सोनभद्र में विदेशी मेहमान पक्षियों से गुलजार हो रहे जलाशय, साइबेरियन पक्षियों की सुरक्षा के लिए इंतजाम नहीं

सोनभद्र में तीन बंधे व जलाशय क्षेत्र की शोभा भी बढ़ाते हैं। इसमें अठखेलियां करते पक्षियों के झुंड को देखते ही मन प्रफुल्लित हो जाता है। ठंड बढ़ते ही जिले के इन जलाशयों में ललसर (विदेशी साइबेरियन) लेदार व टिकया पक्षियों का झुंड दिखाई दे रहा है।

By Abhishek sharmaEdited By: Publish:Mon, 18 Jan 2021 07:50 AM (IST) Updated:Mon, 18 Jan 2021 07:50 AM (IST)
सोनभद्र में विदेशी मेहमान पक्षियों से गुलजार हो रहे जलाशय, साइबेरियन पक्षियों की सुरक्षा के लिए इंतजाम नहीं
ठंड बढ़ते ही जिले के जलाशयों में ललसर (विदेशी साइबेरियन), लेदार व टिकया पक्षियों का झुंड दिखाई दे रहा है।

सोनभद्र, जेएनएन। चतरा व नगवां क्षेत्र का काफी हिस्सा वनों से अच्छादित है। क्षेत्र में तीन बंधे व जलाशय क्षेत्र की शोभा भी बढ़ाते हैं। इसमें अठखेलियां करते पक्षियों के झुंड को देखते ही मन प्रफुल्लित हो जाता है। ठंड बढ़ते ही जिले के इन जलाशयों में ललसर (विदेशी साइबेरियन), लेदार व टिकया पक्षियों का झुंड दिखाई दे रहा है। इनकी सुरक्षा के लिए विभाग की तरफ से कोई उपाय नहीं किए गए हैं, इसके चलते इनका शिकार भी तेजी से हो रहा है। 

विदेशी मेहमान साइबेरियन पक्षियों का धंधरौल जलाशय में आने का सिलसिला ठंड शुरू होते ही हो जाता है। जैसे-जैसे ठंड बढ़ती है उनकी संख्या भी बढ़ती जाती है। साइबेरियन पक्षियों के बारे में खास बात है कि वह अपना ठिकाना उन बांधों व जलाशयों को बनाते हैं जिनका क्षेत्रफल काफी बड़ा होता है। पक्षियों की सुरक्षा के लिए वन विभाग के पास कोई ठोस योजना नहीं है। फिर भी विदेशी मेहमानों को देखते ही बनता है। वर्तमान समय में जिले के अन्य भागों में ललसर, लेदार व टिकया पक्षियों का हजारों की संख्या में झुंड दिखाई पड़ रहा है। ठंड के प्रारंभ में आए इन विदेशी मेहमानों की धमा चौकड़ी से जलाशय जनवरी के अंतिम सप्ताह तक गुलजार रहता है। वहीं शिकारियों की तरफ से विदेशी मेहमानों का शिकार कर प्रति किलोग्राम से बिक्री भी की जाती है। सूत्रों की मानें तो पक्षियों को मारे जाने के लिए सब्जियों में डाली जाने वाले कीटनाशक दवाओं का प्रयोग किया जा रहा है। एक ग्रामीण ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इनके शिकार करने में दो जीवों की हत्या की जा रही है। रंग-बिरंगी तितलियों को पकड़कर उन्हें चीरकर कर दवा उनमें डालकर पानी में फेंक दिया जाता है और जब पक्षी इन तितलियों को खाते हैं तो अचेत हो जाते हैं। इसके बाद घात लगाकर पहले से बैठे शिकारी उन्हें बाहर निकाल लेते हैं। इसके बाद १५० से २०० रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेच देते हैं। 

बोले अधिकारी

ठंड के मौसम में विदेशी मेहमानों का आगमन क्षेत्र में होता है। इनकी सुरक्षा के लिए वन विभाग के हल्का वन कर्मी व मेरे तरफ से क्षेत्र के उन हिस्सों में जहां यह विदेशी मेहमान आते हैं, आए दिन चक्रमण कर जानकारी ली जाती है। कुछ लोग पक्षियों का शिकार करते हैं। विगत वर्षों में दर्जनों बार लोगों को पकड़कर कार्रवाई भी की गई है। - सत्येंद्र कुमार सिंह, वन क्षेत्राधिकारी रामगढ़ रेंज। 

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