Ganesh Puja in Varanasi : गणेशोत्सव के छठवें दिन भगवान गणपति का हुआ झूला श्रृंगार, कई जगहों पर किया गया विविध आयोजन

नूतन बालक गणेशोत्सव समाज सेवा मंडल की ओर से आयोजित 113 वें गणेशोत्सव के छठवें दिन गणपति भगवान का झूला श्रृंगार किया गया। मंदिर परिसर को जूही बेला गुलाब गेंदा चंपा चमेली के फूलों व अशोक और कामिनी की पत्तियों से सजाया गया था।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Wed, 15 Sep 2021 09:38 PM (IST) Updated:Wed, 15 Sep 2021 09:38 PM (IST)
Ganesh Puja in Varanasi : गणेशोत्सव के छठवें दिन भगवान गणपति का हुआ झूला श्रृंगार, कई जगहों पर किया गया विविध आयोजन
नमामि गंगे एवं श्री गणेशोत्सव सेवा समिति अगस्त्यकुंडा के संयुक्त तत्वावधान में चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। नूतन बालक गणेशोत्सव समाज सेवा मंडल की ओर से आयोजित 113 वें गणेशोत्सव के छठवें दिन गणपति भगवान का झूला श्रृंगार किया गया। मंदिर परिसर को जूही, बेला, गुलाब, गेंदा, चंपा, चमेली के फूलों व अशोक और कामिनी की पत्तियों से सजाया गया था। सुबह में वीरेश्वर नारायण दातार के आचार्यत्व में विकास होशिंग ने काजू से सहस्रानामार्चन किया। उसके बाद महिलाओं ने सुमधुर भजनों की प्रस्तुति दी। रात्रौ वरिष्ठ पद्यगान प्रतियोगिता प्रकाशराव जोशी के सानिध्य में संपन्न हुई। इसके बाद आनलाईन संगीत सम्मेलन का आयोजन हुआ। इसमें सिद्धांत मिश्रा ने स्वतंत्र तबला वादन प्रस्तुत किया। उन्होंने तीन ताल की प्रस्तुति से गत, बांठ, टुकड़ा, तिहाई के साथ महफिल जमाई। दूसरी प्रस्तुति तेजस्विनि दिगंबर वेर्नेकर ने विलंबित तीन ताल ढूंढू बारे सैय्यां..., द्रुत तीन ताल में राजन अब तो आ जा रे..., भजन में प्रथम तुला वंदितो... की प्रस्तुति दी। तबले पर पंकज राय, हारमोनियम पर मोहित साहनी ने संगत किया। तृतीय प्रस्तुति वसुंधरा शर्मा की रही। इन्होंने कथक नृत्य की प्रस्तुति दी। उन्होंने अपने नृत्य की शुरुआत गणेश स्तुति से की। इसके बाद तीन ताल में पारंपरिक बंदिशें प्रस्तुत की। समापन कजरी से किया। तबले पर सिद्धार्थ चक्रवर्ती, हारमोनियम पर आनंद किशोर मिश्रा, सितार पर सिद्धान्त चक्रवर्ती ने संगत किया। अंतिम प्रस्तुति प्रो. भगवत्शरण शुक्ल के बांसुरी वादन की रही। उन्होंने राग चंद्रकौंस प्रस्तुत किया।

रिमझिम फुहारों में भी उत्साह से लवरेज रहा बालमन

मच्छोदरी स्थित श्रीकाशी विद्या मंदिर में गणेशोत्सव के छठवें दिन देवप्रतिमा की पूजन-आरती की गई। देश भक्ति गीतों व भजनों में मां भारती के भाव को उतारा। राष्ट्रप्रेम से ओतप्रोत बच्चों ने मनमोहक प्रस्तुति दी। रिमझिम फुहारों में भी उनका जोश और जज्बा देखते ही बना रहा था। बारिश में भी बालमन पूरे उत्साह से तना रहा। श्रीकाशी विश्वनाथ गणपति महोत्सव के तत्वावधान में चल रहे उत्सव में बुधवार को संरक्षक रामचरण एवं पं. भास्कर केलकर ने विधि-विधान से पूजन-अर्चन किया। शाम चार बजे से प्रतियोगिताओं की शुरुआत हुई। निर्णायक मंडल में विवेक केशरी, अन्विता नागर, ज्योति गुजराती थीं। देशप्रेम से लबरेज गीतों ने श्रोताओं के अंतरमन को छू लिया तो भजनों ने आनंद रस से सराबोर कर दिया।

श्री गणेशोत्सव सेवा समिति ने किया विद्वतजन एवं समाजसेवियों का सम्मान

नमामि गंगे एवं श्री गणेशोत्सव सेवा समिति अगस्त्यकुंडा के संयुक्त तत्वावधान में बुधवार को ऑनलाइन आयोजित चित्रकला प्रतियोगिता में बच्चों ने देशभक्ति का चित्रण किया । स्वाधीनता के 75 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में देशभर में मनाए जा रहे "आजादी का अमृत महोत्सव" के तहत विद्यार्थियों संग भागीदारी की । गणेशोत्सव के छठे दिन पं उदय कंठाले के आचार्यत्व में वैदिक ब्राह्मणों द्वारा (चारों वेदों ) बसंत पूजा का पाठ कर काशी के मूर्धन्य विद्वान एवं समाजसेवियों का सम्मान किया गया । सत्कार समारोह में काशी के मूर्धन्य विद्वान सांगवेद विद्यालय के संचालक पं गणेश्वर शास्त्री द्रविड़, पं जगन्नाथ शास्त्री तेलंग, पं सुदामा तिवारी सांड बनारसी, पं राजेश शुक्ला गंगा सेवक, संयोजक नमामि गंगे काशी क्षेत्र का सम्मान किया गया । विद्वतजनों ने आजादी का अमृत महोत्सव के तहत छात्र-छात्राओं द्वारा उकेरी गई राष्ट्रभक्ति की तस्वीरों को काफी सराहा । देशभक्ति पर आधारित चित्रकला प्रतियोगिता में कक्षा 6 से 10 तक के बच्चों में आर्जवी त्रिपाठी को प्रथम पुरस्कार, जागृति गुप्ता द्वितीय पुरस्कार, मिशिता शर्मा तृतीय पुरस्कार , समृद्धि केशरी को सांत्वना पुरस्कार प्राप्त हुआ। कक्षा 1 से 5 के बच्चों में अनय बालाजी प्रथम पुरस्कार, आराध्या जैन द्वितीय पुरस्कार, समृद्धि जायसवाल तृतीय पुरस्कार, अर्जव नारायण को सांत्वना पुरस्कार प्राप्त हुआ । कार्यक्रम का संचालन षडानन पाठक और धन्यवाद ज्ञापन प्रकाश कंठाले ने किया । बटुकनाथ पाठक, प्रदीप पाठक, विश्वनाथ औढेंकर , श्रीकांत पाठक आदि उपस्थित रहे ।

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