वाराणसी के 32 स्वास्थ्य केंद्र प्रभारियों ने पद से दिया इस्तीफा, प्रशासनिक पहल पर माने

बुधवार को वाराणसी के 32 स्वास्थ्य केंद्र प्रभारियों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। जिलाधिकारीकी पहल पर स्वास्थ्य केंद्र प्रभारियों की ओर से इस्तीफा वापस लेने का दावा किया गया।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Wed, 12 Aug 2020 06:12 PM (IST) Updated:Wed, 12 Aug 2020 11:46 PM (IST)
वाराणसी के 32 स्वास्थ्य केंद्र प्रभारियों ने पद से दिया इस्तीफा, प्रशासनिक पहल पर माने
वाराणसी के 32 स्वास्थ्य केंद्र प्रभारियों ने पद से दिया इस्तीफा, प्रशासनिक पहल पर माने

वाराणसी, जेएनएन। डिप्टी कलेक्टर पर मानसिक प्रताडऩा का आरोप लगाते हुए बुधवार को जिले के 32 स्वास्थ्य केंद्र प्रभारियों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। एक साथ सभी स्वास्थ्य केंद्र प्रभारियों के इस्तीफे से जहां स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया, वहीं जिला प्रशासन सकते में आ गया। हालांकि देर शाम जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा की पहल पर स्वास्थ्य केंद्र प्रभारियों की ओर से इस्तीफा वापस लेने का दावा किया गया।

डीएम की पहल पर देर शाम पीएमएचएस एसोसिएशन के पदाधिकारियों संग सीएमओ डा. वीबी ङ्क्षसह ने बातचीत की और समस्याएं सुनी। मुश्किल घड़ी में सभी से सहयोग की अपील करते हुए उन्होंने स्वास्थ्य केंद्र प्रभारियों की दिक्कतों से डीएम को अवगत कराया। इसके बाद जिलाधिकारी की ओर इस संदर्भ में निर्देश जारी किए गए, जिस पर प्रभारी चिकित्साधिकारी सहमत हुए और दिनभर चले प्रकरण का अंत हुआ। नए निर्देश के अनुसार प्रशासनिक अधिकारी सीएमओ एवं अपर मुख्य चिकित्साधिकारी के साथ ही समन्वय बनाकर काम करेंगे। जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों से कार्य कराने का दायित्व, उन पर नियंत्रण एवं निर्देश जारी करने का अधिकार सिर्फ सीएमओ का रहेगा। अन्य विभाग के अधिकारी मुख्य चिकित्साधिकारी एवं अपर मुख्य चिकित्साधिकारी की टीम का डाटा फीङ्क्षडग व प्लाङ्क्षनग में सहयोग करेंगे। वहीं सीएमओ के अलावा किसी अन्य प्रशासनिक अधिकारी द्वारा सीधे स्वास्थ्य केंद्र प्रभारियों को निर्देश जारी करने से मना कर दिया है। डीएम के मुताबिक पिछले तीन-चार दिन से स्वास्थ्य केंद्रों का कार्यभार कम करने की दिशा में प्रयास किए गए हैं। नए अध्यापकों की 102 टीमें बनाई गई हैं, जो कांटेक्ट ट्रेङ्क्षसग के काम में स्वास्थ्य केंद्र प्रभारियों का सहयोग करेंगे। वहीं लैब टेक्नीशियन की 30 नई टीम बनाकर सैंपल दर भी बढ़ाई गई है। शहर में ऐसे 15 स्वास्थ्य केंद्र हैं, जिन पर काम का अधिक बोझ है और उनके यहां पॉजिटिव केस भी अधिक हैं। इन्हें अतिरिक्त डाटा इंट्री ऑपरेटर उपलब्ध कराए जाएंगे। वहीं स्वास्थ्य केंद्रों पर उपलब्ध डाक्टरों की संख्या भी बढ़ाई जाएगी।

मानसिक प्रताडऩा से तंग आकर पद से दिया था इस्तीफा

सहायक नोडल अधिकारी/डिप्टी कलेक्टर पर मानसिक प्रताडऩा का आरोप लगाते हुए शहर के 24 व आठ ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्र प्रभारियों ने अपने पद से इस्तीफा दिया था। स्वास्थ्य केंद्र प्रभारियों का आरोप था कि प्रशासनिक अधिकारी स्वास्थ्य कर्मियों के साथ बैठकों में दुव्र्यवहार करते हैं। उन्हें बस अपने टारगेट की ही परवाह रहती है। स्वास्थ्य कर्मियों के दिन-रात की मेहनत को तबज्जो नहीं दिया जाता है। उनके साथ सम्मानजनक व्यवहार भी नहीं होता। इसमें डिप्टी कलेक्टर की ओर से जारी पत्र का भी हवाला दिया गया, जिसमें कोविड-19 के दौरान किए गए कार्यों को अपर्याप्त बताते हुए प्रभारी चिकित्साधिकारियों को दोषी ठहराया गया। साथ ही टारगेट पूरा न होने को आपराधिक कृत्य करार देते हुए मुकदमा दायर करने तक की धमकी दी गई थी। इतना ही नहीं 23 जुलाई को कोविड से हुई मौतों के लिए भी स्वास्थ्य केंद्र प्रभारियों को ही जिम्मेदार ठहराते हुए जवाब मांगा गया। वहीं स्वास्थ्य केंद्र प्रभारियों ने अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डा. जंग बहादुर की मौत को लेकर भी प्रशासन पर सवाल उठाए। कहा आखिर उनके मौत की जिम्मेदारी किसकी है, क्योंकि प्रशासन द्वारा डा. जंग बहादुर को भी बर्खास्त करने की धमकी दी गई थी। शायद इस धमकी का उन्हें सदमा लगा और उनकी मौत हो गई। प्रभारियों ने इस तरह के मानसिक दबाव में काम करने में असमर्थता जाहिर थी।

बिना बात किए तय कर लिया मामला

वहीं डीएम की पहल पर सीएमओ से पीएमएचएस एसोसिएशन की वार्ता को लेकर कुछ स्वास्थ्य केंद्र प्रभारियों ने सवाल भी उठाए। कहा बिना उन लोगों से बात किए मामला आपस में तय कर लिया गया है। हालांकि डीएम की ओर से जारी निर्देश को लेकर सभी सहमत रहे।

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