अखिल भारतीय स्तर पर पहला दो दिवसीय राजभाषा सम्मेलन वाराणसी में आज से, आठ सत्रों में हिंदी के प्रयोग पर होगा विचार-मंथन

राजभाषा विभाग गृह मंत्रालय की ओर से दो दिवसीय अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन 13 नवम्बर से शुरू होगा। दीन दयाल हस्तकला संकुल बड़ालालपुर में सुबह दस बजे से इस सम्मेलन का शुभारंभ गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह करेंगे।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Sat, 13 Nov 2021 07:30 AM (IST) Updated:Sat, 13 Nov 2021 07:30 AM (IST)
अखिल भारतीय स्तर पर पहला दो दिवसीय राजभाषा सम्मेलन वाराणसी में आज से, आठ सत्रों में हिंदी के प्रयोग पर होगा विचार-मंथन
अखिल भारतीय स्तर पर पहला दो दिवसीय राजभाषा सम्मेलन वाराणसी में आज से

जागरण संवाददाता, वाराणसी। राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय की ओर से दो दिवसीय अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन 13 नवम्बर से शुरू होगा। दीन दयाल हस्तकला संकुल, बड़ालालपुर में सुबह दस बजे से इस सम्मेलन का शुभारंभ गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह करेंगे।

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्र ने यह जानकारी दी। सर्किट हाउस में शुक्रवार को देरशाम पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। कहा कि गृह एवं सहकारिता मंत्री के अलावा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, निशिथ प्रमाणिक और सांसदगण, सचिव राजभाषा, सयुंक्त सचिव राजभाषा सहित पूरे देश के अलग-अलग राज्यों से आए विद्वान इसमें उपस्थित रहेंगे। आठ सत्रों में हिंदी के प्रगामी प्रयोग को बढ़ाने के विषय में विचार और मंथन करेंगे।

14 सितंबर, 1949 को संविधान सभा ने राजभाषा किया घोषित

केंद्रीय राज्यमंत्री ने कहा कि आज़ादी के आंदोलन में हिंदी ने पूरे देश को एक सूत्र में पिरोने का काम किया। यह मुख्य भाषा बनी। आजादी मिलने के बाद 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने इसे सर्वसम्मति से भारत की राजभाषा घोषित किया। इसका प्रस्ताव प्रसिद्ध विद्वान गोपाल स्वामी अयंगर ने किया था।

सात साल में हिंदी बोलने व लिखने वालों की संख्या बढ़ी

केंद्रीय राज्यमंत्री ने कहा प्रधानमंत्री की प्रेरणा से हिंदी के प्रसार को लेकर व्यापक काम हुआ है। सात वर्षों में हिंदी बोलने लिखने और पढऩे वालों की संख्या में व्यापक वृद्धि हुई है। इतना ही नहीं यूएन ने भी काफी काम हिंदी में आरंभ कर दिया है। यूएन के समाचार, ट्विटर और सोशल मीडिया एकाउंट हिंदी में हैं।

आठ सत्रों में हिंदी पर मंथन

दीनदयाल हस्तकला संकुल के दो सभागारों में तीन-तीन सत्र आयोजित किए जाएंगे। पहला सत्र स्वतंत्रता संग्राम और स्वतंत्र भारत में संपर्क भाषा एवं जनभाषा के रूप में हिंदी की भूमिका तथा दूसरा सत्र राजभाषा के रूप में हिंदी की विकास यात्रा और योगदान विषय पर आयोजित होगा। इन दोनों सत्रों के समानांतर सत्र दूसरे सभागार में होंगे। एक का विषय मीडिया में हिंदी प्रभाव एवं योगदान तथा दूसरे का विषय वैश्विक संदर्भ में हिंदी की चुनौतियां और संभावनाएं होगा। तीसरे सत्र में भाषा चिंतन की भारतीय परंपरा और संस्कृति के निर्माण में हिंदी की भूमिका विषय पर वक्तागण अपनी बात रखेंगे और इसी के समानांतर सत्र में न्यायपालिका में हिंदी-प्रयोग और संभावनाएं विषय पर चर्चा की जाएगी। पहले दिन शाम सात से सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। दूसरे दिन 14 नवंबर को सुबह लमही गांव में मुंशी प्रेमचंद की प्रतिमा पर श्रद्धा-सुमन अर्पित करने के बाद सुबह साढ़े दस बजे से संकुल में दो सत्र रंगमंच सिनेमा और हिंदी तथा काशी का हिंदी साहित्य में योगदान विषय पर आयोजित किए जाएंगे। समापन दोपहर साढ़े 12 बजे होगा।

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