Flood in varanasi : वाराणसी में गंगा में प्रति घंटा आधा सेमी का बढ़ाव, बलिया और गाजीपुर में हालात चिंताजनक
अपना घर छोड़कर सप्ताह भर से लोग आश्रय स्थलों पर पानी कम होने का इंतजार कर रहे हैं लेकिन गंगा का रुख अब भी तल्खी की ओर बना हुआ है।
वाराणसी, जेएनएन। मध्य प्रदेश के रास्ते गंगा में आई बाढ़ इस बार काफी तबाही लेकर आई है। अपना घर छोड़कर सप्ताह भर से लोग आश्रय स्थलों पर पानी कम होने का इंतजार कर रहे हैं लेकिन गंगा का रुख अब भी तल्खी की ओर बना हुआ है। शनिवार की सुबह गंगा कुछ देर तक स्थिर होने के बाद दोबारा आधा सेंटीमीटर प्रतिघंटा के गति से बढ़ने लगी हैं। वहीं पलट प्रवाह की वजह से वरुणा, असि और गोमती के अलावा अन्य सहायक छोटी नदियों के रास्ते गंगा ने नए क्षेत्रों में पहुंच बना ली है। कई तटवर्ती इलाकों के मकानों में पूरा एक मंजिल तक गंगा में डूब चुका है, लोग छतों पर आसरा लिए हुए हैं।
जिला | खतरा | चेतावनी | वर्तमान | रुख |
मीरजापुर | 77.72 | 76.724 | 77.89 | बढ़ाव |
वाराणसी | 71.26 | 70.26 | 71.79 | बढ़ाव |
गाजीपुर | 63.10 | 62.10 | 64.36 | बढ़ाव |
बलिया | 57.61 | 56.61 | 59.90 | बढ़ाव |
इस समय मीरजापुर, वाराणसी, गाजीपुर और बलिया चारों जिलों में गंगा एक साथ खतरे के निशान से ऊपर हैं। हालांकि अब गंगा स्थिर होने के बाद राहत की प्रशासन ने सांस ली है। मगर आगे भी अगर गंगा का रुख बढ़ाव की ओर होगा तो दुश्वारी फिर से बढ़ सकती है। शाम पांच बजे तक वाराणसी में 71.83 मीटर गंगा का जलस्तर होने के बाद लोगों की चिंता और बढ़ गई है।
बाढ़ की वजह से तटवर्ती और निचले इलाके जहां जलमग्न हैं वहीं खेत खलिहान डूबने से पशुओं के लिए हरे चारे का सप्ताह भर से संकट बना हुआ है। खेती किसानी जहां जलमग्न क्षेत्रों में चौपट है वहीं बाढ़ अगर एक दो दिन नहीं उतरी तो यह सीजन तटवर्ती किसानों के लिए आर्थिक घाटा भी लेकर आएगी। गंगा नदी में सोमवार से जारी उफान शनिवार की सुबह तक पूर्वांचल में बना हुआ है। मप्र के चंबल के रास्ते आई यह आपदा पूर्वांचल में मीरजापुर, भदोही, वाराणसी, गाजीपुर और बलिया में तबाही मचा रही है। वहीं पलट प्रवाह की वजह से वरुणा और गोमती के किनारे रहने वाले भी प्रभावित हो गए हैं।
प्रशासन जहां राहत सामग्री बांट कर इतिश्री कर ले रहा है वहीं बाढ़ में फंसे लोगों के सामने आर्थिक समस्या भी सिर उठाए हुए है। किसानों की फसल पानी में डूबने के बाद जहां सड़ने लगी है वहीं किसानों के लिए डूबे खेत उम्मीदें डूबने सरीखा नजारा पेश कर रहे हैं। पशुओं के लिए चारे की कमी और बाढ में बीमारी के खतरे को देखते हुए प्रशासन की ओर लोगों की निगाह लगी हुई है। कई निचले इलाकों में अब बाढ की वजह से घरों के गिरने की भी घटनाएं सामने आने लगी हैं। जिसकी वजह से जनधन हानि की भी संभावनाएं सिर उठाने लगी हैं।