आजमगढ़ में जन्मी गौहर जान को भारत की पहली रिकार्डिंग सुपर स्टार का मिला था दर्जा
भारत की पहली रिकार्डिंग सुपरस्टार गौहर जान का जन्म आजमगढ़ में 26 जून 1873 को एंजेलीना योवार्ड के रूप में हुआ था। वह भारत की पहली गायिका थी जिन्होंने भारतीय संगीत के इतिहास में अपने गाए गानों की रिकार्डिंग कराई थी।
आजमगढ़, जेएनएन। भारत की पहली रिकार्डिंग सुपरस्टार गौहर जान का जन्म आजमगढ़ में 26 जून 1873 को एंजेलीना योवार्ड के रूप में हुआ था। वह भारत की पहली गायिका थी, जिन्होंने भारतीय संगीत के इतिहास में अपने गाए गानों की रिकार्डिंग कराई थी। यही कारण है कि उन्हें भारत की पहली रिकार्डिंग सुपरस्टार का दर्जा मिला था।
गौहर जान को उनकी ठुमरी, दादरा, कजरी, चैती और भजन के विशेष गायन के लिए जाना जाता है। इन्होंने 20 भाषाओं में ठुमरी से लेकर भजन तक गाए हैं। इनका संगीत 78 आरपीएम पर रिकार्ड किया गया था। इनके करीब 600 गीत रिकार्ड किए थे। यही नहीं, गौहर जान दक्षिण एशिया की पहली गायिका थीं, जिनके गीत ग्रामाफोन कंपनी ने रिकार्ड किए। उनका दबदबा ऐसा था कि रियासतों और संगीत सभाओं में उन्हें बुलाना प्रतिष्ठा की बात हुआ करता थी। गौहर जान के पिता अर्मेनियन विदेशी इंजीनियर थे लेकिन माता विक्टोरिया हेमिंग्स जन्म से भारतीय थीं। पति से संबंध विच्छेद के बाद उनकी मां विक्टोरिया ने एक मुस्लिम युवक से शादी कर ली और अपना नाम मल्लिका जान और बेटी का नाम गौहर जान रख लिया। गौहर जान के पिता विलियम राबर्ट शहर के एलवल मोहल्ला स्थित एक बर्फ कारखाने में इंजीनियर के रूप में काम करते थे। पिता से तलाक होने के बाद गौहर जान मां के साथ 1881 में बनारस(वाराणसी) चली गईं थीं।
मां मल्लिका ने बनारस में बटोरी थी ख्याति
संगीत व नृत्य की शौकीन मल्लिका ने बनारस में गायिकी और नृत्य में ख्याति बटोरी। जिसमें बेटी को भी पारंगत किया। इसके लिए पटियाला के काले खान उर्फ कालू उस्ताद, रामपुर के उस्ताद वजीर खान, पटियाला घराने के उस्ताद अली बख्श से हिंदुस्तानी गायन के गुर सीखे। कथक गुरु वृंदादीन महाराज से कथक, सृजनबाई से ध्रुपद व चरनदास से बंगाली कीर्तन में शिक्षा ग्रहण की।
आलीशान जिंदगी
गौहर की आलीशान जिंदगी के बारे में इससे ही समझा जा सकता है कि अपनी बिल्ली के बच्चे के पैदा होने पर पार्टी में उन्होंने उस दौर में 20 हजार रुपये खर्च किए थे। कोलकाता में प्रवास के दौरान वे नियम के विरुद्ध चार घोड़ों वाली बग्घी पर चलने के लिए वायसराय को रोजाना एक हजार रुपये जुर्माना भी अदा करती थीं। उनका 17 जनवरी 1930 को मैसूर में निधन हो गया।
ग्रामोफोन कंपनी आफ इंडिया ने गीतों की जारी की थी 600 डिस्क
विक्रम संपत की ‘पुस्तक माय नेम इज गौहर जान' में उनके जीवन से जुड़े विभिन्न तथ्य मिलते हैं। जिसमें गौहर जान के 13 वर्ष की उम्र में दुष्कर्म की शिकार होने, संगीत की बुलंदियों को छूने और आलीशान जिंदगी जीने का जिक्र है। गौहर जान ने 20 भाषाओं में ठुमरी, कजरी, चैती, भजन समेत गीत गाए। वर्ष 1902 से 1920 के बीच द ग्रामोफोन कंपनी आफ इंडिया ने हिंदी-ऊर्दू, बंगला, गुजराती, मराठी, तमिल, अरबी, फारसी, पश्तो, अंग्रेजी व फ्रेंच गीतों की 600 डिस्क जारी की थी।
- जगदीश प्रसाद बरनवाल ‘कुंद’, साहित्यकार व लेखक।