बाल हिंसा और भिक्षावृत्ति रोकने के लिए वाराणसी सहित 50 जिलों में बनेंगे बाल मैत्री स्‍थल

एनसीपीसीआर के अध्यक्ष द्वारा अवगत कराया गया कि देश में कुल 50 जनपद जहां धार्मिक पर्यटन स्थल अपने उच्च स्तर पर है और ज्यादा से ज्यादा पर्यटक आते हैं उन जनपदों को चुना गया है। वाराणसी भी उन 50 जनपदों में एक है ।

By Abhishek sharmaEdited By: Publish:Tue, 23 Feb 2021 03:57 PM (IST) Updated:Tue, 23 Feb 2021 03:57 PM (IST)
बाल हिंसा और भिक्षावृत्ति रोकने के लिए वाराणसी सहित 50 जिलों में बनेंगे बाल मैत्री स्‍थल
एनसीपीसीआर के अध्यक्ष द्वारा अवगत कराया गया कि वाराणसी का भी चयन किया गया है।

वाराणसी, जेएनएन। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा बाल मजदूरी, बाल भिक्षावृति एवं बाल हिंसा से बचाव के लिए आनलाइन बैठक का मंगलवार को आयोजन राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो द्वारा किया गया। इसमें एनसीपीसीआर के अध्यक्ष द्वारा अवगत कराया गया कि देश में कुल 50 जनपद जहां धार्मिक पर्यटन स्थल अपने उच्च स्तर पर है और ज्यादा से ज्यादा पर्यटक आते हैं उन जनपदों को चुना गया है। वाराणसी भी उन 50 जनपदों में एक है जहां बाल अधिकारों के उल्लंघन को रोकने के लिए एक अभियान शुरू किया जाएगा। इसमें  बाल श्रम, बाल हिंसा/दुव्र्यवहार और बाल भिक्षावृत्ति को रोकते हुए बाल मैत्री स्थान का निर्माण किया जाएगा।

इस बाबत अध्यक्ष ने बताया है कि रामनगर के राजकीय बाल गृह एवं संप्रेक्षण गृह कानून की मंशा के अनुरूप कार्य कर रही है और एक मांडल के रूप में अन्य जनपद को लागू करना चाहिए। वाराणसी के जिलाधिकारी ने बाल संरक्षण और रोकथाम के दृष्टिकोण के बारे में वाराणसी कि स्थिति और चल रहे प्रयासों को प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि जनपद वाराणसी में महिला कल्याण विभाग विभिन्न विभागों और समितियों के साथ संयुक्त तत्वावधान में कार्य कर रही है। उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष विशेष गुप्ता द्वारा वाराणसी जनपद द्वारा किए जा रहे प्रयासो कि सराहना किया। उन्होंंने बताया कि राज्य स्तर से यूनिसेफ का तकनीकी सहयोग दिया जा रहा है। जिला बाल संरक्षण समिति, ब्लॉक बाल संरक्षण समिति एवं ग्राम बाल संरक्षण समिति का गठन किया जा चुका है और उनकी निरंतर बैठक का आयोजन किया जा रहा है। 

बैठक में इस पर हुई प्रमुख चर्चा

-जनपद में कुल 19 बाल देखरेख संस्थान, ओपन शेल्टर होम, फिट सुविधा संचालित है जिसमें कुल 542 बच्चे आवासित है। 

-उन्होने श्रेणी वार मामलों के विस्तार में बताया कि वर्ष 2020 में बाल यौन शोषण के 84, बाल श्रम 42 एवं बाल भिक्षावृति में लिप्त 38 बच्चों को बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया। 

- वर्ष 2020 में बाल कल्याण समिति के समक्ष कुल 903 बच्चे प्रस्तुत हुये जिसमें 830 बच्चों को उनके माता-पिता या अभिभावकों के साथ पुनर्वास किया गया। साथ ही साथ 25 बच्चों को गोद लेने के लिए कानूनी रूप से मुक्त घोषित किया जिनके कोई परिजन नहीं मिले और उन नवजात बच्चों को जिनको अकेले छोड़ दिया गया था।  

- वर्ष 2020 में कानून का उलंघन करने वाले कुल 439 बच्चे किशोर न्याय बोर्ड में प्रस्तुत हुये और 630 बच्चों के मामलों में अंतिम निर्णय लिया गया इसमे वो मामले भी है जो कई वर्षों से लंबित थे इस तरह कि कार्यवाही उत्तर प्रदेश में सिर्फ वाराणसी जनपद सर्वोच स्थान पर है। 

- 27 बच्चों को प्रायोजन योजना के माध्यम से जोड़ा गया गया है जिसमे 7 बच्चो को 2000 रुपये प्रतिमाह सुविधा दी जा रही है तथा 20 बच्चो को जिला बाल संरक्षण समिति ने अनुमोदन कर निदेशालय को भेज दिया है। प्रायोजकता कार्यक्रम के लिए मुश्किल परिस्थितियों में रहने वाले 189 अन्य बच्चों की पहचान ग्राम बाल संरक्षण समिति व जिला बाल संरक्षण इकाई के माध्यम से की गई है। उनकी सामाजिक जांच रिपोर्ट जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा  पूरी कर ली गई है। उनके नामांकन के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

-जनवरी 2020 से अब तक  वाराणसी में कुल 18 लड़कियों का बाल विवाह जिला बाल संरक्षण इकाई, बाल कल्याण पुलिस अधिकारी और चाइल्ड लाइन के अथक प्रयास से रुकवाया गया है। 

-महिलाओं और लड़कियों के शिकायत निवारण के लिए हर पुलिस स्टेशन में महिला एवं बाल हेल्प डेस्क की स्थापना की गई है।

-वाराणसी के विभिन्न रेलवे स्टेशनों पर बाल कल्याण समिति, चाइल्ड लाइन और जिला बाल संरक्षण इकाई, जीआरपी और आरपीएफ के संयुक्त सहयोग में काम कर रहे हैं वर्ष 2020 में 312 बच्चों को वाराणसी के विभिन्न रेलवे स्टेशन से बचाया गया है।

-वाराणसी में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण व जिला बाल संरक्षण इकाई  द्वारा 75 से ज्यादा जागरूकता शिविर का आयोजन विभिन्न स्कूल,बाल देख रेख संस्थाओं,विद्यालयों तथा झुग्गियों और समुदायों में आयोजित किया गया। - बेसिक शिक्षा विभाग ने वर्ष 2020 में शिक्षा से वंचित 4459 बच्चों को शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत स्कूल से जोड़ा गया। 

- किशोर बच्चों को समाज की मुख्य धारा से जोडऩे के लिए विभिन्न कौशल विकास कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमे अब तक 27 किशोरों को रोजगार से सफलतापूर्वक जोड़ा जा चुका है तथा 130 बच्चे रोजगार परक प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके है 

- बाल कल्याण समिति के निर्देश में बच्चों को यौनिक हिंसा अपराध में सहयोग करने के लिए सपोर्ट पर्सन का सहयोग बाल संरक्षण अधिकारी द्वारा दिया गया। 

- जिला बाल संरक्षण वाराणसी बच्चों के पारिवारिक पुनर्वासन के साथ-साथ उन बच्चों को गोद लेने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, जो लंबे समय से बाल देखरेख संस्थान में रह रहे थे, हालांकि वाराणसी में विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसी उपलब्ध नहीं है लेकिन उसके बाद भी 22 बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया के माध्यम से पारिवारिक पुनर्वास किया गया है।

- मिशन शक्ति अभियान जिला वाराणसी में चल रहा है, इस अभियान के माध्यम से बाल यौन शोषण, बाल श्रम, बाल भिक्षावृत्ति, किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम 2015, लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम 2012, बाल विवाह अधिनियम कि जागरूकता स्कूली बच्चों के साथ बाल सुरक्षा से संबंधित हेल्प लाइन नंबर भी साझा किए गए हैं, समुदाय की भागीदारी भी शामिल करते हुये स्कूल, सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, हर पुलिस स्टेशन, पुलिस के साथ-साथ पंचायत भवन की दीवार पर प्रदर्शित किया गया है।

- सभी स्तर पर नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन ब्लॉक स्तर, तहसील स्तर पर पदाधिकारियों, स्कूल के शिक्षकों, आगंनबाड़ी कार्यकर्ता, बीसीपीसी सदस्यों के साथ बाल विवाह रोकथाम, किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम 2015, यौनिक हिंसा से बचाव व रोकथाम पर किया जा रहा है।

-जिला बाल संरक्षण इकाई और जिला निरीक्षण समिति द्वारा बच्चों की सुरक्षा और उपायों और किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम 2015 के बेहतर कार्यान्वयन की जांच करने के लिए सभी बाल देखरेख संस्थानों में अपनी नियमित जांच कर रही है।

- जिला बाल संरक्षण इकाई हर स्तर पर नवजात शिशुओं को सुरक्षित समर्पण  और कानूनी गोद लेने की प्रक्रिया के सुरक्षित आत्मसमर्पण के लिए नियमित रूप से जागरूकता कार्यक्रम कर रही है।

-आगामी राष्ट्रीय स्तर के अभियानों के लिए एनसीपीसीआर को वाराणसी जनपद को बाल हितैषी जनपद बनाने की कार्ययोजना को साझा किया जायेगा।

आनलाइन बैठक में इन्होंने लिया भाग

इस बैठक में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग कीसदस्य सचिव रूपाली बनर्जी सिंह, तकनीकी सलाहकार प्रवेश कुमार, उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष विशेष गुप्ता, जनपद वाराणसी के जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा, काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ), उपनिदेशक महिला कल्याण से प्रवीण कुमार त्रिपाठी, पुलिस अधीक्षक एवं विशेष किशोर पुलिस इकाई के नोडल अधिकारी अनुराग दर्शन, सहायक श्रम आयुक्त देवव्रत यादव, बाल संरक्षण अधिकारी निरुपमा सिंह, वाराणसी मण्डल में यूनिसेफ समॢथत कार्यक्रम के मंडलीय सलाहकार- बाल संरक्षण प्रीतेश कुमार तिवारी, बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष मनोज मिश्रा, थानों में नामित समस्त बाल कल्याण पुलिस अधिकारी, मानव तस्करी रोधी इकाई, जनपद वाराणसी के विभिन्न बाल देखरेख संस्थानों के प्रतिनिधि, गैर सरकारी संगठन के प्रतिनिधि, शिक्षा विभाग के अधिकारी, नगर निगम के अधिकारी, विभिन्न धर्मगुरु एवं समूह के प्रतिनिधि, चाइल्डलाइन के नोडल अधिकारी इत्यादि गणमान्य लोगों ने प्रतिभाग किया। 

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