बीएचयू में आया जापानी इंसेफ्लाइटिस का पहला संदिग्ध, जांच के लिए चिकित्सा विज्ञान संस्थान स्थित लैब में भेजा गया सैंपल

कोरोना के बाद अब जापानी इंसेफ्लाइटिस (जेई) का खतरा बढ़ा गया है। इसकी आहट से बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में चिकित्सक भी अलर्ट हो गए हैं। यहां पर जापानी इंसेफ्लाइटिस एक संदिग्ध मरीज भी आ गया है। इसकी जांच के लिए संस्थान के लैब में सैंपल भेजा गया है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Wed, 21 Jul 2021 09:24 PM (IST) Updated:Wed, 21 Jul 2021 09:24 PM (IST)
बीएचयू में आया जापानी इंसेफ्लाइटिस का पहला संदिग्ध, जांच के लिए चिकित्सा विज्ञान संस्थान स्थित लैब में भेजा गया सैंपल
अब जापानी इंसेफ्लाइटिस (जेई) का खतरा बढ़ा गया है।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। कोरोना के बाद अब जापानी इंसेफ्लाइटिस (जेई) का खतरा बढ़ा गया है। इसकी आहट से बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में चिकित्सक भी अलर्ट हो गए हैं। यहां पर जापानी इंसेफ्लाइटिस एक संदिग्ध मरीज भी आ गया है। इसकी जांच के लिए संस्थान के लैब में सैंपल भेजा गया है। जांच रिपोर्ट आने के बाद इसकी पुष्टि हो जाएगी। हालांकि संदिग्ध मानकर मरीज का उपचार शुरू हो गया है। ऐसे में अगर यहां पर जेई की पुष्टि होती है तो इसकी दस्तक माना जा सकता है।

अस्पताल स्थिति बाल रोग विभाग के वार्ड में मंगलवार को जापानी इंसेफ्लाइटिस का एक संदिग्ध बच्चा आया है। बाल रोग विभाग के प्रो. सुनील राव ने बताया कि इस बच्चे के जापानी इंसेफ्लाइटिस होने की अभी पुष्टि होनी बाकी है। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। हालांकि भर्ती कर उपचार शुरू कर दिया गया है। प्रसिद्ध वायरोलाजिस्ट एवं मालिक्यूटर बायोलॉजी यूनिट, आइएमएस के विभागाध्यक्ष प्रो. सुनीत कुमार सिंह बताते हैं कि जापानी इंसेफ्लाइटिस एक मच्छर जनित रोग है। यह रोग आमतौर पर क्यूलेक्स मच्छर के लारवा से बढ़ता है। जेई वायरस से संक्रमित अधिकतर लोगों में केवल हल्के लक्षण होते हैं, जिसमें बुखार, सर्दी, जुकाम सिरदर्द शामिल हैं। आमतौर पर ये लक्षण संक्रमित होने के पांच से 15 दिनों के बाद सामने आते हैं। इस लिए सभी को सावधान रहना चाहिए।

जापानी इंसेफ्लाइटिस की वैक्सीन भी उपलब्ध

ये वायरस रक्त के माध्यम से मस्तिष्क में भी प्रवेश कर जाता है। हालांकि जेई की वैक्सीन भी उपलब्ध है। प्रो. सिंह ने बताया कि वायरस का लोड बढ़ने से बच्चों में पैरालाइसिस या गंभीर अवस्था से वापस आने पर यादाश्त पर भी असर पड़ता है। वहीं माइक्रो बायोलाजी विभाग, आइएमएस के प्रो. गोपाल नाथ ने बताया कि जेई के जांच की पूरी सुविधा मौजूद है। इसकी पुष्टि एंटी बाडी टेस्ट से भी हो सकती है।

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