राइट-टू-एजुकेशन : एसओएस स्कूल में बीएसए के फर्जी हस्ताक्षर से हुआ बच्चे का मुफ्त दाखिला
बेसिक शिक्षा विभाग ने पिछले दिनों ऐसे पांच निजी विद्यालयों में 19 बच्चों का दाखिला निरस्त कर दिया है। वहीं अब बीएसए के फर्जी हस्ताक्षर से चौबेपुर स्थित एसओएस हरमन माइनर स्कूल (उमराहां) में बच्चे का मुफ्त दाखिला कराने का प्रकरण सामने आया है।
वाराणसी, जागरण संवाददाता। राइट-टू-एजुकेशन (आरटीई) के तहत निजी स्कूलों में मुफ्त दाखिले कुछ दलाल भी सक्रिय है। बच्चों का मुफ्त दाखिला दिलाने के नाम पर अभिभावकों से दो से पांच हजार रुपये की वसूली कर रहे हैं। वह फर्जी दस्तावेज के आधार पर निजी विद्यालयों में बच्चों का मुफ्त में दाखिला भी सफल हो जा रहे हैं। हालांकि जांच में पोल खुल जा रही है। बेसिक शिक्षा विभाग ने पिछले दिनों ऐसे पांच निजी विद्यालयों में 19 बच्चों का दाखिला निरस्त कर दिया है। वहीं अब बीएसए के फर्जी हस्ताक्षर से चौबेपुर स्थित एसओएस हरमन माइनर स्कूल (उमराहां) में बच्चे का मुफ्त दाखिला कराने का प्रकरण सामने आया है।
राइट-टू-एजुकेशन (आरटीई) के तहत निजी स्कूलों में कक्षा नर्सरी व एक में सीट का 25 फीसद आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के बच्चों का मुफ्त दाखिला करने का प्रावधान है। वहीं दलाल बच्चों का निजी स्कूलों में मुफ्त दाखिला दिलाने के नाम पर अभिभावकों से पांच हजार रुपये की वसूली कर रहे हैं। पिछले दिन बेसिक शिक्षा विभाग ने ऐसे पांच निजी विद्यालयों में 19 बच्चों का दाखिला निरस्त कर दिया है। इस सिलसिला अब भी जारी है।
कोचि पचरांव के निवासी कृष्णा यादव ने आरटीई के तहत अपने बच्चे के निजी विद्यालय में दाखिले के लिए आनलाइन आवेदन किया था। हालांकि उनका चयन नहीं हो सका। इसे देखते हुए जालसाजों ने बीएसए राकेश सिंह के नाम पर सिफारिशी पत्र बना लिया।
बीएसए की ओर से जारी चौबेपुर स्थित एसओएस हरमन माइनर स्कूल (उमराहां) के प्रबंधक व प्रधानाचार्य को जारी पत्र में यह कहा गया कि कृष्णा यादव ने अपने पुत्र के लिए आनलाइन आवेदन किए थे लेकिन उनके बच्चे को विद्यालय आवंटित नहीं हो सका। जबकि वह अत्यंत निर्धन है। ऐसे में प्रार्थी की पुत्र का प्रवेश लेते हुए इसकी सूचना दें। माइनर स्कूल ने उनकी पुत्र का प्रवेश लेकर इसकी सूचना बीएसए कार्यालय को दी तो फर्जीवाड़े की पोल खुल गई। बीएसए कार्यालय ने विद्यालय से सिफारिशी पत्र मंगाया तो पता चला कि पत्र भी फर्जी है। खास बात यह है कि पत्र में पत्रांक संख्या, तिथि भी अंकित है। पत्र की कापी डीएम, सीडीओ, एडीबेसिक को लिखी गई है। यही नहीं सामुदायिक शिक्षा के जिला समन्वयक विमल कुमार केशरी का फर्जी हस्ताक्षर व सील भी लगा हुआ है।