी गई। जिलाधिकारी कौशलराज शर्मा, नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक डा. डीएस चौहान, सीनियर एक्सेमिनर प्रशांत कुमार आदि ने भी विचार व्यक्त किए तो डीपीआइटीटी के सचिव व संयुक्त सचिव, बौद्धिक संपदा अधिकार के कंट्रोलर जनरल आनलाइन जुड़े। संचालन जीआइ विशेषज्ञ पदमश्री डा. रजनीकांत ने किया।

बनारसी पान का बीड़ा पाएगा पहचान : बनारसी पान के जीआइ पंजीकरण के लिए विशेषज्ञों के साथ वाराणसी तांबूल विक्रेता सिमिति की बैठक हुई। इसमें राजेंद्र चौरसिया ने कहा कि बरई सभा काशी और वाराणसी तांबूल विक्रेता समिति को जीआइ टैग के लिए आवेदन कराना चाहिए, उन्हेंं ही इसका क्रेडिट भी मिलना चाहिए। उन्होंने उम्मीद जताई कि भ्रम को दूर करके सही संस्था को बनारसी पान के नाम पर जीआइ टैग दिया जाए।

काशी क्षेत्र में पहले से जीआइ टैग : बनारसी साड़ी, भदोही कालीन, मीरजापुर दरी, निजामाबाद ब्लैक पाटरी, गाजीपुर वाल हैैंगिंग, बनारस साफ्ट स्टोन जाली क्राफ्ट, बनारस ग्लास बीड्स, बनारस मेटल रिपोजी, गुलाबी मीनाकारी व वुडेन लेकर वेयर, चुनार बलुआ पत्थर, गोरखपुर टेराकोटा।

chat bot
आपका साथी