सोनभद्र के जंगलों में वनवासियों को ऊंचे पेड़ों से जंगल का शहद निकालने का मिला प्रशिक्षण
वनवासी सेवा आश्रम ने शहद निकालने का प्रशिक्षण दिया। विचित्रा महाकक्ष में शुक्रवार से जंगल और बाग बगीचे के ऊंचे पेड़ों पर भंवर मधुमक्खी का शहद निकालने का प्रशिक्षण महाराष्ट्र के वर्धा से आये सेंटर फॉर डेवलपमेंट संस्था के प्रशिक्षकों ने प्रयोग कराया।
सोनभद्र, जागरण संवाददाता। सोनांचल के रहवासियों के बीच पिछले 60 वर्षों से आर्थिक सामाजिक सांस्कृतिक और शिक्षण को लेकर काम करने वाली सामाजिक संस्था वनवासी सेवा आश्रम ने शहद निकालने का प्रशिक्षण दिया। विचित्रा महाकक्ष में शुक्रवार से जंगल और बाग बगीचे के ऊंचे पेड़ों पर भंवर मधुमक्खी का शहद निकालने का प्रशिक्षण महाराष्ट्र के वर्धा से आये सेंटर फॉर डेवलपमेंट संस्था के प्रशिक्षकों ने प्रयोग कराया। दक्षिणांचल के पांच क्लस्टर के 21 युवाओं को पेड़ों से मधुमक्खियों को बिना नुकसान पहुंचाये शहद निकालने का प्रशिक्षण शुरू किया है।
संस्था के निदेशक गोपाल जी पालीवाल और प्रशिक्षक सचिन खड़ाते ने प्रशिक्षण के दूसरे दिन शानिवर को प्रशिक्षुओं को तकनीकी जनकारी के साथ प्रायोगिक अभ्यास कराया और रस्सी के सहारे पेड़ पर चढ़ने उतरने के साथ सावधानी बरतते हुए खुद को पेड़ों पर सुरक्षित बैठ कर शहद निकालने की तकनीकी जानकारी दी। सचिन ने बताया कि इस क्षेत्र में बड़ी मधुमखियो का भंडार है। लेकिन, शहद निकालने के लिए लोग रात के अंधेरे में आग से जलाकर शहद निकालते हैं उससे बहुत नुकसान होता है। हम लोग तकनीक के सहारे शहद निकालने का हुनर सिखा रहे हैं। इससे स्थानीय लोगों को साल में दो बार शहद निकालने की जानकारी दी जा रही है।
दो बार में अच्छी आमदनी हो सकती है। रोजगार सृजन के साथ मधुमक्खियों का भी संरक्षण होगा। पराग कण के आदान प्रदान से फसल की उपज भी बढ़ेगी। बताया कि हम लोग देश भर में पिछले दशक से यह काम करते आ रहे हैं उससे अनुभव मिला कि मधुमक्खियों की संख्या बढ़ी है। बताया कि ऊंचे से ऊंचे पेड़ो पर रस्सी के सहारे चढ़ा जा सकता है। इस काम में चार लोगों की जरूरत पड़ती है। पांच दिन के इस प्रशिक्षण में चिन्हित जंगलों में शहद निकाला जाएगा। प्रशिक्षण का आयोजन मिशन समृद्धि और वनवासी सेवा आश्रम संयुक्त रूप से कर रहे हैं।