गाजीपुर जिला पंचायत अध्‍यक्ष : सपा के समक्ष ढाई दशक के किले को बचाने की कठिन चुनौती

ढाई दशक से गाजीपुर जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर काबिज रहने वाली सपा इस बार अपना किला बचा पाएगी कहना जरा मुश्किल है। कांग्रेस व बसपा तो फिलहाल इस चुनाव में भागीदारी के मूड में नहीं दिख रहे हैं लेकिन भाजपा ने पूरी तरह कमर कस लिया है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Mon, 21 Jun 2021 08:02 PM (IST) Updated:Mon, 21 Jun 2021 08:02 PM (IST)
गाजीपुर जिला पंचायत अध्‍यक्ष : सपा के समक्ष ढाई दशक के किले को बचाने की कठिन चुनौती
जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर काबिज रहने वाली सपा इस बार अपना किला बचा पाएगी कहना जरा मुश्किल है।

गाजीपुर, जेएनएन। ढाई दशक से जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर काबिज रहने वाली सपा इस बार अपना किला बचा पाएगी कहना जरा मुश्किल है। कांग्रेस व बसपा तो फिलहाल इस चुनाव में भागीदारी के मूड में नहीं दिख रहे हैं, लेकिन भाजपा ने पूरी तरह कमर कस लिया है। निर्वाचित जिला पंचायत सदस्यों में निर्दल चुनाव जीतने वालों की संख्या ज्यादा है। उनका क्या रुख होगा यह अहम है। हालांकि पैंतरेबाजी का दौर जारी है, भले ही अभी सपा को छोड़ औरों के नाम पर मुहर लगनी बाकी है।

पिछले ढाई दशक से समाजवादी पार्टी ने अपने गढ़ में सेंध नहीं लगने दी थी। हालांकि इस बार की स्थितियां भिन्न हैं। पिछले 25 सालों के इतिहास पर गौर करें तो 1995 से 2000 तक सपा की डा. सीमा यादव जिला पंचायत अध्यक्ष रहीं। 2000 से 2005 तक राधेमोहन सिंह और 2005 से 2010 तक बीना यादव ने सपा का परचम लहराया। 2010 में सपा से ही गीता पासी अध्यक्ष चुनी गईं, लेकिन बीच में सदन में विश्वास मत नहीं हासिल कर पाने के कारण उन्हें जाना पड़ा। इसके बाद विपक्षी दलों ने अध्यक्ष पद हथियाने के लिए पुरजोर प्रयास किया, लेकिन फिर से सपा की पंचरत्न देवी इस पद पर आसीन हो गईं। 2015 में डा. वीरेंद्र यादव अध्यक्ष बने, लेकिन 2017 में विधानसभा चुनाव जीतने पर उन्हें यह पद छोड़ना पड़ा। एक बार फिर विपक्षी दलों ने प्रयास किया, लेकिन सपा की आशा देवी अध्यक्ष बनीं। ढाई दशक के बाद ऐसा मौका आया है जब सपा उतनी मजबूत नहीं दिख रही है जितनी बीते वर्षों में थी। अब तक भाजपा ने पत्ता नहीं खोला है, लेकिन वह मजबूत उम्मीदवार को लेकर मंथन कर रही है। वर्तमान पंचायत चुनाव के बाद सभी प्रमुख दलों की स्थिति पर नजर डाली जाए तो इसमें सपा के सदस्यों की संख्या कुछ अधिक जरूर है, लेकिन जीत-हार निर्दल ही तय करेंगे।

कुसुमलता यादव को अध्यक्ष पद का प्रत्याशी बनाया

पिछले 25 सालों से जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर हमारा कब्जा है। इस बार भी जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर सपा का कब्जा होगा। पार्टी ने जमानियां प्रथम से जिला पंचायत सदस्य निर्वाचित हुई कुसुमलता यादव को अध्यक्ष पद का प्रत्याशी बनाया है।

-रामधारी यादव, सपा जिलाध्यक्ष।

10 सीटों पर हमारी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने जीत दर्ज की

10 सीटों पर हमारी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने जीत दर्ज की है। जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर पार्टी के दावेदारी के बारे में अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है। पार्टी प्रमुख मायावती का निर्देशानुसार हम चुनाव में कार्य करेंगे।

-अजय कुमार भारती, बसपा जिलाध्यक्ष।

एक-दो दिन में पार्टी प्रत्याशी घोषित कर देगी

भले ही सपा-बसपा हमारे छह के मुकाबले कुछ सीटें अधिक जीती हैं, लेकिन जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में जीत की पूरी संभावना है। एक-दो दिन में पार्टी प्रत्याशी घोषित कर देगी।

-भानुप्रताप सिंह, भाजपा जिलाध्यक्ष।

कांग्रेस इस बार अध्यक्ष पद पर उम्मीदवार घोषित नहीं करेगी

जिला पंचायत सदस्य चुनाव में पार्टी के दो कार्यकर्ताओं ने जीत दर्ज की है। हमारी पार्टी इस बार अध्यक्ष पद पर उम्मीदवार घोषित नहीं करेगी, लेकिन हम भाजपा को चुनाव नहीं जीतने देंगे।

-सुनील राम, कांग्रेस जिलाध्यक्ष।

chat bot
आपका साथी