बलिया में गंगा और सरयू आदि नदियों में बढ़ाव, बचाव में जुटे तटवर्ती लोग और प्रशासन
हर साल बाढ़ से बड़ी तबाही होती है। कहीं रिंग बंधा टूटने से गांव के गांव अचानक डूबने लगते हैं तो कहीं किसानों की फसल बाढ़ के पानी में नष्ट हो जाते हैं। बाढ़ के पानी के बीच भारी संख्या में लोग काफी कष्ट में में अपना गुजारा करते हैं।
बलिया, जेएनएन। जनपद में हर साल बाढ़ से बड़ी तबाही होती है। कहीं रिंग बंधा टूटने से गांव डूबने के हालात बन जाते हैं। किसानों की फसल बाढ़ के पानी में नष्ट हो जाती है। लगभग दो माह तक बाढ़ के पानी के बीच तटवर्ती लोग काफी कष्ट में गुजारा करते हैं। इस साल जून से ही गंगा और सरयू के जल स्तर में वृद्धि होने से जनपद के कई इलाकों में लोग भयभीत हैं। सिकंदरपुर, बिल्थरारोड, बैरिया तहसील क्षेत्र के कई इलाकों में बाढ़ और कटान को लेकर तटवर्ती लोग सुरक्षात्मक उपाय करने में जुट गए हैं। दोनों नदियों का पानी अभी गांवाें में प्रवेश नहीं किया है लेकिन तटबंधों पर दबाव बनने लगा है।
सिंचाई विभाग की ओर से जगह-जगह कटानरोधी कार्य कराए गए हैं लेकिन कार्य पूर्ण नहीं होने के चलते संबंधित इलाके 100 फीसद सुरक्षित नहीं हो पाएं हैं। इससे आसपास के लोगों में तबाही का डर है। उधर तटवर्ती इलाके में किसानों के परवल और गन्ने के खतों में पानी पहुंचने लगा है। खरीफ की फसल की बोआई भी प्रभावित होने लगी है। किसान आद्रा नक्षत्र से ही खरीफ की फसल की बोआई शुरू करते हैं।
गंगा और सरयू का जल स्तर
बिल्थरारोड में खतरा निशान 64.01 को पार कर सरयू नदी का जलस्तर 64.140 मीटर पर पहुंच चुका है। यहां सरयू खतरा निशान से 0.22 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। बुधवार को सुबह आठ बजे गायघाट में गंगा का जलस्तर 53.490 मीटर दर्ज किया गया। गंगा ने 24 घंटे में गंगा ने भी 0.36 सेमी बढ़ाव किया है जो खतरा बिंदु 57.615 मीटर से 4.125 मीटर नीचे है। सरयू नदी का जल स्तर चांदपुर में 57.63 दर्ज किया गया। 24 घंटे में सरयू ने यहां 0.27 सेमी बढ़ाव किया है जो खतरा बिंदु 58.00 मीटर से मात्र 0.37 सेमी नीचे है।