कृषि कानून रद करने की मांग को लेकर किसान कांग्रेस 28 फरवरी को देवरिया में निकालेगी रैली

उत्तर प्रदेश किसान कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता संजय चौबे ने पत्रकार वार्ता करते हुए कहा कि आजादी के बाद से 1990 तक उत्तर प्रदेश में 148 चीनी मिले थी। सभी मिले विकास के पथ पर दौड़ रही थी और गन्ना किसानोंं की स्थिति काफी अच्छी थी।

By Abhishek sharmaEdited By: Publish:Fri, 26 Feb 2021 03:46 PM (IST) Updated:Fri, 26 Feb 2021 03:46 PM (IST)
कृषि कानून रद करने की मांग को लेकर किसान कांग्रेस 28 फरवरी को देवरिया में निकालेगी रैली
उत्तर प्रदेश किसान कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता संजय चौबे ने पत्रकार वार्ता की।

वाराणसी, जेएनएन। महानगर कांग्रेस कमेटी के मैदागिन स्थित कार्यालय में उत्तर प्रदेश किसान कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता संजय चौबे ने पत्रकार वार्ता करते हुए कहा कि आजादी के बाद से 1990 तक उत्तर प्रदेश में 148 चीनी मिले थी। सभी मिले विकास के पथ पर दौड़ रही थी और गन्ना किसानोंं की स्थिति काफी अच्छी थी। उत्तर प्रदेश में गन्ना उद्योग के रूप स्थापित हो चुका था, लेकिन 1990 में कांग्रेस की सरकार जाने के बाद चीनी मिलों की स्थिति काफी खराब होने लगी और कई मिले बंदी के दौर से गुजरने लगी।

मिलों पर किसानों का बकाया ज्यादा रहने लगा। जिसके कारण किसान तंगी के दौर से गुजरने लगा जिसका सीधा असर पूर्वी उत्तर प्रदेश के किसानो पर पड़ा और पूर्वी उत्तर प्रदेश के किसानो ने गन्ने की खेती करना कम कर दिया जिससे पूर्वांचल में गन्ना उद्योग खत्म होने लगा। प्रदेश प्रवक्ता संजय चौबे ने बताया कि सन 1990 से लेकर 2021 तक प्रदेश में सपा,बसपा और भाजपा ने मिलकर बारी बारी से शासन किया लेकिन किसी सरकार ने गन्ना किसानों के और चीनी मिलोंं के ऊपर कोई ध्यान नहीं दिया सबका ध्यान केवल उत्तर प्रदेश को बरबाद करने और अपनी जेब भरने में लगा रहा। उत्तर प्रदेश में जब 2007 में बसपा की पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनी तब मायावती जी ने  2010-2011के दौरान प्रदेश की 21 चीनी मिलोंं को अपने चहेतों को औने पौने दाम में बेचने का काम किया जिसमे से 10 चीनी मिले चालू हालात में थी इन मिलो की कैग रिपोर्ट में साबित हुआ कि मायावती सरकार के दौरान बेची गयी चीनी मिलें 10 से 12 गुना कम कीमत पर बेची गयी और सरकारी राजस्व को काफी क्षति पहुंचाई गयी है।

प्रदेश प्रवक्ता संजय चौबे ने बताया कि  2012 में जब प्रदेश में अखिलेश यादव की सरकार आयी तो उन्होने पूर्व की सरकार पर कार्यवाही करने के बजाय एक और लोकायुक्त की जांच बैठा दी। जिसका आज तक कोई रिजल्ट नही आया। अखिलेश यादव ने गन्ना किसानों और चीनी उद्योग को झटका देते हुए 10 चीनी मिलोंं को बंद कर दिया। 2017 में अखिलेश सरकार बदलने के बाद योगी सरकार ने कैग रिपोर्ट पर कार्यवाही करने के बजाय बिकी हुई चीनी मिलो की जांच सीबीआई को दे दी। सीबीआई जांच का आज तक कोई परिणाम नहीं आया। चौबे ने सवाल उठाते हुए कहा कि चीनी मिलो की बिक्री की कैग रिपोर्ट में मायावती की गलती उजागर हुई इसके बावजूद अखिलेश यादव ने उन्हे बचाया तथा अखिलेश यादव ने 10 और मिलोंं को बंद कर दिया। इसके पश्चात योगी सरकार ने न तो इसकी जांच कराया कि फायदे में रहने वाली मिले घाटे में क्योंं आयींं। इन मिलोंं को क्योंं बेचा गया। योगी सरकार ने मायावती सरकार पर कैग रिपोर्ट के आधार पर कोई कार्यवाही नही किया जिसके कारण चीनी मिलोंं में भ्रष्टाचार व्याप्त हो गया। योगी सरकार ने गन्ना किसानोंं का चार साल से एसएपी में कोई वृद्धि नहीं किया। आखिर क्या कारण है कि चीनी मिलोंं से निकलने वाले सीरे का रेट काफी कम रहता है लेकिन उस सीरे से जब रम बनता है या सीरे से प्राप्‍त अल्कोहल से दवा बनती है तो रम या दवा बनाने वाली कंपनियांं काफी फायदे में रहती हैं। कहा कि सरकारी आंकडोंं के अनुसार चीनी कंपनियांं हमेशा घाटे में रहती है, अतः स्पष्ट है कि 1990 से भ्रष्टाचार का खुला खेल चल रहा है जिसकी सुप्रीम कोर्ट के निर्देशन में एसआईटी जांंच करायी जाय जिससे सपा, बसपा और भाजपा के मिली भगत और भ्रष्टाचार का खुलासा हो सके चीनी मिले बेचने और बंद करने वालोंं को  दंड मिल सके।

प्रदेश प्रवक्ता संजय चौबे ने कहा कि आज कि तारीख में पश्चिम उत्तर प्रदेश में केवल 70 फीसदी मिले ही चालू है और मध्य उत्तर प्रदेश में  केवल 40% मिलें ही चालू हैं और पूर्व की स्थिति इससे भी खराब है और इस स्थिति में भी गन्ना किसानो का सरकार के ऊपर 12000 करोड़ रुपया से ज्यादा बकाया है। प्रदेश सरकार जल्द से जल्द गन्ना किसानोंं का बकाया दे, बंद पड़ी मिलोंं को चालू करे और गन्ने का मूल्य स्वामीनाथन कमेटी के के आधार पर अदा करे और तीनों काले कृषि कानूनों को रद कराने कि मांंग को लेकर उत्तर प्रदेश किसान कांंग्रेस देवरिया के बैतालपुर में 28 फरवरी को एक बड़ी रैली करने जा रहा है। जिसमेंं किसानोंं की बड़ी हिस्सेदारी होगी जिससे प्रदेश और केन्द्र सरकार को किसानोंं की मनोभावना से अवगत कराया जा सके। 

chat bot
आपका साथी