फ्रांस, हंगरी, आयरलैंड और स्विटजरलैंड के अंतरराष्ट्रीय लेखकों का 'लांग नाइट लिटरेचर्स' में जमावड़ा
फ्रांस हंगरी आयरलैंड और स्विटजरलैंड के अंतरराष्ट्रीय लेखकों का काशी में देर शाम लांग नाइट लिटरेचर्स नाम से यह साहित्यिक आयोजन हो रहा है।
वाराणसी, जेएनएन। फ्रांस, हंगरी, आयरलैंड और स्विटजरलैंड के अंतरराष्ट्रीय लेखकों का काशी में देर शाम 'लांग नाइट लिटरेचर्स' नाम से यह साहित्यिक आयोजन शुरू किया गया। इसके तहत यूरोपियन कवि के लेखक अस्सी स्थित कार्यक्रम स्थल एलिस बोनर संस्था पर अपनी-अपनी पुस्तकों का अवलोकन करते नजर आए।चारों देशों के लेखकों का संघ वाराणसी में देर रात तक अंतरराष्ट्रीय साहित्य पर मंथन करेगा। इस आयोजन में शामिल होने के लिए देश विदेश से लेखकों का काशी में एक दिन पूर्व से ही जमावड़ा हो चुका है। इस आयोजन में देश विदेश की कई संस्थाओं का सामूहिक प्रयास है।
आयोजन में सात प्रमुख संगठन शामिल हैं जबकि इतनी ही संस्थाएं आयोजन में सहयोगी की भूमिका में हैं। वाराणसी में अंतरराष्ट्रीय स्तर के लेखकों का यह पहला आयोजन माना जा रहा है। वहीं इस आयोजन की तैयारियां काफी पहले से ही चल रही थीं। आयोजन में विदेश से ही नहीं बल्कि देश के भी कई युवा लेखक और रचनाकार भी अपनी लेखनी को और धार देने के लिए साहित्य की राजधानी काशी में एकत्र हो रहे हैं। यह कहना अतिशयोक्ति पूर्ण नहीं है कि साहित्यिक भावों का कैनवास पूरे विश्व में एक जैसा ही होता है। चाहे वह प्रेम पर आधारित हो या या जीवन के यथार्थ पर। ऐसा आभास मंगलवार को उस समय हुआ जब असि स्थित एलिस बोनर संस्थान में यूरोप के तीन देशों आयर लैंड, स्विजरलैंड और हंगरी के कवि और लेखकों ने अपनी संवेदनाओं को अपनी कविता और कहानियों में अभिव्यक्त किया।
कविताओं का किया वाचन
हिंदी साहित्यकारों की नगरी काशी में यह महज संयोग ही था कि आयरलैंड की कवि अफ्रीक औदा ने अपनी तीन कविताओं का वाचन किया। 15 मिनट के अपने वाचन में उन्होंने अपनी चार कविताओं के भाव पक्ष को इस अंदाज में प्रस्तुत किया किया वह श्रोताओं के दिल में पूरी तरह उतर गया। पहली आयरलैंड की पौराणिक प्रेम कहानियों पर आधारित थी तो दूसरी में एक एक महिला नौकर अपने मालिको के सामने काम नहीं करने के बहाने बनाती है। इस भाव को उन्होंने लेखकों की इस भावना से जोड़ा कि लेखक लिखना चाहता है लेकिन वह लिख नहीं पाता। तीसरी जहां कवयित्री पर आधारित थी वहीं चौथी कविता प्रेमाधारित थी। दूसरी लेखिका हंगरी की ज्यूडिक हिडास ने एक महिला के 20 से 40 वर्ष के जीवन में दूसरी महिलाओं से संबंधों के विविध आयामों को संक्षिप्त में पढ़ा। इसे 16 छोटी कहानियों में कहानीकार ने गढ़ा है जिसमें इस आयु वर्ग की एक महिला का दूसरी अन्य महिला सम्बन्धियों जैसे मां, बहन, बेटी, जेठानी, देवरानी से सम्बंध को यथार्थ रूप में दिखलाया गया है। यह महिला अपनी इच्छा के विरुद्ध यह संबंध जीती है जिसमें उसे कष्ट होता है परन्तु उसे यह कष्ट पता नहीं चलता। यह कहानी ऊक्त महिला के अपने पिता से संबंध पर भी प्रकाश डालती है।