मेरे जीवन का हर संस्कार बीएचयू की देन, सकारात्मकता हमें नित नई दृष्टि प्रदान करता है : हरिवंश नारायण

राज्यसभा के पूर्व उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने कहा कि बीएचयू के छात्रों को संदेश दिया कि नैतिक मूल्यबोध के बगैर शिक्षा का भी कोई औचित्य नहीं है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Mon, 10 Aug 2020 06:50 AM (IST) Updated:Mon, 10 Aug 2020 05:25 PM (IST)
मेरे जीवन का हर संस्कार बीएचयू की देन, सकारात्मकता हमें नित नई दृष्टि प्रदान करता है : हरिवंश नारायण
मेरे जीवन का हर संस्कार बीएचयू की देन, सकारात्मकता हमें नित नई दृष्टि प्रदान करता है : हरिवंश नारायण

वाराणसी, जेएनएन। बीएचयू के पुरा छात्र प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित संवाद श्रृंखला हम बीएचयू के लोग में रविवार को राज्यसभा के पूर्व उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह (कार्यकाल नौ अगस्त यानी कि रविवार को समाप्त हो गया) बीएचयू एलुमनाई कनेक्ट के समन्वयक डा. धीरेंद्र राय से चीन की चुनौतियों पर बातचीत की। महामना मदन मोहन मालवीय के जीवन से संबंधित अनेक वाकयों का जिक्र करते हुए उन्होंने बीएचयू के छात्रों को संदेश दिया कि नैतिक मूल्यबोध के बगैर शिक्षा का भी कोई औचित्य नहीं है। संकल्प, समर्पण, साहस और सकारात्मकता हमें नित नई दृष्टि प्रदान करता है। उन्होंने छात्रों के सवालों पर प्रमुखता से डा. धीरेंद्र से चर्चा की और कहा कि आज मेरे जीवन का हर संस्कार बीएचयू की देन है। बता दें कि हरिवंश नारायण 9 अगस्त, 2018 को राज्यसभा के उपसभापति चुने गए थे। यह कार्यकाल दो साल का रहता है।

आत्मनिर्भर बनने के लिए नीति परिवर्तन की आवश्यकता

उन्होंने बताया कि चीन की चुनौती से निपटने के लिए भारत को आर्थिक महाशक्ति बनना ही होगा। इतिहास अपने आप में सबसे बड़ा दर्शन होता है। इतिहास से बड़ी न कोई संसद है और न ही कोई न्यायिक संस्था। इसलिए हमें अपने गौरवशाली अतीत से प्रेरणा लेनी होगी। आर्थिक मोर्चेबंदी के तहत कर्ज देकर पड़ोसी देशों की जमीन चीन द्वारा भारत के खिलाफ सामरिक प्रयोग में लाए जाने का खतरा बना हुआ है। सरदार पटेल के अलावा तत्कालीन राजनीतिज्ञों से चीन को समझने में भारी भूल हुई थी। 1965 में शास्त्री जी के बाद एक बार फिर 2017 में डोकलाम प्रकरण में भारत ने अपना खोया हुआ आत्मविश्वास पुन: प्राप्त किया था। आत्मनिर्भर बनने के लिए नीति परिवर्तन की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि ऑर्डिनेंस फैक्टरी की इतनी संख्या होने के बावजूद भारत हथियारों का इतना बड़ा खरीददार बना हुआ है, यह भारत के लिए चिंताजनक है। हथियार निर्माण के क्षेत्र में मेक इन इंडिया को सरकार ने बढ़ावा देना शुरू कर दिया है। पं. नेहरु ने कभी कहा था कि मैं भ्रष्टाचारियों को चौराहे पर लटकते देखना चाहता हूं। परन्तु लचर नीति निर्धारण से ऐसा तब संभव नहीं हो पाया था। इस अवसर पर उन्होंने कुलपति, विश्वविद्यालय परिवार और एलुमनाई सेल की अध्यक्ष प्रो. सुशीला सिंह का आभार प्रकट किया।

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