पोस्ट कोविड में प्रबन्धन से बेहतर व्यवहार की उम्मीद, डीएवी पीजी कालेज में वेबिनार आयोजित
परिस्थितियों में कर्मचारियों के साथ प्रबन्धकों की मानवीय संवेदना के व्यवहार की आवश्यकता है। डीएवी पीजी कालेज के वाणिज्य विभाग के तत्वावधान में मंगलवार को आयोजित पोस्ट कोविड में प्रबन्धकों की चुनौतियां‘ विषयक संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए यह बातें विभागाध्यक्ष डा. प्रदीप कमल ने कही।
वाराणसी, जागरण संवाददाता। कोरोना काल में जिस तरह से बेरोजगारी बढ़ी है, वह सभी के लिए चिन्ताजनक है। इन परिस्थितियों में कर्मचारियों के साथ प्रबन्धकों की मानवीय संवेदना के व्यवहार की आवश्यकता है। डीएवी पीजी कालेज के वाणिज्य विभाग के तत्वावधान में मंगलवार को आयोजित पोस्ट कोविड में प्रबन्धकों की चुनौतियां‘ विषयक संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए यह बातें विभागाध्यक्ष डा. प्रदीप कमल ने कही।
मुख्य वक्ता डा. विमल शंकर सिंह ने कहा कि कोरोना ने समूचे आर्थिक ढ़ाचें को प्रभावित किया है, जिसे पुर्नगठन की आवश्यकता है, सुधार के स्तर में काफी गिरावट देखी जा रही है। बाजार में किसी प्रकार की मांग नही है, ऐसे में इस समय प्रबन्धन और कर्मचारी दोनो समूहों को फिर से नये सिरे से रणनीति बनाकर कार्य करना होगा।
डा. ओमकार नाथ दुबे ने कहा कि प्रत्येक प्रबन्धकों को पोस्ट कोविड के बाद अपने व्यवहार में परिवर्तन लाना होगा, ताकि कार्यस्थल पर काम के लिए बेहतर माहौल तैयार हो सके। डा. राहुल ने कहा कि कोरोना में कार्यशैली में काफी परिवर्तन आया है, ऐसे में नये और पुरानी दोनो व्यवस्थाओं के बीच सामंजस्य बैठाकर काम करना होगा।
साक्षी चौधरी ने कहा कि बहुत सारे कर्मचारी कोरोना महामारी से भी पीड़ित रहे है, प्रबन्धन को उनके भी शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखने की जरूरत है। डा. तरू सिंह ने कहा कि कोरोना की वजह से लोगो के बीच कम्यूनिकेशन दूरी बढ़ी है, ऐसी स्थिति में प्रबन्धन को अधीनस्थों को एक कोच की भॉति समझाकर काम लेना होगा ना कि बास बनकर। इससे कर्मचारियों में प्रबन्धन के प्रति विश्वास में बढ़ोतरी होगी। इस अवसर पर विभाग के अन्य अध्यापक एवं कर्मचारी भी उपस्थित रहे।
अर्थव्यवस्था को गहरा आघात : वाणिज्य विभागाध्यक्ष डा. प्रदीप कमल ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर ने अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से पटरी से उतार दिया है । कोरोना महामारी की पहली लहर से व्यापारी उबरने का प्रयास कर ही रहे थे कि दूसरी लहर ने फिर से अर्थव्यवस्था पर गहरा आघात पहुंचा दिया। सबसे अधिक प्रभावित होने वाली इंडस्ट्री में टूरिज्म, रिएल स्टेट, एग्रीकल्चर, एजुकेशन, ट्रेड शामिल है जिनपर सबसे ज्यादा नकारात्मक प्रभाव देखने को मिला है इकोनॉमी पूरी तरह से अंधकार में डूबी हुई है, अब इसे कोई उबार सकता है तो सरकार की कोई ठोस नीति अन्यथा जीडीपी और ज्यादा गिर सकती है तथा महंगाई के और ज्यादा विकराल स्वरूप धारण करने की भी संभावना है।