भूकंपीय सूक्ष्म वर्गीकरण अध्ययन क्षेत्र में काशी शामिल, मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइट ने ट्वीट कर दी जानकारी
वाराणसी भी अब भूकंपीय सूक्ष्म वर्गीकरण अध्ययन क्षेत्र में शामिल हो गया है। इस बाबत मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइट ने ट्वीट कर दी जानकारी।
वाराणसी [विकास ओझा]। पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में अर्थ साइंस विभाग की ओर से नई सौगात देने की तैयारी है। भूंगपीय माइक्रोजोनेशन (सूक्ष्म वर्गीकरण) अध्ययन के लिए चुने गए शहरों में वाराणसी को भी शामिल किया गया है। मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंं ने ट्वीट कर बकायदा इस बात की जानकारी दी है। वाराणसी के अलावा पटना, मेरठ, अमृतसर, आगरा, लखनऊ, कानपुर और धनबाद भी इसमें शामिल हैै। वर्ष 2021 तक इस बाबत काफी अध्ययन भी होगा। माइक्रोजोनिंग के दौरान संबंधित क्षेत्र में प्रति 200 से 500 मीटर की दूरी पर जमीन में छेद करके मिट्टी के नमूने एकत्र किए जाते हैं तथा उसकी वैज्ञानिक जांच के बाद तय किया जाता है कि वह स्थान कितना संवेदनशील हैं। इससे क्षेत्र में भूकंप की क्षमता और भविष्यवाणी भी करने में काफी सहूलियत मिलती है।
क्षेत्रीय आधार पर जमीनी स्थिति का अध्ययन इसलिए किया जाता है ताकि भूकंप के खतरे के बारे में समय से पूर्व आगाह किया जा सके। भूकंपीय माइक्रोजोनेश अध्ययन में भूभौतिकीय, भूगर्भीय, भू-तकनीकी आदि की जांच होती है।
यह पूरी संरचना की डिजाइन और निर्माण के दौरान प्रासंगिक मापदंडों के उपयोग पर को मिलाते हुए संरचनाओं के प्रभाव को कम करने की जानकारी प्रदान करेगा। भुवनेश्वर, चेन्नई, कोयम्बटूर, मंग्लूरू के लिए भूकंपीय माइक्रोज़ोनेशन 18 सितंबर को शुरू किया गया था और क्षेत्र की जांच वर्ष 2020 तक पूरी होने की संभावना है। अन्य शहरों की जांच 2021 तक पूरी कर भूकंपीय माइक्रोज़ोन रिपोर्ट जारी होने की संभावना है।
यूं होता है अध्ययन
शहर, कस्बे के भूकंपीय माइक्रोज़ोनेशन की रूपरेखा भूवैज्ञानिक, भूभौतिकीय, भूकंपीय और भू-तकनीकी डेटा के विविध सेटों के संग्रह पर आधारित है। इंजीनियरों, टाउन प्लानर्स द्वारा जोखिम प्रतिरोधक संरचनाओं के अध्ययन के बाद इनपुट दिया जाता है। भूकंपीय माइक्रोजोनेशन परियोजना के तहत तरंग वेग, द्रवीकरण की संभावित सूचकांक, उप-सतह समता की कठोरता, सुरक्षा के कारक, पीजीए विभिन्न परिस्थितियों में सीटू डेटा का विश्लेषण होता है।
यह फायदा
भूकंपीय माइक्रोज़ोनेशन पर डेटा और रिपोर्ट नगर निगम, पीडब्ल्यूडी, सिविल इंजीनियरिंग विभाग, केंद्र और राज्य प्रबंधन अधिकारियों के लिए उपयोगी होगी। सभी संरचनाओं के निर्माण के लिए सुरक्षित डिज़ाइन किया जा सकेगा। दिल्ली और कोलकाता का भूकंपीय माइक्रोजोनेशन पूरा हो चुका है। सिक्किम, गुवाहाटी, बेंगलुरु और जबलपुर आदि शहरों के लिए प्रोजेक्ट मोड में भूकंपीय माइक्रोज़ोनेशन पूरा किया गया है।