नहीं रहे बीएचयू के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. राम नारायण शुक्ल, 78 वर्ष की उम्र में निधन

काशी में नुक्कड़ नाटक परंपरा की नींव डालने वाले रंगकर्मी हिंदी साहित्य के प्रख्यात आलोचक व काशी हिन्दू विश्वविद्यालय हिंदी विभाग के अध्यक्ष रहे प्रोफेसर रामनारायण शुक्ल नहीं रहे। उन्होंने वर्ष 1974 से 2003 तक बीएचयू में अध्यापन का कार्य किया।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Thu, 22 Apr 2021 06:10 AM (IST) Updated:Thu, 22 Apr 2021 06:10 AM (IST)
नहीं रहे बीएचयू के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. राम नारायण शुक्ल, 78 वर्ष की उम्र में निधन
प्रो. रामनारायण शुक्ल का 78 वर्ष की उम्र में बुधवार को निधन हो गया।

वाराणसी, जेएनएन। हिंदी साहित्य के मर्मज्ञ और बीएचयू में हिंदी के विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. रामनारायण शुक्ल का 78 वर्ष की उम्र में बुधवार को निधन हो गया। वह काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनका अंतिम संस्कार में उनके पुत्र व समाजसेवी डा. संजय शुक्ल समेत पूरा परिवार और बेहद करीबी लोग मौजूद रहे। उन्होंने वर्ष 1974 से 2003 तक बीएचयू में अध्यापन का कार्य किया। शिव प्रसाद सिंह, विश्वनाथ प्रसाद मिश्र 'रुद्र', काशीनाथ सिंह सरीखे साहित्यकारों में गिने जाने वाले प्रो. शुक्ल ने अपने कार्यकाल में उन्होंने बीएचयू में कई पीढ़ियों का निर्माण किया था और उनमें से कई साहित्यकार के रूप में भी उभरे।

उन्होंने आधा दर्जन से अधिक महत्वपूर्ण किताबें लिखीं। बीएचयू में हिंदी के प्रोफेसर रामाज्ञा राय के अनुसार भक्तिकाल से अत्याधुनिक काल तक उनकी समझ काफी गहरी थी। नामवर सिंह की आलोचना का उन्होंने अपने लेख में काफी बेहतर जवाब दिया था। अपनी पुस्तक 'जनवादी साहित्य की समझ' में मुक्तिबोध का मूल्यांकन किया है। इसके साथ ही गोर्की-प्रेमचंद और रामचंद्र शुक्ल जैसे साहित्यकारों पर बड़ी गहरी समझ पैदा की।

प्रो. शुक्ल उस दुर्लभ अध्यापक पीढ़ी के प्रतिनिधि थे जिन्होंने विद्यार्थियों को अभिभावक की तरह तैयार किया। प्रो. शुक्ल ने बीएचयू और बनारस में नुक्कड़ नाटक की परंपरा डाली और अनेक छात्रों को रंगकर्म से जोड़ा। इस दौरान हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो. विजय बहादुर सिंह, प्रो. वशिष्ठ अनूप, प्रो. एसपी शुक्ल, प्रो. विनय कुमार सिंह, प्रो. किंग्सन पटेल आदि ने प्रो शुक्ल के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया और श्रद्धांजलि दी है।

बनारस में नुक्कड़ नाटक परंपरा के जनक आलोचक प्रो. रामनारायण शुक्ल

काशी में नुक्कड़ नाटक परंपरा की नींव डालने वाले रंगकर्मी, हिंदी साहित्य के प्रख्यात आलोचक व काशी हिन्दू विश्वविद्यालय हिंदी विभाग के अध्यक्ष रहे प्रोफेसर रामनारायण शुक्ल नहीं रहे। उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए छात्र सलाहकार, कला संकाय रामाज्ञा राय ने कहा कि प्रो. शुक्ल  उस दुर्लभ अध्यापक पीढ़ी के प्रतिनिधि थे, जिन्होंने विद्यार्थियों को अभिभावक की तरह तैयार किया। प्रो. शुक्ल ने बीएचयू और बनारस में नुक्कड़ नाटक की परंपरा डाली और अनेक छात्रों को रंगकर्म से जोड़ा। हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो. विजय बहादुर सिंह, प्रो. वशिष्ठ अनूप, प्रो. एसपी शुक्ल, प्रो. विनय कुमार सिंह, प्रो. रामाज्ञा शशिधर, प्रो. किंग्सन पटेल आदि ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए श्रद्धांजलि दी।

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