प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के अभिनंदन के लिए जीआइ टैग 'बनारस जरदोजी अंगवस्त्र' तैयार

डिजाइन तैयार करने में लल्लापुरा निवासी युवा शिल्पी सादाब आलम जुट गए और मास्टर शिल्पी मुमताज अली के साथ लग कर मैरून कलर के वस्त्र पर गोल्डन ज़री से काशी लिख कर उभार दिया फिर मंदिर की आकृति उसपर त्रिशूल और पताका को बनाया गया।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Sat, 23 Oct 2021 08:23 PM (IST) Updated:Sat, 23 Oct 2021 09:21 PM (IST)
प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के अभिनंदन के लिए जीआइ टैग 'बनारस जरदोजी अंगवस्त्र' तैयार
काशी लिख कर उभार दिया फिर मंदिर की आकृति उसपर त्रिशूल और पताका को बनाया गया।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। काशी के उत्कृष्ट जीआइ पंजीकृत क्राफ्ट में शुमार बनारस जरदोज़ी के अंगवस्त्र से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का काशी की पवित्र धरती पर अभिनन्दन किया जाएगा। पद्मश्री डॉ. रजनी कांत ने बताया कि अभी हाल में ही बनारस जरदोज़ी क्राफ्ट को जीआई का दर्जा प्राप्त हुआ और यह क्राफ्ट भी देश की बौद्धिक संपदा में शुमार हो गया तो यह निर्णय लिया गया कि इस बार जरदोज़ी के अंगवस्त्र से ही स्वागत किया जाए।

इसके उपरांत डिजाइन तैयार करने में लल्लापुरा निवासी युवा शिल्पी सादाब आलम जुट गए और मास्टर शिल्पी मुमताज अली के साथ लग कर मैरून कलर के वस्त्र पर गोल्डन ज़री से काशी लिख कर उभार दिया फिर मंदिर की आकृति उसपर त्रिशूल और पताका को बनाया गया। नीचे सिल्वर ज़री से गंगा की लहरों को दर्शाया गया है। यह सर्वविदित है कि प्रधानमंत्री का काशी और गंगा मैया के प्रति गहरा लगाव है, और मंदिरों के संरक्षण और विस्तार का अद्भुत उदाहरण श्री काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर है , इसी लिए विकास की इस यात्रा में इन प्रतीकों का प्रयोग किया गया है।

ज्ञात हो कि इसके पूर्व भी रुद्राक्ष अंगवस्त्र इन्ही शिल्पियों द्वारा तैयार किया गया था जो प्रधानमंत्री जी के रुद्राक्ष कन्वेंशन सेन्टर के उद्घाटन के अवसर पर दिया था। इस पर भी रुद्राक्ष शब्‍द अं‍कित किया गया था। इसके बाद से ही बनारस के यह उत्‍पाद काफी चर्चा में आ गए थे। रुद्राक्ष के लोकार्पण के बाद अब पीएम नरेंद्र मोदी वाराणसी में एक बार फ‍िर से अरबों की सौगात देने आ रहे हैं। इसके बाद अब पीएम का स्‍वागत करने के लिए जीआइ विशेषज्ञों की ओर से पीएम का उनके संसदीय क्षेत्र में जीआइ उत्‍पादों से स्‍वागत करने की मंशा जताई गई। इसके बाद शिल्‍पी सादाब आलम ने निर्देशों के अनुसार ही काशी की पहचान से जुड़े त्रिशूल, काशी और मंदिर से जुड़े पहचान को अंगवस्‍त्र पर उकेरा है।   

chat bot
आपका साथी