देश का पहला 'पर्यावरण महाकुंभ' बनारस में, काशी विद्यापीठ को मिली जिम्‍मेदारी

देश का पहला पर्यावरण महाकुंभ पहली दिसंबर से बनारस में आयोजित होने जा रहा है। इसके आयोजन की जिम्मेदारी महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी को मिली है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Fri, 21 Sep 2018 10:08 PM (IST) Updated:Sat, 22 Sep 2018 08:45 AM (IST)
देश का पहला 'पर्यावरण महाकुंभ' बनारस में, काशी विद्यापीठ को मिली जिम्‍मेदारी
देश का पहला 'पर्यावरण महाकुंभ' बनारस में, काशी विद्यापीठ को मिली जिम्‍मेदारी

वाराणसी [अजय कृष्ण श्रीवास्तव] : देश का पहला पर्यावरण महाकुंभ पहली दिसंबर से बनारस में आयोजित होने जा रहा है। इसकी जिम्मेदारी महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ को मिली है। दो दिवसीय कुंभ में देशभर के पर्यावरणविद् की जुटान होगी। पर्यावरणविद् के अलावा  समाजसेवी, जनप्रतिनिधि तीन हजार लोगों के शामिल होने की संभावना है। इसमें देश ही नहीं पूरे विश्व में पर्यावरण की समस्याओं व समाधान में गहन विमर्श होगा। सांस्कृतिक मान्यताओं व वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर भी मंथन किया किया जाएगा, ताकि काशी की धरती से विश्व को संदेश दिया जा सके। कुंभ की एक विस्तृत रिपोर्ट भी तैयार की जाएगी। यह रिपोर्ट केंद्र व राज्य सरकार को भी प्रेषित किया जाएगा ताकि पर्यावरण संरक्षण के लिए इस अमल किया जा सके। कुंभ के दौरान विमर्श की वीडियोग्राफी भी कराई जाएगी। 

चार दिवसीय प्रदर्शनी भी आयोजित होगी : चार दिवसीय पर्यावरण प्रदर्शनी भी लगाई जाएंगी, इसमें जनपद के विभिन्न विद्यालयों के बच्चों को जोडऩे की तैयारी चल रही है। प्रदर्शनी के माध्यम से पर्यावरण समस्या, चुनौती व समाधान भी बताने का प्रयास किया जाएगा।  

पौधों की प्रजातियों पर भी मंथन : काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो. टीएन सिंह ने बताया कि समूचे विश्व के सामने पर्यावरण एक चुनौती बनी हुई है। हर साल हम पर्यावरण दिवस पर कुछ पौधे लगाकर औपचारिकता मात्र कर रहे हैं। वर्तमान में ऐसे पौधे रोपे जा रहे है जिससे पर्यावरण को कोई खास फायदा नहीं मिल रहा है। कुंभ में पौधों की प्रजातियों पर भी मंथन होगा। कौन सा पौधा अधिक आक्सीजन देता है। इसके क्या कारण है। फलदार वृक्ष लगाना क्यों जरूरी है। सम्मेलन में  कुंभ के नाम पर विमर्श किया जाएगा।

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