वाराणसी में 24 घंटे में 28 सेमी बढ़ा गंगा का जल स्तर, पहुंचा 61.11 मीटर तक पानी
सोमवार की शाम छह बजे वाराणसी में गंगा का जलस्तर जहां 60.83 मीटर ही था वहीं मंगलवार को यह आंकड़ा 61.11 मीटर पर पहुंच गया।
वाराणसी, जेएनएन। गंगा का जलस्तर अब तेजी से बढऩे लगा है। सोमवार की शाम छह बजे वाराणसी में गंगा का जलस्तर जहां 60.83 मीटर ही था वहीं मंगलवार को यह आंकड़ा 61.11 मीटर पर पहुंच गया। इसके कारण गंगा एवं वरुणा तटवर्ती इलाकों में बसे लोगों की धडकनें तेज होने लगी हैं। वहीं प्रशासन भी अब अलर्ट मोड में आने लगा है। कारण कि गंगा अब प्रति दो घंटे में एक सेमी की रफ्तार से बढ?े लगी हैं।
लगातार डेढ़ पखवारे से हो रही बारिश का असर गंगा नदी पर भी पडऩे लगा है। पिछले 24 घंटे में ही 28 सेमी बढ़कर गंगा अब तेजी से बढ़ लगी है। अगर यही स्थिति रही तो जल्द ही अब चेतावनी बिंदु (70.26) मीटर की ओर जा सकती हैं। रविवार की शाम को जलस्तर जहां 60.72 मीटर था वहीं सोमवार की शाम को छह बजे तक बढ़कर 60.83 मीटर पर आ गया। केंद्रीय जल आयोग के मंगलवार की शाम को गंगा 61.11 मीटर पर पहुंच गई थीं। आयोग के अनुसार पांच जून को गंगा का जलस्तर 59.39 मीटर था। वहीं करीब 15 जून को यहां पर मानसून आ गया। इसके बाद से ही गंगा का जलस्तर धीरे-धीरे बढऩे लगा। जून में ही गंगा 60 मीटर के ऊपर बहने लगी है। अब 61 मीटर के ऊपर पहुंच गई हैं। अगर यही रफ्तार रही तो जल्द ही बाढ़ आ सकती है।
बाढ़ का खतरा सिर पर, प्रशासन की तैयारी अधूरी
लगातार हो रही बारिश के चलते इस बार बाढ़ आने का खतरा बढ़ गया है। अगस्त महीने में आने वाले बाढ़ को लेकर लोग अभी से चिंतित होने लगे हैं। गंगा किनारे रहने वाले लोगों का कहना है कि आए दिन हो रही बारिश को देखकर यही लगता है कि इस बार बाढ़ निश्चित रूप से आएगी। ऐसे में सतर्क रहना बहुत जरूरी हो गया है। बाढ़ आने पर मीरजापुर के कई गांव डूब जाते हैं और पूरी खेती जलमग्न हो जाती है। एक महीने बचे इस खतरे को आने में लेकिन प्रशासन की ओर से अभी कोई तैयारी नहीं की गई। केवल बैठककर अधिकारियों को तैयार पूरी करने के निर्देश दिए गए हैं। आषाढ़ का महीना खत्म होने के साथ ही सावन शुरू हो गया है। बारिश भी लगातार हो रही हैं। ऐसे में जिले पर इस बार बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। हर साल जुलाई और अगस्त के महीने में कई बांधों से पानी छोड़े जाने के चलते गंगा उफान पर होती है जिससे किनारे रहने वाले ग्रामीणों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने के साथ-साथ संपत्ति नुकसान भी कम हो, इस पर भी मंथन होता है, लेकिन प्रशासन की ओर से अभी तक कोई तैयारी नहीं की गई हैं। जबकि पिछले वर्ष जून तक बाढ़ से निपटने के लिए सारी तैयारी पूर्ण कर ली गई थी।