पर्यावरण संरक्षण : भदोही में 1440 दिन से गुरुजी प्रतिदिन लगा रहे पौधे और सहेज रहे हरियाली
भदोही में शिक्षक अशोक पौधारोपण करने के साथ ही दिन व स्थान को डायरी में नोट करते चलते हैं ताकि उनकी देखभाल बेहतर ढंग से की जा सके। उन्होंने कहा कि उनका प्रयास यही है कि जब तक जीवित रहें प्रतिदिन एक पौधा अवश्य लगाएं।
भदोही, महेंद्र दुबे। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में जिले के शिक्षक अशोक कुमार गुप्त का समर्पण व लगन दूसरों के लिए मिसाल है। पूर्व माध्यमिक विद्यालय सारीपुर में सहायक अध्यापक अशोक प्रतिदिन एक पौधा लगाते हैैं। विद्यालय में बच्चों को हरियाली का महत्व और पेड़-पौधों की जरूरत बताते हैं तो स्कूल बंद होते ही खुरपी लेकर निकल पड़ते हैं अपने मिशन पर।
10 अक्टूबर, 2017 से अब तक वह 1,440 दिन से लगातार पौधारोपण कर रहे हैैं। जो पौधे वह लगाते हैं, उसकी सुरक्षा के उपाय करने के साथ ही उसमें लाल चुनरी भी बांधते हैं। ताकि लोगों की उस पौधे में आस्था जागृत हो और उसे कोई नुकसान न पहुंचाए। ज्ञानपुर नगर के पुरानी बाजार निवासी शिक्षक अशोक कुमार गुप्त को शिक्षा के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए 05 सितंबर, 2016 को राष्ट्रपति पुरस्कार भी मिल चुका है।
उनके मन में पौधारोपण का संकल्प यूं ही जुनून नहीं बना। अशोक बताते हैैं कि जब वह राष्ट्रपति के हाथों बेहतर शिक्षण कार्य के लिए सम्मानित हुए तभी तो ठान लिया कि जीवन में कुछ ऐसा करेंगे जिससे सबको खुशियां मिलें। वह जुट गए हर दिन पौधे लगाने में। वह दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करते हैैं। उनकी कोशिश है कि उनकी तरह सभी इस मिशन को जिंदा रखें।
हर पौधे का रखते हैं हिसाब
शिक्षक अशोक पौधारोपण करने के साथ ही दिन व स्थान को डायरी में नोट करते चलते हैं, ताकि उनकी देखभाल बेहतर ढंग से की जा सके। उन्होंने कहा कि उनका प्रयास यही है कि जब तक जीवित रहें, प्रतिदिन एक पौधा अवश्य लगाएं।
यह है मकसद
अशोक कहते हैैं कि धरती की बदलती आबो-हवा पर काबू पाना चुनौती है। ग्लोबल वार्मिंग मानवता के लिए बड़ा खतरा साबित होगा। कम से कम एक-एक पौधा हर व्यक्ति लगाए तो हम सभी अपनी धरती को सुरक्षित रख सकते हैैं। इस संकल्प के पीछे यही मकसद है।
अब तक रोप चुके पौधे
अशोक अब तक आम, गूलर, पीपल, बरगद, बेल, गुलाब, नीम, अमरूद, शमी से लेकर गुलदाउदी, हरसिंगार, एलोवेरा, स्वर्णचंपा, रातरानी व गुड़हल के सैकड़ों पौधों का रोपण कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि अपने खर्च से पौधे खरीदते हैं। विद्यालयों, पार्कों व अन्य सार्वजनिक स्थलों पर इनका रोपण करते हैैं।