सोनभद्र के जंगलों की आग के लिए वन विभाग के पास कारगर योजना नहीं, महुआ के कारण हो रही तबाही
पिछले एक सप्ताह में अभी तक ओबरा वन प्रभाग के आधा दर्जन से ज्यादा जंगलों में आग लग चुकी है लेकिन आग पर काबू पाने के लिए वन विभाग के पास कोई कारगर योजना नही दिखाई पड़ रही है।
सोनभद्र, जेएनएन। पिछले एक सप्ताह में अभी तक ओबरा वन प्रभाग के आधा दर्जन से ज्यादा जंगलों में आग लग चुकी है, लेकिन आग पर काबू पाने के लिए वन विभाग के पास कोई कारगर योजना नही दिखाई पड़ रही है। रविवार को भी ओबरा और जुगैल रेंज के आधा दर्जन जगहों पर आग लगी हुयी थी। प्रदेश में सबसे ज्यादा वन क्षेत्र वाले सोनभद्र जनपद में प्रत्येक वर्ष गर्मियों में लगने वाली आग से जितने बड़ी संख्या में पेड़ पौधे जलकर खाक हो जाते हैं।
उतनी संख्या में पेड़ पौधे या कहे वन क्षेत्र कई जनपदों में मौजूद भी नही है।प्रदेश के साथ आस पास के कई प्रदेशों के पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण जनपद के जंगलों को आग से बचाने के लिए अभी तक कारगर योजना नही बन पायी है। पिछले वर्षों में भी जनपद के तमाम वन प्रभागों के अंतर्गत आने वाले जंगलों में लगी आग से 100 हेक्टेयर से ज्यादा जंगल जलकर खाक हो गये थे। तापमान वृद्धि के साथ जंगलों में आग लगने की संभावना बढ़ते जा रही है। जबकि अभी अप्रैल,मई और जून का महीना बचा हुआ है। हवाएं तेज होने के साथ पेड़ों में होने वाला घर्षण काफी ज्यादा हो गया है। खासकर पतझड़ से एकत्रित खर पतवार आग को आगे बढऩे में सबसे ज्यादा मदद कर रहे है।
महुआ ने बढ़ाई समस्या
पिछले कई दशकों से ओबरा वन प्रभाग के जंगलों के लिए महुआ के फूल गिरने के दिन सबसे ज्यादा मुसीबत बनते हैं। वन प्रभाग के सभी रेंज महुआ बाहुल्य हैं। महुआ बीनने के लिए लगाई गयी आग ही सबसे ज्यादा नुक्सान पहुंचा रही है। पिछले एक सप्ताह के दौरान ओबरा रेंज के कडिय़ा, चकाड़ी, लोहिया कुंड, जुगैल रेंज के सिलदहिया पहाड़ी, बिजौरा के पास खोड़वा बाबा पहाड़ी पर, बोदरहवा और खडा़पे पहाड़ी में आग लग चुकी है। इस सभी जगहों पर महुआ बीनने के लिए लगाई गयी आग के कारण ही जंगलों तक आग पहुंची। ओबरा वन प्रभाग के लोहियाकुंड, कोदैला, कडिय़ा, पर्वत बाबा, बहेराडांड, जिरही पर्वत, हरसा, भीतरी, मेरादांड, खेवन्धा, काश्पानी, पल्सो, धनबह्वा, बिजौरा, करजी सहित ओबरा और जुगैल रेंज की कई पहाडिय़ों पर महुआ के बहुतायत की वजह से आग की संभावना प्रत्येक वर्ष बन जाती है।
आग लगने के कारण दुर्लभ वनस्पतियों के साथ वन्य जीवों को भी नुक्सान पंहुचता है
अक्सर महुआ के लिए ग्रामीणों द्वारा सफाई के लिए लगाने वाली आग ही भयावह रूप धारण कर लेती है। आग लगने के कारण दुर्लभ वनस्पतियों के साथ वन्य जीवों को भी नुक्सान पंहुचता है। महुआ को वन्यजीवों से बचाने के लिए भी आग लगाई जाती है।
- अरविंद मिश्रा, क्षेत्रीय वनाधिकारी, जुगैल रेंज।