पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह ने बरामद कराई थी सेना की लाइट मशीन गन व दो सौ कारतूस

पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह ने राजनीति में अपराधीकरण के विरोध में इस्तीफा दिया था। उनके खिलाफ दर्ज मामले वापस लेने के बाद एक बार फिर पूर्व डिप्टी एसपी चर्चा में हैं। शैलेंद्र सिंह वर्ष 2004 में प्रदेश एसटीएफ की वाराणसी यूनिट के प्रभारी थे।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Wed, 31 Mar 2021 08:06 PM (IST) Updated:Wed, 31 Mar 2021 10:29 PM (IST)
पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह ने बरामद कराई थी सेना की लाइट मशीन गन व दो सौ कारतूस
शैलेंद्र सिंह वर्ष 2004 में प्रदेश एसटीएफ की वाराणसी यूनिट के प्रभारी थे।

वाराणसी [दिनेश सिंह]। पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह ने राजनीति में अपराधीकरण के विरोध में इस्तीफा दिया था। उनके खिलाफ दर्ज मामले वापस लेने के बाद एक बार फिर पूर्व डिप्टी एसपी चर्चा में हैं। तो आइए, आपको ले चलते हैं 17 साल पीछे जब उनके इस्तीफे व उसकी वजह की पृष्ठभूमि तैयार हुई थी।

यह है लाइट मशीन गन केस जिसमें डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह ने मुख्तार अंसारी पर प्रिवेंशन आफटेररिजम एक्ट (पोटा) लगाया था। शैलेंद्र सिंह वर्ष 2004 में प्रदेश एसटीएफ की वाराणसी यूनिट के प्रभारी थे। उस समय भाजपा नेता कृष्णानंद राय व मुख्तार अंसारी के बीच लखनऊ के कैंट इलाके में फायरिंग हो चुकी थी। गैंगवार की आशंका के मद्देनजर एसटीएफ दोनों गुटों पर नजर रखी थी। सर्विलांस के जरिए एक कॉल में पता चला था कि मुख्तार अंसारी सेना के किसी भगोड़े जवान से एक करोड़ में लाइट मशीन गन खरीदने की बात कर रहा है। यह सौदा मुख्तार अंसारी का गनर मुन्नर यादव सेना के भगोड़े जवान बाबू लाल यादव के जरिए कर रहा था। बाबूलाल जम्मू कश्मीर की 35 राइफल्स से एलएमजी चुरा कर भाग आया था। इसी एलएमजी को मुख्तार खरीदने की कोशिश में था।

सर्विलांस में वाकये की पुष्टि होते ही शैलेंद्र सिंह ने 25 जनवरी 2004 को वाराणसी के चौबेपुर इलाके में छापेमारी कर बाबू लाल यादव व मुन्नर यादव को दबोच कर करीब दो सौ कारतूस के साथ एलएमजी भी बरामद की। शैलेंद्र सिंह ने खुद चौबेपुर थाने में अपराध संख्या 17/04 पर शस्त्र अधिनियम व अपराध संख्या 18/04 पर पोटा के तहत मुख्तार अंसारी पर मुकदमा दर्ज कराया था।  एलएमजी के सौदे की बातचीत जिस मोबाइल फोन नंबर से हो रही थी, वह मुख्तार के गुर्गे तनवीर के नाम पर था। वह जेल में था लेकिन फोन का इस्तेमाल मुख्तार कर रहा था। इस मामले को राजनीतिक रूप देने का प्रयास किया जाने लगा। मुख्तार के रसूख के चलते एफआइआर बदलने या पोटा मामले में उसका नाम हटाने का दबाव बनाया गया लेकिन शैलेंद्र के कदम पीछे नहीं हटे और उन्होंने फरवरी 2004 में इस्तीफा दे दिया। उन्होंने दावा किया था कि मशीन गन कृष्णानंद राय की बुलेट प्रूफ गाड़ी को भेदने के लिए खरीदी जा रही थी।

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