स्वर्ग में गंगा की उत्पत्ति का पावन पर्व गंगा सप्तमी 19 मई को, जानिए पूजन और स्‍नान की मान्‍यता

गंगा सप्तमी का पर्व 19 मई बुधवार को विधि-विधान पूर्वक मनाया जाएगा। वैशाख शुक्ल पक्ष की मध्यान्ह व्यापिनी सप्तमी तिथि के दिन मनाया जाता है। इस बार वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 18 मई मंगलवार को दिन में 1233 पर लगेगी।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Tue, 18 May 2021 02:54 PM (IST) Updated:Tue, 18 May 2021 02:54 PM (IST)
स्वर्ग में गंगा की उत्पत्ति का पावन पर्व गंगा सप्तमी 19 मई को, जानिए पूजन और स्‍नान की मान्‍यता
गंगा सप्तमी के अवसर पर मां गंगा में डुबकी लगाने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं।

वाराणसी, जेएनएन। भारतीय संस्कृति में हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार विशिष्ट माह की विशिष्ट अतिथियों पर देवी-देवताओं का प्रकट दिवस श्रद्धा भक्ति भाव से मनाने की धार्मिक मान्यता रही है। ज्योतिष आचार्य विमल जैन के अनुसार वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन मां गंगा स्वर्ग लोक से भगवान शिव की जटाओं से धरती पर अवतरित हुई थींं। गंगा को समस्त नदियों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है।

इस बार गंगा सप्तमी का पर्व 19 मई बुधवार को विधि-विधान पूर्वक मनाया जाएगा। वैशाख शुक्ल पक्ष की मध्यान्ह व्यापिनी सप्तमी तिथि के दिन मनाया जाता है। इस बार वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 18 मई मंगलवार को दिन में 12:33 पर लगेगी जो कि अगले दिन 19 मई बुधवार को दिन में 12:51 तक रहेगी। गंगा सप्तमी के अवसर पर मां गंगा में डुबकी लगाने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं और मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। गंगा में डुबकी लगाने की स्थिति में नहाने के जल में थोड़ा सा गंगा जल मिलाकर स्नान करने से वही फल प्राप्त होता है। वैसे तो गंगा स्नान का अपना ही अलग महत्व है लेकिन इस दिन स्नान करने से मनुष्य सभी दुखों से मुक्ति पा जाता है।

मां गंगा का पवित्र पावन मंत्र : ओम नमो भगवती हिलि हिलि मिलि मिलि गंगे मां पावय पावय स्वाहा।

ज्योतिष आचार्य विमल जैन ने बताया कि गंगा नदी में स्नान करने से पापों का हरण होकर अंत में मुक्ति मिलती है इस दिन दान करने का विशेष महत्व माना गया है। शास्त्रों में उल्लेख है कि जीवनदायिनी गंगा में स्नान पुण्य सलिला नर्मदा के दर्शन और मोक्षदायिनी क्षिप्रा के स्मरण मात्र से मोक्ष मिल जाता है। गंगा स्नान एवं पूजन के साथ-साथ अपने आराध्य देवी देवता की पूजा अर्चना करने के पश्चात उपयोगी वस्तुओं का दान करने से पुण्य लाभ मिलता है। मां गंगा से संबंधित कथा श्रवण एवं श्री गंगा स्तुति श्री गंगा स्त्रोत का पाठ भी किया जाता है। गंगा सप्तमी मां गंगा के पुनर्जन्म का दिन है इसलिए इसे कई स्थानों पर गंगा जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। 

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