वाराणसी के फोरेंसिक लैब में अटकी तीन साल से चार हजार से अधिक जांच, नहीं आई विसरा रिपोर्ट

वाराणसी पुलिस द्वारा भेजे गए रामनगर फोरेंसिक साइंस लेबोरेट्री लैब में 400 से अधिक विसरा सैंपल की जांच रिपोर्ट न आने के कारण मौतों का रहस्य बरकरार है। तीन साल से 22 जिलों में हत्या आत्महत्या और हादसों में हुई मौत के करीब चार हजार मामले के जांच पेंडिंग है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Tue, 02 Mar 2021 11:20 AM (IST) Updated:Tue, 02 Mar 2021 01:29 PM (IST)
वाराणसी के फोरेंसिक लैब में अटकी तीन साल से चार हजार से अधिक जांच, नहीं आई विसरा रिपोर्ट
वाराणसी के फोरेंसिक लैब में अटकी तीन साल से चार हजार से अधिक जांच

वाराणसी, जेएनएन। हत्या और हादसों में हुई मौतों पर ली जा रही विसरा रिपोर्ट महज दिखावा रह गई है। विसरा रिपोर्ट पेंडिंग, होने के कारण कोर्ट-थानों में अटके हत्या और मौत के मामले में कार्रवाई नहीं हो रही है।  हत्या व हादसों में पीड़ितों को टरकाने या भीड़ का गुस्सा शांत करने के लिए विसरा रिपोर्ट का सहारा लिया जा रहा है। शायद यही कारण है कि फोरेंसिक लैब भेजे जाने वाले मामलों की रिपोर्ट देने में न तो लैब जल्दबाजी कर रही है और न पुलिस ही संज्ञान ले रही है। ऐसी स्थिति में आरोपियों की सजा में लेट और पीडि़तों की पीड़ा बढ़ रही है। जिले की पुलिस द्वारा भेजे गए रामनगर स्थित फोरेंसिक साइंस लेबोरेट्री लैब में 400 से अधिक विसरा सैंपल की जांच रिपोर्ट न आने के कारण मौतों का रहस्य बरकरार है। वहीं पूरे लैब की बात करें तो पिछले तीन साल से 22 जिलों में हत्या, आत्महत्या और हादसों में हुई मौत के करीब चार हजार मामले के जांच पेंडिंग है।

क्या है विसरा

व्यक्ति की मौत के बाद रासायनिक परीक्षण के लिए मृतक के लीवर, किडनी, आंतें सहित अन्य अंग लिए जातें हैं. इसे विसरा कहते हैं।  विसरा सैम्पल को कैमिकल में संरक्षित रखा जाता है। विसरा सैम्पल की जांच फॉरेंसिक साइंस लेबोरेट्री यानी एफएसएल में की जाती है।

संदिग्ध परिस्थिति में हुई मौत की होती है जांच

अधिवक्ता राजेश सिंह के मुताबिक जब संदिग्ध रुप में हुई मौत का जब पोस्टमार्टम करवाया जाता है। स्थित स्पष्ट नही होने पर विसरा परीक्षण के लिए रख लिया जाता है। आमतौर पर सड़क हादसों , गोली लगने या गंभीर चोट के कारण मौत  होती है तो वहां पोस्टमार्टम में मौत कारण स्पष्ट हो जाता है। अगर मौत संदिग्ध परिस्थिति में हो और अंदेशा हो कि विषाक्त पदार्थ या अन्य किसी कारण मौत हुई है तो विसरा की जांच की जाती है।  

विसरा रिपोर्ट में देरी का है यह खेल

पुलिस को किसी मुकदमें में 90 दिन के भीतर चार्जशिट पेश करना होता है। उससे पहले विसरा की रिपोर्ट आ जाती है। कुछ मामलों में छह महीने से ज्यादा समय लग जाता है । ऐसे में मुकदमों की कार्रवाई अटक जाती है।

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