सोनभद्र में 13वीं बिजली इकाई को चालू करने का प्रयास शुरू, प्रदेश की सबसे पुरानी 200 मेगावाट की है इकाई
ओबरा तापीय परियोजना में अधिष्ठापित प्रदेश की सबसे पुरानी 200 मेगावाट वाली पांच इकाइयों में एक 13 वीं इकाई से उत्पादन करने की तैयारी शुरू कर दी गई है। संभावना है कि चालू जुलाई माह के अंत तक इकाई को चालू कर दिया जाएगा।
सोनभद्र, जागरण संवाददाता। ओबरा तापीय परियोजना में अधिष्ठापित प्रदेश की सबसे पुरानी 200 मेगावाट वाली पांच इकाइयों में एक 13 वीं इकाई से उत्पादन करने की तैयारी शुरू कर दी गई है। संभावना है कि चालू जुलाई माह के अंत तक इकाई को चालू कर दिया जाएगा। इकाई का लगातार टेस्ट लाइटप किया जा रहा है। इकाई से उत्पादन शुरू करने से पहले बायलर, टरबाइन सहित ईएसपी के सभी हिस्सों की सूक्ष्मता से जांच चल रही है। इकाई के सिंक्रोनाइज होने के 45 दिनों बाद उसे कमर्शियल लोड पर ले लिया जाएगा।
इस इकाई को मार्च 2018 में अनुरक्षण और मरम्मत (आरएण्डएम) के लिए बीएचईएल (भेल) को सौंपा गया था। इस इकाई के आरएंडएम पूरा होने की तिथि जून 2019 रखी गई थी, लेकिन बीते 14 अक्तूबर 2018 को हुए अग्निकांड में 13वीं इकाई को भी भारी नुकसान पहुंचा था। इसके कारण इस इकाई के आरएंडएम पूरा होने की तिथि जून 2019 से बढ़ाकर मई 2020 करनी पड़ी। बाद में इसे एक माह पहले 15 अप्रैल 2020 तक सिंक्रोनाइज करने का लक्ष्य तय कर दिया गया था, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण हुए लाकडाउन के कारण इसमें एक वर्ष की और देरी हो गई। पुनः इस इकाई को अप्रैल 2021 में चालू करने का लक्ष्य रखा गया लेकिन पुनः कोरोना संक्रमण बढ़ने के कारण लगभग चार माह की और देरी हो गई। इस इकाई के चालू होने से प्रदेश को सस्ते दरों पर प्रतिवर्ष 1480 मिलियन यूनिट से ज्यादा बिजली मिल सकेगी।
12 वर्ष में नहीं पूरा हो पाया अनुरक्षण
ओबरा परियोजना की 200 मेगावाट वाली पांच इकाइयों के जीर्णोद्धार प्रक्रिया 12 वर्ष में नहीं पूरा हो पाई। जबकि इसे मात्र ढाई वर्ष में पूरा होना था, साथ ही इस योजना का बजट भी एक हजार करोड़ के लगभग बढ़ गया। योजना के तहत बीएचईएल को मई 2006 में आशय पत्र निर्गत किया गया। इस योजना की मूल लागत रुपए 1702.14 करोड़ थी। योजना की जीरो तिथि 20 जून 2006 थी। योजना का कार्य जीरो तिथि से 30 माह में 31 दिसंबर 2008 तक पूर्ण होना प्रस्तावित था। लेकिन अत्यधिक देरी के कारण बढ़े अतिरिक्त कार्य से योजना की पुनरीक्षित लागत 958.75 करोड़ रूपये बढ़कर 2660.89 करोड़ तक पहुंच चुकी है। अभी तक चार इकाइयों का आरएण्डएम पूरा होने के बाद उनसे उत्पादन जारी है। 13वीं इकाई के चालू होने से ओबरा परियोजना से लगभग एक दशक बाद 1000 मेगावाट के करीब उत्पादन हो सकेगा।
इकाई को चालू करने का प्रयास जारी है
कोरोना संक्रमण के कारण पिछले कई माह 13 वीं इकाई के आर एंड एम में दिक्क्तें पेश आयी है। उसके बावजूद इकाई को चालू करने का प्रयास जारी है। संभावना है कि जुलाई माह के अंत तक इकाई को सिंक्रोनाइज कर दिया जायेगा।
- इ. दीपक कुमार, सीजीएम, ओबरा तापीय परियोजना।