वाराणसी के मिर्जामुराद में 12 करोड़ 30 लाख की लागत से बन रहा इलेक्ट्रिक बस चार्जिंग स्टेशन

जेसीबी मशीन से मिट्टी की खोदने व भरने का काम चलने के साथ ही छड़ लगाकर बीम बनाने व लोहे के एंगल खड़ा करने व ईंट की जोड़ाई का काम हो रहा। यहां पर 50 इलेक्ट्रिक बसों की चार्जिंग सुविधा व मेंटनेंस का काम होगा।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Sat, 12 Jun 2021 05:00 AM (IST) Updated:Sat, 12 Jun 2021 05:00 AM (IST)
वाराणसी के मिर्जामुराद में 12 करोड़ 30 लाख की लागत से बन रहा इलेक्ट्रिक बस चार्जिंग स्टेशन
यहां पर 50 इलेक्ट्रिक बसों की चार्जिंग सुविधा व मेंटनेंस का काम होगा।

वाराणसी [शैलेन्द्र सिंह 'पिन्टू']। उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की मिर्जामुराद में बन रहे सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज के इलेक्ट्रिक बस चार्जिंग स्टेशन का काम तेजी से चल रहा। पूरब व उत्तर की तरफ ईंट की पक्की मोटी दीवारे खड़ी हो गई हैं। जेसीबी मशीन से मिट्टी की खोदने व भरने का काम चलने के साथ ही छड़ लगाकर बीम बनाने व लोहे के एंगल खड़ा करने व ईंट की जोड़ाई का काम हो रहा।यहां पर 50 इलेक्ट्रिक बसों की चार्जिंग सुविधा व मेंटनेंस का काम होगा। बनारस में बढ़ते वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने व ईंधन (डीजल) की बचत हेतु इलेक्ट्रिक बसे चलाई जाएंगी।बसे बन कर तैयार हैं। चार्जिंग डिपो बनते ही शहर की सड़कों पर बसें दौड़ने लगेंगी। बस चार्जिंग स्टेशन बनाने हेतु 12 करोड़ 30 लाख रुपया स्वीकृत हुआ है।

कार्य को उत्तर-प्रदेश जल निगम के कंस्ट्रक्शन एंड डिजाइन सर्विसेज द्वारा कराया जा रहा हैं।उधर, सीवर के जलनिकासी की अभी तक उचित व्यवस्था न बन पाने व काश्तकारों की भूमि का सीमांकन न होने से ग्रामीणों में आक्रोश व्याप्त हैं।

राजातालाब तहसील व आराजीलाइन ब्लाक अंतर्गत पड़ने वाले मिर्जामुराद के गौर गांव में ग्राम पंचायत द्वारा वर्ष 2019 में हाइवे किनारे इलेक्ट्रिक बस चार्जिंग डिपो बनाने का प्रस्ताव पारित कर ग्राम पंचायत की आराजी नम्बर 93 ड.रकवा 0.745 से 0.635 हेक्टेयर (करीब 53 बिस्वा) भूमि दी गई। जिस भूमि का प्रस्ताव दिया गया उस पर मौजूदा समय में तालाब रहा। उक्त तालाब में करीब 25 वर्षो से गौर गांव के डेढ़ सौ घरों के सीवर का पानी आता रहा।बीते दिसंबर माह से उक्त तालाब से पानी निकाल जेसीबी मशीन से खोदाई कर उसमें मिट्टी भरने का काम शुरू हुआ।निर्माण कार्य शुरू होते ही जलनिकासी की व्यवस्था न बनने के साथ ही आस-पास के काश्तकारों की भूमि का सही ढंग से सीमांकन न किए जाने के कारण बीच-बीच में विवाद खड़ा होने पर काम भी रुकता रहा,पर अभी तक कोई ठोस विकल्प नही निकला।

चार्जिंग डिपो के बनने से काश्तकारों में भूमि विवाद भी खड़ा हो गया हैं। अधिवक्ता व काश्तकार विशाल सिंह वगैरह द्वारा पुश्तैनी नम्बर की भूमि के बाबत न्यायालय की शरण लेकर एक स्थगन आदेश भी लिया गया है।सीवर के पानी की व्यवस्था हेतु चार्जिंग प्वाइंट के पीछे ग्राम सभा की कुछ भूमि छोड़ एक गड्ढा खोद वैकल्पिक व्यवस्था बनाई गई हैं। गढ्ढा छोटा होने के कारण पानी बगल में बह रहा।

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