सशक्त राष्ट्रनिर्माण के लिए युवाओं का समाज केंद्रित बनना जरूरी, बोले बीएचयू एनएसएस के समन्वयक डा. बाला लखेंद्र
वर्तमान युवा चेतना से ये बोध धीरे-धीरे गायब हुए साथ ही इस अंतर को कम करने वाले बिंदुओं पर बीएचयू राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्यक डा. बाला लखेंद्र ने अध्ययन अध्यापन व अनुभव से मिले रत्नों से परिचय कराया।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। देश की आजादी और उसके बाद तक विवेकानंद, महात्मा गांधी, पं. जवाहरलाल नेहरू, सर्पपल्ली राधाकृष्णन, डा. बाबा साहेब आंबेडकर व जयप्रकाश नारायण आदि के आदर्श व मूल्य युवाओं के लिए कैसे प्रेरणा श्रोत बने रहे और वर्तमान युवा चेतना से ये बोध धीरे-धीरे गायब हुए, साथ ही इस अंतर को कम करने वाले बिंदुओं पर बीएचयू राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्यक डा. बाला लखेंद्र ने अध्ययन, अध्यापन व अनुभव से मिले रत्नों से परिचय कराया। उन्होंने 1950 में ही शिक्षा समितियों के दिए उद्धरण का हवाला देते हुए बताया कि सशक्त राष्ट्रनिर्माण के लिए युवाओं को आत्मकेंद्रित नहीं बल्कि समाज केंद्रित होना जरूरी है।
डा. बाला लखेंद्र सोमवार को आजादी का अमृत महोत्सव अंतर्गत दैनिक जागरण के सोमवारी अकादमिक बैठक में देश के निर्माण में युवा चेतना या युवाओं की भूमिका विषय पर बोल रहे थे। उन्होंने स्वीकार किया कि 1975-77 में जयप्रकाश नारायण जैसी कोई क्रांति बाद में नहीं हुई। हालांकि इसके लिए वे इस कालावधि में देश के लिए मिले महत्वपूर्ण नेतृत्व को मानते हैँ।
बताते हैं कि राजीव गांधी ने पहली बार 1985 में अंतराष्ट्रीय युवा दिवस की घोषणा। 1986 से 12 जनवरी को हम युवा दिवस मनाते आ रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों से विश्व में देश की बढ़ी प्रतिष्ठा पर ध्यान केंद्रित करते हैं। बताया कि उन्होंने विकास के स्तंभ खींचे हैं। साथ ही अमेरिका के एक मंत्री द्वारा कोरोना काल में भारत की भूमिका की प्रशंसा को रेखांकित किया।
डा. बाला ने महात्मा गांधी का सामाजिक सरोकार उनके हरिजन व यंगइंडिया पत्रिका में लिखे लेख व उनके मूल्य पर प्रकाश डाला। बताया कि 1947 से देश की आजादी के 75 साल बाद नई शिक्षा नीति में गांधी पूरी तरह परिलक्षित हो रहे हैं। इसे सरकार द्वारा कौशल विकास पर दिए जाने वाले बल से समझा जा सकता है। गांधी चाहते थे कि युवा आत्मकेंद्रित न हो बल्कि समाज केंद्रित हो। युवाओं को गांवों में विद्यालय, शौचालय, बिजली, पानी की समस्या की चिंता करनी चाहिए।
समन्वयक डा. बाला ने 24 सितंबर, 1969 में स्थापित राष्ट्रीय सेवा योजना से जुड़े देशभर में 40 लाख स्वयं सेवकों द्वारा कोरोना काल में किए प्रयासों को बताया। इसके लिए उन्होंने 1950 में पं. नेहरू के आमंत्रण पर दिल्ली में देशभर के युवाओं की मौजूदगी में राष्ट्र के विकास संबधी प्रसंगों से अवगत कराया। इसी दौरान शिक्षा समितियाें ने कहा था कि भारतीय युवाओं को चाहते हैँ कि उनका व्यक्तित्व व चारित्रिक विकास हो और समाज को अपने से जोड़ें तो इसके लिए राष्ट्रीय सेवा योजना की स्थापना हो।
वर्तमान युवा पीढ़ी पर चिंता जाहिर करते हुए डा. बाला ने कहा कि आज का युवा अपने मूल से कटता हुआ दिख रहा है। इस पर उन्होंने आंबेडकर के विचारों से अवगत कराया। बताया कि आंबेडकर भारतीय युवाओं के विदेशों में पढ़ने के पक्षधर होने के साथ अपने जड़ से जुड़ रहने पर भी बल देते थे। डा. बाला ने इर्नाकुलम जिले के एक कलेक्टर द्वारा देश का प्रथम साक्षर जिला बनाने का उदाहरण देते हुए देशभर के बड़े अधिकारियों से उम्मीद जताई कि प्रयास ऐसे हों तो कुछ भी प्राप्त किया जा सकता है। विनोभा भावे के सचिव बाल विजय से परिचय कराते हुए बताया कि उन्होंने संदेश दिया कि हंसो और अपने आसपास के लोगों को हंसाओ। बैठक में उठे सवालों का भी डा. बाला ने विस्तार से जवाब दिया।
इससे पूर्व दैनिक जागरण के स्थानीय वरिष्ठ समाचार संपादक भारतीय बसंत कुमार ने वक्ता डा. बाला लखेंद्र द्वारा भागलपुर और अन्य जगहों पर विविध सरोकारों से जुड़े किए कार्यों से अवगत कराया। उन्होंने युवाओं को सामाजिक सरोकार से जोड़ने और आंदोलन विहीन समाज में कुंद होती चेतना समेत सशक्त राष्ट्र निर्माण के लिए त्याग व बलिदान जैसे ह्रास होते मूल्यों व आदर्शों को युवाओं में पुनर्स्थापित व प्रेरित करने वाले बिंदुओं पर प्रकाश डालने की जिज्ञासा जताई।