डीआरडीओ की 2 डीजी दवा कोरोना के सभी वैरिएंट पर कारगर, दवा मानव कोशिकाओं के ही प्रोटीन में करती है बदलाव
डीआरडीओ के सहयोगी संस्थान आइएनएमएस के वैज्ञानिकों के अनुसार 2डीजी कोरोना के हर स्ट्रेन पर कारगर है। इस दवा का मैकेनिज्म वायरस के प्रोटीन के बजाय मानव कोशिकाओं के ही प्रोटीन में बदलाव कर देता है जिससे वायरस कोशिका के अंदर पनाह ही नहीं पाता।
वाराणसी [हिमांशु अस्थाना]। हर क्षण म्युटेट होने वाले कोरोना वायरस का अंत भले ही न हो, मगर इसके वैरिएंट से अब बहुत भयभीत होने की जरूरत नहीं है। डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) के सहयोगी संस्थान आइएनएमएस (इंस्टीट्यूट आफ न्यूक्लियर मेडिसीन एंड एलाइड साइंसेज) के वैज्ञानिकों के अनुसार 2डीजी (2 डीआक्सी-डी ग्लूकोज) कोरोना के हर स्ट्रेन पर कारगर है। इस दवा का मैकेनिज्म वायरस के प्रोटीन के बजाय, मानव कोशिकाओं के ही प्रोटीन में बदलाव कर देता है, जिससे वायरस कोशिका के अंदर पनाह ही नहीं पाता। वहीं बाकी की एंटी वायरल दवाएं वायरस के ही प्रोटीन पर ही वार करतीं हैं और जब वायरस में म्युटेशन हो जाता है तो दवाइयां काफी हद तक निष्प्रभावी हो जाती हैं। इससे वायरस किसी भी स्ट्रेन का हो वह बेकार है।
इसके अलावा दूसरी स्थिति यह है कि जब वायरस कोशिका के अंदर प्रवेश कर जाता है तो उसे कोशिकाओं में अपनी संख्या वृद्धि के लिए अधिक मात्रा में ग्लूकोज की जरूरत होती है। जब यह दवा दी जाती है तो वायरस इसे ग्लूकोज (ग्लूकोज से एक आक्सीजन कम होता है) समझने की भूल कर बैठता है और संक्रमित कोशिका को ग्लूकोज की आपूर्ति नहीं हाे पाती, जिससे वायरस की वृद्धि थम जाती
तीसरे चरण के ट्रायल में अन्य वैरिएंट पर हुआ अध्ययन
हैदराबाद स्थित डॉ. रेड्डी लैब द्वारा 2डीजी पर चलाए गए क्लीनिकल ट्रायल के प्रमुख वैज्ञानिक रहे आइएनएमएस के डाॅ. अनंत नारायण भट्ट और डॉ. सुधीर चांदना ने देखा है कि तीसरे चरण के ट्रायल में यह दवा कई वैरिएंट्स पर प्रभावी है। इसका एक शोध पत्र भी जल्द ही प्रकाशित होने वाला है। डाॅ. भट्ट ने बताया कि अब चाहे वायरस का कोई भी वैरिएंट हो उसे ग्लूकोज की जरूरत होगी, जिसे बाधित करने का काम यह दवा कर रही है। इसके साथ ही वायरस के विकास में प्रमुख भूमिका निभाने वाले अमीनो एसिड की भी आपूर्ति कोशिका में रूक जाती है जिससे उनकी संख्या नहीं बढ़ने पाती।
सामान्य कोशिकाओं पर दवा का कोई असर नहीं
2डीजी के साइड इफेक्ट के बारे में डॉ. चांदना बताते हैं कि सामान्य कोशिकाओं का मेटाबालिज्म (भोजन को ऊर्जा में परिवर्तित करने की प्रक्रिया) संक्रमित काेशिकाओं से बिल्कुल अलग होती है। दवा की मात्रा सामान्य कोशिकाओं तक कम ही जाती है और उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचाती। इस क्लीनिकल ट्रायल में दवा की जो डोज दी गई है उससे यह साबित हो चुका है।
कैंसर की दवा थी 2डीजी
2डीजी दवा कैंसर के इलाज के लिए बनाई गई थी, जिसे कोरोना मरीजों पर ट्रायल किया गया। भारत में वर्ष 1972 से इस दवा पर दिल्ली एम्स के पूर्व चिकित्सक प्रो. विनय जैन शोध कर रहे थे। वहीं डीआरडीओ के प्रमुख प्रो.जी. सतीश रेड्डी और आइएनएमएस के निदेशक प्रो. अनिल मिश्रा के ही निर्देशन में इस दवा को अमल में लाने का कार्य किया जा रहा है।