मीरजापुर में खतरे के निशान से नीचे आ गई गंगा, 250 गांव से खिसका बाढ़ का पानी
गंगा का जलस्तर नीचे आने से 406 में से 250 गांव से पानी निकल गया है। अभी भी 156 गांव बाढ़ की चपेट में है। यहां से भी धीरे धीरे पानी निकल रहा है। बाढ़ की समाप्ति के बाद बीमारियों के बढ़ने का खतरा मडराने लगा है।
जागरण संवाददाता, मीरजापुर। खतरे के निशान से गंगा का जलस्तर नीचे आ गया है। इससे 406 में से 250 गांव से पानी निकल गया है। अभी भी 156 गांव बाढ़ की चपेट में हैं। यहां से भी धीरे-धीरे पानी निकल रहा है। बाढ़ की समाप्ति के बाद अब बीमारियों के बढ़ने का खतरा मंडराने लगा है। जैसे-जैसे पानी नीचे जाएगा, वैसे-वैसे लोग बीमारी की जद में आएंगे। इसमें मुख्य रूप से बुखार, डायरिया, उल्टी, टाइफाइड, मलेरिया, चिकिनगुनिया आदि शामिल है। शनिवार को गंगा का जलस्तर 76.948 सेमी हो गया।
एक सप्ताह से बाढ़ के चलते जनपद में मचे हाहाकार के बाद शुक्रवार की शाम जैसे पानी घटना शुरु हुआ वैसे ही लोगों को राहत मिलनी शुरू हो गया। गंगा 13 अगस्त को खतरे के निशान 77.724 सेमी से गंगा नीचे बहने लगी। पांच सेंटीमीटर प्रतिघंटे की दर से पानी घटने के कारण शनिवार की दोपहर शाम चार बजे 76.948 तक जलस्तर पहुंच गया। इसकी जानकारी होने पर लोगों ने राहत की सांस ली। बाढ़ की चपेट में कुल 406 गांव आए थे। इसमें से 75 गांव पानी से घिरने के कारण उनका संपर्क दूसरे गांवों से टूट गया था। पानी घटने पर जिन गांवों में थोड़ा बहुत पानी घुसा था, वहां से पानी निकल गया है। जो गांव बाढ़ से पूरी तरह से घिरे हुए थे, वहां भी धीरे-धीरे राहत मिलने लगी है। बाढ़ से राहत मिलने के बाद अब प्रशासन के सामने आने वाली बीमारियों से निपटने का संकट खड़ा गया है। इसके लिए अधिकारी गांवों में जाकर ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव कराने में लगे हुए हैं। जहां से पानी उतर रहा है, वहां की फसलें सड़ने के कारण बदबू देने लगी है।
पानी घटने के बाद गंगा कटान बढ़ने का खतरा बढ़ेगा : बाढ़ समाप्ति के बाद अब गंगा कटान का खतरा बढ़ जाएगा। गंगा किनारे रहने वाले लोगों को बहुत सावधानी से रहना होगा। कटान पर न जाए जिससे किसी हादसे का शिकार हो। प्रशासन की मानें तो पानी घटने के बाद कटान की मिट्टी सुखेगी और धूप होने पर कटान होगा।
ये बरतें सावधानी : जिन गांवों में बाढ़ आई है, वहां के लोग विशेष सावधानी बरतें। जहां पर फसल सड़ी हुई है, वहां पर न जाए। अधिक धूप में न रहें। पानी उबालकर ही पीएं। आसपास के गड्ढ़े में पानी भरा हो तो उसे निकलवाने का प्रयास करें। अगर जानवर वहां का पानी नहीं पीता है तो उसमें मोबिल या मिट्टी का तेल डाल दें जिससे मच्छर का प्रजनन न हो सके। बुखार आने पर डाक्टर से संपर्क करें। डायरिया आदि बीमारी होने पर साफ पानी पीएं।