भारत की संस्कृति व धरोहरों की जानकारी साझा करें विदेशी छात्र, बीएचयू के अंतरराष्ट्रीय केंद्र में बोले आयरलैंड के राजदूत

बीएचयू का 65 विदेशी संस्थानों के साथ आपसी समझौते है। इसके तहत विदेशी छात्रों की सहूलियत के लिए सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए बहुआयामी कार्यक्रम किए जा रहे हैं। सभी विदेशी छात्र अपने देशों में जाकर भारत की संस्कृति एवं धरोहरों की जानकारी प्रतिनिधि के रूप में साझा करें।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Sun, 05 Sep 2021 06:46 PM (IST) Updated:Sun, 05 Sep 2021 06:46 PM (IST)
भारत की संस्कृति व धरोहरों की जानकारी साझा करें विदेशी छात्र, बीएचयू के अंतरराष्ट्रीय केंद्र में बोले आयरलैंड के राजदूत
आयरलैंड में भारत के राजदूत अखिलेश मिश्रा ने रविवार को बीएचयू के अंतरराष्ट्रीय केंद्र में विदेशी छात्र-छात्राओं से संवाद किया।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। आयरलैंड में भारत के नवनियुक्त राजदूत अखिलेश मिश्रा ने रविवार को बीएचयू के अंतरराष्ट्रीय केंद्र में विदेशी छात्र-छात्राओं से संवाद किया। उन्होंने कहा कि सभी विदेशी छात्र अपने देशों में जाकर भारत की संस्कृति एवं धरोहरों की जानकारी प्रतिनिधि के रूप में साझा करें। उन्होंने अपेक्षा की कि इस प्रकार भारत की संस्कृति का अन्य देशों के साथ सकारात्मक रूप से समन्वय हो सकेगा।

संवाद के दौरान छात्रों ने कहा कि पठन-पाठन के अतिरिक्त काशी प्रवास के दौरान एक विशेष प्रकार की अनुभूति होती है जो सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करती है। छात्रों ने बीएचयू में उपलब्ध उत्कृष्ट सुविधाओं की सराहना की। साथ ही शिक्षक दिवस पर सभी शिक्षकों के प्रति शैक्षिक व सर्वागीण विकास के लिए आदर व्यक्त किया। अध्यक्षता कर रहे कार्यवाहक कुलपित प्रो. वीके शुक्ला ने विदेशी छात्रों से अपेक्षा की कि वे भारतीय रीति-रिवाज एवं संस्कृति से भलीभांति परिचित होकर अपने देशों में भारत की छवि को और प्रगाढ़ करें।

अतिथियों का स्वागत करते हुए अंतरराष्ट्रीय केंद्र के अध्यक्ष प्रो. एचपी माथुर ने कहा कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय का 65 विदेशी संस्थानों के साथ आपसी समझौते है। इसके तहत विदेशी छात्रों की सहूलियत के लिए सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए बहुआयामी कार्यक्रम किए जा रहे हैं। इस मौके पर विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो. एके त्रिपाठी, उप कुलसचिव डा. अनिल कुमार तिवारी, आयरलैंड के विद्यार्थी थामस पाल डेविस, नुमाव अमिनव (तजाकिस्तान), मौद अलहबरी (यमन), सिम्बत इस्मौगुलव (कजाकिस्तान), प्रिती जानकी प्रसाद (मारीशस), अरून्धति मुखर्जी (बांग्लादेश), वारेन रूसेरे (जिम्बाम्बे) आदि की सहभागिता थी। धन्यवाद ज्ञापन प्रो. एसवीएस राजू ने किया।

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