राजकीय बाल गृह में खुशियों की बरसात, उम्मीद छोड़ चुके पिता-पुत्र आठ साल बाद मिले तो निकले आंसू

राजकीय बाल गृह (बालक) में शुक्रवार को मानों खुशियों की बरसात हुई।

By Edited By: Publish:Mon, 09 Dec 2019 01:47 AM (IST) Updated:Mon, 09 Dec 2019 08:17 AM (IST)
राजकीय बाल गृह में खुशियों की बरसात, उम्मीद छोड़ चुके पिता-पुत्र आठ साल बाद मिले तो निकले आंसू
राजकीय बाल गृह में खुशियों की बरसात, उम्मीद छोड़ चुके पिता-पुत्र आठ साल बाद मिले तो निकले आंसू

वाराणसी, जेएनएन। रामनगर में राजकीय बाल गृह (बालक) में शुक्रवार को मानों खुशियों की बरसात हुई। सात साल की उम्र में ट्रेन से सफर के दौरान खो गए पुत्र शुभान (15) से आठ साल बाद मिलकर पिता जब्बार की जहा आखें नम हुई, वहीं 10 साल की उम्र में बिछड़े बेटे सिकंदर माझी(14) से चार साल बाद मिल कर मां काली देवी के कलेजे को सुकून मिला। लंबे अरसे बाद परिवार से मिलने पर बालक परिवार के सदस्यों से लिपट कर रोने लगा। इस दौरान वहा उपस्थित अन्य लोगों की भी आखें नम हो गई। सीडब्ल्यूसी के आदेश पर दोनों को बालगृह के प्रभारी अधीक्षक अशोक कुमार ने परिजनों को सौंप दिया। परिवार से दूर हुए दोनों बालकों की कहानी भी किसी फिल्म की कहानी सरीखे लगती हैं लेकिन एकदम सत्य घटना है।

राजकीय बालगृह के कर्मचारी व साथी संस्था के महेंद्र विश्वकर्मा तथा दीपिका पांडेय ने कई माह की काउसलिंग के दौरान दोनों बालकों के घर का पता ढूंढ निकाला। हालाकि इस दौरान उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा। शुभान के पिता ने बताया कि अपने बहन व मा के साथ ट्रेन से बेगूसराय जा रहा था। उसी दौरान उसका बच्चा बिछड़ गया। उस समय काफी खोजबीन की गई लेकिन बेटे का पता नहीं चला। बेटे के खोने का दोष खुद को मानते हुए मा अक्सर गमों में खोई रहती थीं।

अंतत: बेटे के खोने का गम नहीं झेल सकी और मा का एक वर्ष के भीतर ही इंतकाल हो गया।पिता भी बेटे के मिलने की आस छोड़ चुका था। वहीं सिंकदर की मा काली ने कहा कि गाव का ही एक व्यक्ति बेटे को काम दिलाने के नाम पर ले गया। कुछ दिन हिमाचल प्रदेश में निर्माणाधीन एक बिल्डिंग में काम कराया। पैसा मागने पर आजकल होता था। इसी कारण सिंकदर वहा से भाग निकला था।और आज जब बेटे को सामने देखा तो सहसा विश्वास ही नहीं हो रहा है कि मेरा बेटा मुझे फिर से मिल गया।

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