वाराणसी में गंगा महोत्सव : अंकित तिवारी की सुर-लय-ताल, झूम उठे स्रोता, बनारस घराने के कई कलाकरों ने बांधा समां

कार्तिक पूर्णिमा की संध्या ओस की फुहार और चटख चांदनी के साथ रविदास घाट का किनारा सीढ़ियों पर बैठे काशी के संगीत प्रेमियों का लंबा इंतजार रात 9.10 बजे समाप्त हुआ जब मंच पर ख्यात पार्श्व गायक अंकित तिवारी की उपस्थिति हुई।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Sat, 20 Nov 2021 10:22 AM (IST) Updated:Sat, 20 Nov 2021 10:22 AM (IST)
वाराणसी में गंगा महोत्सव : अंकित तिवारी की सुर-लय-ताल, झूम उठे स्रोता, बनारस घराने के कई कलाकरों ने बांधा समां
अंकित तिवारी की सुर-लय-ताल, झूम उठे स्रोता

जागरण संवाददाता, वाराणसी : कार्तिक पूर्णिमा की संध्या, ओस की फुहार और चटख चांदनी के साथ रविदास घाट का किनारा सीढ़ियों पर बैठे काशी के संगीत प्रेमियों का लंबा इंतजार रात 9.10 बजे समाप्त हुआ जब मंच पर ख्यात पार्श्व गायक अंकित तिवारी की उपस्थिति हुई। पांच सीढ़ियों पर चढ़ कर मंच पर कदम रखने से पहले उन्होंने मंच पर माथा टेका। अगला कदम मंच पर और हाथ में माइक। तैयार धुनों के बीच उन्होंने सबसे पहले अपने प्रशंसकों को तुम से ही मेरी जान है तुमसे ही... सुनाया। उसके बाद हर-हर महादेव के उद्घोष के साथ श्रोताओं का हालचाल पूछा। कहा कि आप सब झूमने को तैयार हैं। यदि नहीं तो तैयार हो जाइए। फिर क्या एक के बाद एक उन्होंने फिल्मी गीतों की धुनों पर घाट पर बैठे युवाओं को झूमाया। हर मन थिरक रहा था। उन्होंने युवाओं की फरमाइश पर ओ यारम..., सोड़िए दिल नहीं लगता तेरे बिना..., तेरे होने से ही मेरा होना..., तू जो है तो मैं हूं..., जरा सा दिल में दे जगह..., किसे पूछूं, है कैसा तूं..., तू हर दफा..., तू सफर मेरा..., दिल इबादत..., जुगनी जी..., सुन रहा है न तू..., ए दिल संभल जा जरा... सहित कई फिल्मी गीतों की धुनों पर झूमे और झुमाया भी।

इससे पहले तीसरी निशा की शुरुआत बनारस घराने के पं. सुखदेव मिश्र ने शिव स्तुति से की। उन्होंने ताल वाद्य में राग हेमवंती प्रस्तुति की। आलाप, तिहाई, तान और जुगलबंदी प्रस्तुत की। उत्तर और दक्षिण भारत के संगीत का फ्यूजन श्रोताओं को सुनाया। इनके साथ सरोद पर अंशुमान महाराज, मृदंग पर एस. सत्यवर प्रसाद, तबले पर अंकित मिश्र ने संगत किया। दूसरी प्रस्तुति में पं. गणेश मिश्र ने ‘भरी सिर गागर छोड़ो मोरी बहियां...’ से शुरुआत किया। उसके बाद अपने चर्चित भजन ‘दीवाना किए श्याम, कैसा जादू डाला...’, ‘मोहें पनघट पर नंदलाल छेड़ गयो रे...’, सांवरिया मन भायो... पर श्रोता खूब झूमे। तबले पर सिद्धांत मिश्र, साइड रिदम पर शुभ मिश्र, स्वरांश मिश्र व अमित सोनी ने संगत किया। तीसरी प्रस्तुति डा. मधुमिता भट्टाचार्या की रही। उन्होंने राग केदार में द्रुत खयाल एकताल में रंग की सारी क्यों छुपाई..., द्रुत खयाल तीन ताल में चांदनी रात मोको न सुहाए..., राग मिश्र पीलू में दादरा लागे तौर नैनवा का बान..., इसके बाद पतित उद्धारिणी गंगे मां के भजन से उन्होंने अपने प्रस्तुति को विराम दिया। चौथी प्रस्तुति सौरव मिश्र के कथक की रही। उन्होंने शिव अराधना से शुरुआत किया। कई भावपूर्ण मुद्राओं में ‘नटराज नमो नम:...’, डमरू पाणि शूल पाणि... से दर्शकों को मन मोहा। आमद, टुकड़ा, बंदिश, परन के साथ कथक के परंपरागत भावों को मंच उतारा। दर्शकों की मांग पर सौरव मिश्र ने पानी बरसने, सवारी रेल गाड़ी, राजधानी एक्प्रेस की गति का भाव प्रदर्शित किया। इससे पहले गंगा आरती की गई। मंत्री डा. नीलकंठ तिवारी, एमएलसी विजय बहादुर पांडेय, भाजपा महानगर अध्यक्ष विद्यासागर राय, केंद्रीय देवदीपावली समिति के अध्यक्ष वागीश शास्त्री ने दीप प्रज्जवलित कर उद्घाटन किया। क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी कीर्तिमान श्रीवास्तव ने कलाकारों को सम्मानित किया। संचालन सुनील मान सिंह और शिखा पाठक ने किया।

जरा हाथ उठाकर बताओ किसने-किसने प्यार किया है

मंच से अंकित तिवारी ने घाट की सीढ़ियों पर बैठे युवा मन से पूछा कि किसने-किसने प्यार किया है। इस पर उत्साहित युवाओं ने पहले तो हाथ उठाया। फिर बगल में बैठे अभिभावकों के डर से हाथ नीचे कर लिया। अंकित ने दोबारा युवाओं से पूछा कि किसने-किसने प्यार में धोखा खाया है। तब भी युवाओं के हाथ बड़ी तादात में उठे। कहा कि हार न मानना क्योंकि दिल बड़ा बदतमीज है ।

फोटो और सेल्फी लेने में व्यस्त रहे सुरक्षाकर्मी, जेबें होती रहीं खाली

पांच घाटों पर लोगों के बैठने की व्यवस्था की गई थी। उनकी सुरक्षा में पुलिस बल को तैनात किया गया था। अंकित तिवारी का कार्यक्रम जैसे ही शुरु हुआ सुरक्षाकर्मी सेल्फी और वीडियो बनाने में जुट गए। इधर चोरों की पौ बारह हो गई। भीड़ में सैकड़ों लोगों के मोबाइल और पर्स गायब हो गए।

महोत्सव में लाखों रुपये खर्च, पानी को तरसे वीवीआईपी

गंगा महोत्सव की तीसरी संध्या में आयोजकों की व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े हुए। क्षमता से कई गुना अधिक पास वितरित होने से व्यवस्था डगमगा गई। हाथों में पास लिए लोग खड़े रहे। बगैर पास वाले लोग वीआईपी सोफे पर आसन जमाए रहे। अतिथियों के लिए जलपान की व्यवस्था भी धराशायी हो गई। कलाकारों तक ने प्रस्तुुति के बाद जब आयोजकों से पानी मांगा तो पर्यटन अधिकारी टाल मटोल करते मुंह छिपाते रहे।

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