वाराणसी के गंगा छोर पर होगा गेटवे आफ कारिडोर, जलाभिषेक के लिए पहुंच सकेंगे सीधे बाबा के दरबार
Shri kashi Vishwanath Corridor श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के गंगा छोर पर बन रहा द्वार गेटवे आफ कारिडोर होगा। सड़क से गंगा तट मणिकर्णिका घाट-जलासेन व ललिता घाट तक 50 200 वर्ग मीटर में विस्तारित तीनों द्वारों में आकर्षक होगा ही धर्मशास्त्रीय विधान में सर्वाधिक मान होगा।
वाराणसी, प्रमोद यादव। Shri kashi Vishwanath Corridor: बाबा दरबार से गंगधार को एकाकार कर रहे श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के गंगा छोर पर बन रहा द्वार गेटवे आफ कारिडोर होगा। सड़क से गंगा तट मणिकर्णिका घाट-जलासेन व ललिता घाट तक 50, 200 वर्ग मीटर में विस्तारित कारिडोर के तीनों द्वारों में आकर्षक तो होगा ही धर्मशास्त्रीय विधान अनुसार भी इसका सर्वाधिक मान होगा। वास्तव में काशी में बाबा विश्वनाथ के दर्शन से पहले गंगा स्नान या आचमन की मान्यता है। काशी-विश्वनाथ-गंगे का धर्म दर्शन भी इससे ही मूर्त रूप ले पाएगा। इस लिहाज से जलासेन घाट पर बनाए जा रहे गेट को खास रूप दिया जाएगा।
नक्काशीदार पत्थर व लकड़ियां कारिडोर के अन्य तीन द्वार गिट्टी से ढाले जा रहे तो गंगा छोर पर यह पूर्वी गेट मुख्य परिसर के चार द्वारों की तरह चुनार के पत्थरों से आकार दिया जाएगा। ऊंचाई 32 फीट व चौड़ाई 90 फीट होगी। दरवाजे नक्काशीदार लकड़ी के होंगे और पीतल से सज्जा भी की जाएगी।
जलमार्ग से आने के लिए 55 मीटर अंदर तक जेटी : कारिडोर से इस प्रवेश द्वार पर श्रद्धालु नाव-बजड़ों या हाल ही लोकार्पित रो पैक्स व जलयान से आ सकेंगे। इसके लिए ललिता घाट पर गंगा में 55 मीटर लंबी व सात मीटर चौड़ी जेटी ढाल दी गई है। इसके दोनों ओर नाव-बजड़े लग सकेंगे। अस्सी, दशाश्वमेध से तो नाव-बजड़े मिलेंगे ही सड़क व रेल मार्ग से जुड़े खिड़किया घाट को नया रूप दिया जा रहा है। यहां काशी दर्शन के लिए हेलीकाप्टर व्यवस्था भी प्रस्तावित है।
द्वार के एक ओर रैंप, दूसरी तरफ कैफेटेरिया : गंगा द्वार के एक ओर रैंप भवन होगा ताकि वृद्धजन व असहायों को व्हील चेयर से कारिडोर में ले जाया जा सके। रैंप का यह हिस्सा मणिकर्णिकाघाट से लगा होगा। इस घाट पर सीढिय़ों के साथ ही गंगधार तक जाने के लिए भी रैंप बनाया जाएगा। दूसरी ओर बन रहे कैफेटेरिया से गंगा की छटा निहारी जा सकेगी।
20 मीटर चौड़े होंगे तीनों घाट : कारिडोर के गंगा छोर के तीनों घाटों की चौड़ाई कर्व अनुसार 10 से 20 मीटर तक बढ़ाई जा रही है। इसके लिए लगभग 200 मीटर लंबाई में डायाफ्राम वाल पहले ही तैयार की जा चुकी है। अब इस पर टाइल्स लगाने की तैयारी हो रही है। मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी एसके वर्मा के अनुसार बाढ़ से पहले घाट के निचले हिस्से का कार्य पूरा कर लेने का लक्ष्य है।